7/8/08

कुछ नही बस दो आंसू

शायद हम भी कुछ काबुली वाले से अलग नही,
यह गीत मेने काबुली वाले से लिया हे जो १९६६ मे बनी थी,बोल मना डे जी के हे, इस गीत मे क्या दर्द हे यह वही जान पाते हे जो अपनो से दुर हे तो सुनिये ...

7 comments:

  1. टैगोर की लिखी यह कहानी बचपन में पढ चुका हूं, यह गीत सुनकर बहुत अच्छा लगा।

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  2. दुखी कर दिया न सोने से पहले...!!! मेरा प्यारा गीत..जब भी सुनता हूँ एक दिन लगता है उबरने में.

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  3. आप सभी का धन्यवाद

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नमस्कार, आप सब का स्वागत है। एक सूचना आप सब के लिये जिस पोस्ट पर आप टिपण्णी दे रहे हैं, अगर यह पोस्ट चार दिन से ज्यादा पुरानी है तो मॉडरेशन चालू हे, और इसे जल्द ही प्रकाशित किया जायेगा। नयी पोस्ट पर कोई मॉडरेशन नही है। आप का धन्यवाद, टिपण्णी देने के लिये****हुरा हुरा.... आज कल माडरेशन नही हे******

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मुझे शिकायत है !!!

मुझे शिकायत है !!!
उन्होंने ईश्वर से डरना छोड़ दिया है , जो भ्रूण हत्या के दोषी हैं। जिन्हें कन्या नहीं चाहिए, उन्हें बहू भी मत दीजिये।