8/5/08
बोतल
आज समीर भाई जी की पोस्ट पढते पढ्ते इक लाईन पढी**वो जो बोतल कनाडा से लाये हो, वो तो रखी होगी न कि साफ हो गई.** ओर यह लाईन पढ कर मुझे कुछ याद आ गया सोचा आप सब से बांट लु, लेकिन इस से पहले मे यह बता दु मे चालाक नही हु, बुद्धु भी नही, बिलकुल साधारण सा आम आदमी...मे जब भी भारत मे आता था,तो पिता जी के लिये Scotch Whisky जरुर लाता था, पिता जी पीते तो बहुत कम थे, लेकिन उन्हे भी इन्तजार रहता था, ओर उन्हे किसी भी चीज से लगाव नही था, मे हमेशा दो बोतल लाता एक पिता जी को दे देता था,दुसरी अपने पास रखता था, अगर बच गई तो पुरी पिता जी को दे देता था, मे भी बहुत कम पीता हू,
अब चलते हे असली कहानी की ओर, एक बार मे जब भारत आया तो हमेशा की तरह से एक बोतल पिता जी को दे दी, दुसरे दिन मेरा साडू(मेरी साली का पति) परिवार समेत मिलने आया साथ मे मेरा छोटा साला भी था दुसरी बोतल उन दोनो ने टिकाने लगा दी, मेरे लिये कोई बात नही थी, ओर मे पीता भी नही था,तीसरे दिन मेरा भाई आया ओर बोला भाजी जो हमारा किराये दार हे ना उसने मेरे बहुत से काम किये हे, ओर मेने उस से वादा किया था जब भी मेरा भाई आयेगा तुम्हे जी भर के scotch whisky पिलाउगा, लेकिन अब क्या करे,तो मेने कहा भाई फ़िर क्या हुआ, भाई बोला पिता जी के पास हे आप मांग लाओ,क्यो कि आज शाम को मेने उसे कह दिया हे.मेने कहा शाम को उसे बुला लो बाकी शाम को.
शाम को भाई ने मुझे कहा मे उसे यही ८ बजे ले आउगा, मेने कहा जब चाहो ले आओ, ठीक आठ बजे भाई ओर किराये दार, मेरे कमरे मे आ गये, ओर वो जनाब एक किलो मछ्ली के पकोडे भी साथ मे लाये, मेने उन्हे बिठाया, थोडी बहुत बात की, शायद मुझे नही जानते थे,इस लिये शर्मा रहे थे,तो मेने सीधे ही पुछ लिया आप कोला लेगे, पानी या फ़िर सोडा, तो शरमाते हुये बोले कुछ भी मेने कहा अजी जो भी कहो मिलेगा, तो उन्होने कोले की पसंद बताई, मेने एक नयी बोतल Whisky कि निकाली ओर कहा, लिजिये आप ही इसे खोले, तो बह सज्जन बहुत खुश हुये ओर बोले नही आप बडे हे आप ही खोले.
मेने जोर लगा के थोडी आवाज से बोतल खोली उन सज्जन को एक पेग डाला, चियर्स किया, मेने दोनो से कहा मे बहुत कम पीता हू तुम अपने हिसाब से पीना मेरी इन्तजार मत करना, किराये दार ने पहला पेग बहुत जल्द खतम किया फ़िर दुसरा पेग लिया, अरे यह क्या वो तो पुरा शारबी हो गया, उस से पेग उठाना मुस्किल था,लेकिन उस्ने दुसरा पेग पी लिया
ओर भाई से बोला मुझे मेरे घर छोड आओ, उसे छोड कर भाई ने पुछा आप यह बोतल कहा से ले आये, तो मे हंस पडा
ओर उसे कहा तुम ने अभी पी नही इस लिये पुछ रहे हो.लेकिन भाई को कुछ समझ मे नही आया तो मेने उसे पुरी बात बताई कि.
जब दोपहर को तुम मुझ से बात करके चले गये तो मेने किसी से xxx Rum मगवाई ओर उसे इस Scotch की खाली बोतल मे डाल दिया, ओर डक्कन जोर से बन्द कर दिया, जब तुम लोगो ने कहा तो मेने जान कर डक्कन खोलने के समय थोडा जोर लगाया ओर डक्कन को रगड कर खोल जिस से थोडी आवाज आई, ओर तुम्हारे मेहमान को मेने जब पुछा की कभी स्काच पी हे तो उस ने मना कर दिया, मतलब उसे पहले ही लगता था स्काच पता नही क्या हे ओर वो उस के नाम से ही ओर खुशी से ही शारबी हो गया, ओर दो पेग भी नही पी सका.ओर हम सब हंस हंस कर लोट पोट हो गये.
दुसरे दिन से वह सज्जन हमारी बहुत तारीफ़ करते फ़िरते थे अपने दोस्तो मे,ओर आज भी मुझे जब यह बात याद आती हे तो...
अब चलते हे असली कहानी की ओर, एक बार मे जब भारत आया तो हमेशा की तरह से एक बोतल पिता जी को दे दी, दुसरे दिन मेरा साडू(मेरी साली का पति) परिवार समेत मिलने आया साथ मे मेरा छोटा साला भी था दुसरी बोतल उन दोनो ने टिकाने लगा दी, मेरे लिये कोई बात नही थी, ओर मे पीता भी नही था,तीसरे दिन मेरा भाई आया ओर बोला भाजी जो हमारा किराये दार हे ना उसने मेरे बहुत से काम किये हे, ओर मेने उस से वादा किया था जब भी मेरा भाई आयेगा तुम्हे जी भर के scotch whisky पिलाउगा, लेकिन अब क्या करे,तो मेने कहा भाई फ़िर क्या हुआ, भाई बोला पिता जी के पास हे आप मांग लाओ,क्यो कि आज शाम को मेने उसे कह दिया हे.मेने कहा शाम को उसे बुला लो बाकी शाम को.
शाम को भाई ने मुझे कहा मे उसे यही ८ बजे ले आउगा, मेने कहा जब चाहो ले आओ, ठीक आठ बजे भाई ओर किराये दार, मेरे कमरे मे आ गये, ओर वो जनाब एक किलो मछ्ली के पकोडे भी साथ मे लाये, मेने उन्हे बिठाया, थोडी बहुत बात की, शायद मुझे नही जानते थे,इस लिये शर्मा रहे थे,तो मेने सीधे ही पुछ लिया आप कोला लेगे, पानी या फ़िर सोडा, तो शरमाते हुये बोले कुछ भी मेने कहा अजी जो भी कहो मिलेगा, तो उन्होने कोले की पसंद बताई, मेने एक नयी बोतल Whisky कि निकाली ओर कहा, लिजिये आप ही इसे खोले, तो बह सज्जन बहुत खुश हुये ओर बोले नही आप बडे हे आप ही खोले.
मेने जोर लगा के थोडी आवाज से बोतल खोली उन सज्जन को एक पेग डाला, चियर्स किया, मेने दोनो से कहा मे बहुत कम पीता हू तुम अपने हिसाब से पीना मेरी इन्तजार मत करना, किराये दार ने पहला पेग बहुत जल्द खतम किया फ़िर दुसरा पेग लिया, अरे यह क्या वो तो पुरा शारबी हो गया, उस से पेग उठाना मुस्किल था,लेकिन उस्ने दुसरा पेग पी लिया
ओर भाई से बोला मुझे मेरे घर छोड आओ, उसे छोड कर भाई ने पुछा आप यह बोतल कहा से ले आये, तो मे हंस पडा
ओर उसे कहा तुम ने अभी पी नही इस लिये पुछ रहे हो.लेकिन भाई को कुछ समझ मे नही आया तो मेने उसे पुरी बात बताई कि.
जब दोपहर को तुम मुझ से बात करके चले गये तो मेने किसी से xxx Rum मगवाई ओर उसे इस Scotch की खाली बोतल मे डाल दिया, ओर डक्कन जोर से बन्द कर दिया, जब तुम लोगो ने कहा तो मेने जान कर डक्कन खोलने के समय थोडा जोर लगाया ओर डक्कन को रगड कर खोल जिस से थोडी आवाज आई, ओर तुम्हारे मेहमान को मेने जब पुछा की कभी स्काच पी हे तो उस ने मना कर दिया, मतलब उसे पहले ही लगता था स्काच पता नही क्या हे ओर वो उस के नाम से ही ओर खुशी से ही शारबी हो गया, ओर दो पेग भी नही पी सका.ओर हम सब हंस हंस कर लोट पोट हो गये.
दुसरे दिन से वह सज्जन हमारी बहुत तारीफ़ करते फ़िरते थे अपने दोस्तो मे,ओर आज भी मुझे जब यह बात याद आती हे तो...
नाम
पुरानी यादे
13 comments:
नमस्कार, आप सब का स्वागत है। एक सूचना आप सब के लिये जिस पोस्ट पर आप टिपण्णी दे रहे हैं, अगर यह पोस्ट चार दिन से ज्यादा पुरानी है तो मॉडरेशन चालू हे, और इसे जल्द ही प्रकाशित किया जायेगा। नयी पोस्ट पर कोई मॉडरेशन नही है। आप का धन्यवाद, टिपण्णी देने के लिये****हुरा हुरा.... आज कल माडरेशन नही हे******
Note: Only a member of this blog may post a comment.
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
हा हा हा ...
ReplyDeleteबहुत बढिया.. वह बेचारा स्कॉच के नाम से ही मदहोश हो गया..
होता नशा ग़र शराब में
तो बोतल ना नाचती. :)
बढिया व रोचक प्रसंग है।
ReplyDeletekyaa baat hai Bhatia jee pardesh jaakar bhi nahi bhoole deshi latke-jhatko ko
ReplyDeleteBhatiya sahab pehli bar aapke blog per aaya apki kissgoyi achhi lagi.
ReplyDeleteaage phir aaunga.
sumati
बहुत बढ़िया भाटिया जी...क्या सुनाया है...समीर जी के ब्लॉग पर गमगीन होगया था यहा पर फिर हंस दिया।
ReplyDeleteअच्छा चेता दिये. अब आयेंगे म्यूनिख तो संभल कर पहले चैक करेंगे कि क्या पिला रहे हो और हाँ, मैं स्वाद से बता दूंगा कि स्कॉच है कि नहीं..तो जरा सोच कर सर्व करियेगा. :)
ReplyDeleteम्हारी टिप्पणी कहाँ गई भाई...कहे थे कि हमारे साथ यह नहीं चलेगा..हम जान जाते हैं असली स्कॉच..या कह दें तो न आयें म्यूनिख!!
ReplyDeleteअपन भी पहुंचाते है मच्छी और पकौडे ले कर.
ReplyDeleteतैयार रहें सर जी.
:) :) :)
ये NRIs जब भी आते हैं यहाँ लोगों को खूब बनाते हैं -यह तो बस एक उदाहरण रहा ..एक मेरे चाचा जी हैं जब भीअमेरिका से आते हैं ऐसी ऐसी कारस्तानी होती है कि बस मत पूछिए -हंसी भी आती है और कभी कभी क्षोभ भी होता है -बिचारे सीधे साधे भारतीय कैसे अपने ही विदेशी हुए स्वजन द्वारा बनाए जाते हैं -आप वाला संस्मरण मजेदार रहा और याद आ गयी मेरे चाचा जी के साथ घटा ऐसा ही वाक़या -उनकी स्काच व्हिस्की प्लेन में ही टूट गयी -सारा सूटकेश गमगमा गया सो अलग घर पहुँच कर स्काच की आस में आ पहुंचे सज्जनों को अपने लगभग खाली पड़ चुकी दूसरी बोतल में एक कोई भारतीय ब्रांड लबालब भर कर उन्होंने काम चलाया -शाम मादक हो चली थी ......
ReplyDeleteवाह जी वाह खूब किस्सा सुनाया आपने..
ReplyDeleteअपन तो इसीलिये पीते ही नहीं है भैया
ReplyDeleteही ही ही ही ही ही ही ही ही
हो हो हो हो
हा हा हा हा
हू हू हू
समीर जी, हम तो नबम्ब्रर का इन्त्जार कर रहे हे, फ़िर मुझे पता हे हम लोग स्वाद से ही पत्ता कर लेते हे, यह कोन सी हे, आप आओ फ़िर जोन सी भी कहो गे हाजिर होगी.भारत मे जा कर कभी ऎसा हुआ नही,यह पहली बार हुआ सो मजबुरी थी,ओर भाई की इज्जत का सवाल भी था, लेकिन सब मिला कर Scotch से भी ज्यादा मजा आया,आप सभी का बहुत बहुत धन्यवाद
ReplyDeleteइब समझ आया असली माजरा क्या था ! आपके
ReplyDeleteछोटे भाई का दोस्त उनको समझा रहा था की
मित्र जब भी सामने बैठे आदमी ४ की जगह ८
दिखाई देने लगे तो दारू पीनी बंद कर देनी
चाहिए ! आपके अनुज ने जबाव दिया की मित्र
सामने तो दो ही बैठे हैं :)