6/25/10

वीकएंड पर देखिये यह मूवी

ये जिन्दगी आपकी है, रोते हुये गुजारो या हंसते-मुस्कुराते हुये। कठिनाईयां-मुश्किलें तो सबके जीवन में आती हैं। ये हमारा फैसला होता है कि इनका सामना हम कैसे करते हैं। कुछ दैनिक यात्री एक दिन ट्रेन छूटने पर भी माथे पर हाथ रखकर बैठ जाते हैं। मैं तो एन्जाव्य करता हूं कि - अरे भाई इतने दिन बाद ट्रेन छूटी है, दूसरी आयेगी, कोई बात नहीं दो घंटे हैं। आराम से कुछ खाते-पीते हैं। कोई सामान जिसे लाने का समय नहीं मिला था। वही खरीद लाया जा सकता है। एक आदमी है जो जिन्दगी को पूरे मन से जीता है। खुश होता है तो पूरा और उदास होता है तो पूरा। कुनकुना-कुनकुना नहीं।

तो क्यूं ना हालात को पूरे तौर पर स्वीकारभाव से जीया जाये। जैसे ये आदमी जीता है। कौन???  नीचे लिंक पर क्लिक कीजिये और देखिये यह आदमी और इसकी छुट्टियां। कल शनिवार है और परसों इतवार यानि वीकएंड तो देखिये यह फिल्म Mr. Bean's Holiday हिन्दी में

14 comments:

  1. फिल्म देखने के लिए तीन घंटे बैठना पड़ता है जो की मेरे लिए तो कम से कम सम्भव नहीं है | किसी भी फिल्म को मै टीवी पर पूरा देख ही नहीं पाता हू |

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  2. @नरेश जी

    हालीवुड की फिल्में ज्यादातर 1:30 घंटे तक की ही होती हैं।

    प्रणाम

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  3. यह चरित्र sadist pleasure में विश्वास करता है इसलिए ये हंसाता कम है

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  4. भाई जी, अपन तो आलरेडी फ़ैन हैं, ’मि. बीन’ के। बन्दा हैं हैंसले वाला, हमें बहुत पसन्द है।

    हमारे प्रिय पात्र को हाईलाईट करने के लिये आभार।

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  5. mr beans ke to hum bhi fan hain bhatiya ji thanx nayee jaankari ke liye abhi link ko bhi dekhte hain

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  6. फिल्म देखने के बारे में बाद में सोचेंगे पहले प्रस्तावना की तारीफ़ तो कर लूं...

    ...एक आदमी है जो जिन्दगी को पूरे मन से जीता है। खुश होता है तो पूरा और उदास होता है तो पूरा। कुनकुना-कुनकुना नहीं।...
    ...वाह! तबियत मस्त हो गई...पूरी तरह मस्त कुनकुना-कुनकुना नहीं.

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  7. आजकल मेरी ड्यूटी शाम दो से दस वाली चल रही है। नहीं तो नौ बजे मिस्टर बीन पोगो पर आता है। अपने दोनों चेलों को भी आदत डाल दी है।

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  8. बहुत सुंदर जी ओर फ़टा फ़ट डऊन लोड हो रही है, बहुत कम समय मै. धन्यवाद

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  9. सही कहा है आप ने....
    जैसे हम चाहते हैं जिन्दगी बिलकुल वैसी ही बन जाती है....
    बात-बात पर रो कर दिन निकाल लो या उसी गम को हँसी में उड़ा दो...
    मरज़ी आप की...

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  10. ट्रेन वाला व्यवहार बिलकुल ठीक है...
    जिंदगी जिन्दादिली का नाम है ....कल का हम में से किसी को नहीं पता , केवल आज को सम्हालने की कोशिश करलें यही बहुत है ! शुभकामनायें

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  11. अभी डाउनलोड करते हैं ।
    आभार ।

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मुझे शिकायत है !!!

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उन्होंने ईश्वर से डरना छोड़ दिया है , जो भ्रूण हत्या के दोषी हैं। जिन्हें कन्या नहीं चाहिए, उन्हें बहू भी मत दीजिये।