आज सिलसिला मै हम बात करेगे जीवन साथी के बारे, अगर आप अभी तक कुवारे है तो आप के विचार जानना चाहेगे कि आप अपने जीवन साथी मे क्या क्या देखना चाहेगे, कोन कोन से गुण, केसा होना चाहिये आप का जीवन साथी, आप को क्या क्या अच्छा लगता है.ओर भी अन्य बाते...
अगर आप शादी शुदा है तो आप को अपने जीवन साथी की कोन कोन सी बाते अच्छी, बहुत अच्छी लगती है, कोन सी बाते गलत लगती है, आप अपने जीवन साथी को केसे बताते है उस की कमी,जो बात आप को अच्छी नही लगती केसे कहते है उस से.ओर क्या क्या अच्छा लगता है अपने जीवन साथी मै..
ओर अगर आप अपने बच्चो के लिये उन का जीवन साथी तलाश रहे है तो आप उन बच्चो मे क्या क्या देखना चाहते है, यानि आप की बेटी / बॆटे के होने वाले जीवन साथी मै कोन कोन से गुण होने चाहिये, देखने मै, बोलने चालने मै केसा हो...
ध्यान रहे हम ने किसी ओर का दिल नही दुखाना, ओर हंसी खुशी मै अपनी बात यहां कहनी है, शायद हमे यहां भी किसी की कोई अच्छी राय मिल जाये, आप खुल कर लिखे आपने दिल की बात... अगर आप का जीवन साथी भी उसे पढ ले तो उसे भी बुरा नही लगेगा, बल्कि वो भी उस गल्ती को ठीक करेगा....
तो अब सोचे मत ... लिखे अपने विचार... हमे आप के विचारो का इन्तजार है..... लेकिन ऎसी भाषा हो जिसे हम अपनी मां बहन ओर बेटी के संग भी पढ सके....ओर जरुरी नही आप सिर्फ़ अपने जीवन साथी की बात ही लिखे इस लेख के बारे भी अपनी राय दे सकते है, कोन सी नयी बात इस मै हो, क्या ना हो,
15 saal pahle yah poochna chahiye tha . ab kya fayda
ReplyDeleteभाटिया जी
ReplyDeleteजब शादी हुई तब हमारे यहाँ तो ये समझने देखने का रिवाज ही नहीं था बड़े बुजुर्गो ने जो फैसला कर दिया वो ही अंतिम होता था वो बिना लड़की देखे फैसला करते थे खैर बुजुर्गो ने जो फैसला किया वो बहुत अच्छा निकला | हमें अपनी जीवन साथी की सारी बाते अच्छी लगती है और उनमे भी तीन बाते ऐसी है जिनके आगे अन्य सभी गौण ! पहली -वो वही बात करती है जो हमें पसंद हो दूसरी-बुजुर्गों के प्रति सेवा भाव तीसरा- सबसे अहम् सास ससुर के साथ घर के अन्य बुजुर्ग सदस्यों के प्रति असीम श्रद्धा |
और रही बात बच्चो के जीवन साथी की तलाश की,सो उसके बारे में भी अपन तो चिंता मुक्त है यह दायित्व भी अभी पिताजी ही संभाल रहे अपन तो एक अच्छे बाप के घर पैदा होने का पूरा फायदा उठा रहे | रही बात पोते पोतियों के लिए जीवन साथी तलाशने की, उस वक्त जमाना कितना बदल जायेगा पता नहीं वे हमें पूछेंगे भी या नहीं |
saathi ka resham bandh vishwas par tika hota hai,us paudhe ko hi phir apna[an aur pyar ke gul khilte hai.vishwas tuta sab bhikhara,so usko banaye rakhna chahiye.baki kamiya sab mein hoti hai,achhai dhunde to takraar na ho:)
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ReplyDeleteखुदा के लिए पुराने जख्मों पर तेजाब मत डालिए !
ReplyDeleteप्रणाम
ReplyDeleteप्रश्न तो उत्तम पूछा है आपने पर उत्तर देना आसान नहीं है . मेरे परिवार में शादी-बयाह तय करने की जिम्मेदारी सबसे बुजुर्ग व्यक्ति की होती है . अभी तक तो सबकी शादी दादा जी ही तय करते थे पर पिछले वर्ष उनका देहांत हो गया तो अब ये जिम्मेदारी मेरे पिता जी पर आ गयी है .पिता जी ने ये जिमेदारी माता जी और मुझ पर छोड़ दी. बोले "तुम लोगो को जिन्दगी गुजारी है इसलिए इसका फैसला तुम करोगे". मैंने भी माता जी से बोल दिया "मैं कोई निर्णय नहीं लूँगा, सब आप के ऊपर है ". अब माता जी अपनी जिम्मेदारी नाना जी को देदी . अब सब कुछ उन्ही के हाथो में है . अब शादी के बाद ही पता चलेगा की क्या अच्छा है और क्या बुरा है उसमे .
नमस्ते राज सर...!
ReplyDeleteआपने है तो जरुर बताएँगे!
मुझे मेरे जीवन साथी में.. चाहिए..
सबसे पहले तो उसे मुझे पर विश्वास हो, वो मेरी care करे, मेरे माता-पिता को अपने माता-पिता समझे, सुख-दुःख में मेरे साथ रहे, और जीवन के हर उतर-चढाव में मेरा साथ दे...
और हाँ! खाना टेस्टी बनाये,
अरे बनाना नहीं आता तो कोई बात नहीं मैं सिखा दूंगा...वैसे भी मुझे जली हुई रोटी बहुत पसंद है... एक आखिरी चीज कोई भी ऐसी परेशानी जिस में उसे फैसला लेना हो, पहले मुझसे बांटे, मतलब उस परेशानी का हल मेरे साथ मिलकर निकलना चाहे...
और... और... और... अभी सोच रहा हूँ...
मीत
भाटिया जी एक शर्त पर बताएंगे हम कि हमारी बात घर तक तो नहीं पहुंचेगी खासकर होम मिनीस्टर तक
ReplyDeleteखैर जब ओखली में सिर दिया है तो मूसल से क्या डरना
आपने सच में इस सवाल को पूछने में काफी देर कर दी और अब देर तो देर बहुत ही जल्दी भी कर दी। अब क्या बताऊं बेटे के लिए लडकी देखने जाना है लेकिन अभी नहीं कम से कम 20-25 साल रूककर अभी थोडा छोटा है ना शादी के लिए
बाकी एक बात और बताऊं आपको राज की राज अंकल कि तुम्हारी बौहोरिया (मेरी पत्नी हरियाणा में बौहोरिया ही बोलते हैं ना छोटों की पत्नी को) सर्वगुण संपन्न है। अच्छे संस्कार हैं उसमें कभी कुछ गलत नहीं और हां एक मामले में बिल्कुल झांसी की रानी है वैसे तो हमेशा मेरी पीए बनी रहती है मैं क्या कर रहा हूं क्यों कर रहा हूं इससे करने से क्या फायदे हैं आदि आदि अगर मैं कोई गलत फैसला ले लूं तो अड जाती है या फिर हट जाएगी कि ठीक है आपका ये फैसला गलत है तो आप ही इसे करो मैं इसे नहीं मानूंगी आदि आदि
फिर भी ये शादी वाला लडडू अच्छा है और इससे अच्छा है कुवारे वाला लडड़ू
मेरी कुछ समझ में नहीं आ रहा कि क्या आपने पूछा क्या मैं लिखे जा रहा हूं लिखना बहुत कुछ चाहता हूं लेकिन ज्यादा कुछ कहना भी अच्छा नहीं होता अगर होम मिनीस्टर ने कभी पढ लिया तो शायद अपने ऊपर घमंड ही ना कर बैठे राज अंकल इस राज को भी आप राज ही रहने देना
ना झी हम तो नही बताते. आपने जर्मन मेड लठ्ठ देके वैसे ही हमारा इलाज कर रखा है.:) अब यहां कुछ बोल कर क्या फ़ायदा? आप खुद ही समझदार हैं. :)
ReplyDeleteरामराम.
भाटिया जी,स्त्री के प्रति हमारा तो कुछ इस प्रकार का नजरिया है.......
ReplyDelete1.स्त्रियों की संपूर्णता, परिपूर्णता और सफलता इसी में है कि वे अपने परिवार का, पति का, बच्चों का ध्यान रखें।
2.हर बुद्धिमान स्त्री अपने घर को बनाती है, पर मूढ़ स्त्री अपने ही हाथों से उसको ढा देती है,क्योंकि परिवार का बनना या बिगड़ना पुरूष से अधिक महिला पर निर्भर करता है।
3.पति और पत्नि एक दूसरे के साथ प्रेम और आदर से रहें तभी परिवार में उचित वातावरण निर्मित हो सकता है, जिसमें बच्चों को स्थायित्व और सुरक्षा की भावना मिले। ऐसे ही बच्चों में स्वस्थ मानसिकता पनपती है।
4.परिवार में उचित वातावरण बनाने के लिए अनुशासन अपरिहार्य है। इसके लिए पत्नियों को स्वयं अनुशासित रहना है और साथ ही यह भी देखना है कि सब कार्य समय पर हों। पति समय पर ऑफिस जाए, बच्चे समय पर स्कूल जाएं, समय पर भोजन हो, पढ़ाई हो, मनोरंजन हो।
5.झगड़ालू और पति को पांव की जूत्ती समझने वाली पत्नी के संग रहने से जंगल में रहना उत्तम है।
राज जी नमस्कार ...बड़ा ही कठिन सवाल है और जवाब भी मुश्किल ...फिर भी जब आपने पूछा ही है तो सुने....पहले की बुरा क्या लगता है ...बिना बताये मेहमानों को लंच-डिनर पर बुला लेना ...ऊपर से मेहमान दूसरे शहर को हो तो उसे दुबारा बुलाना....कोई भी काम बस तुंरत ना हो तो मुश्किल...अच्छी बात ये है की उनकी एक बात सुन कर आप अपनी दस बातें मनवा सकतें है ...किचिन मैं जब काम ज्यादा हो हेल्प भी मिल जाती है सबसे बढिया बात शापिंग के लिए कभी ना नही बोलते बस साथ जाना पसंद नही ...पुरी दुनिया मैं घुमने की फ्रीडम मिली है और क्या चाहिए...आप हर दिन एक साढी भी खरीद सकतें हैं ...लेकिन ये डिपेंड करता है मूड पर,,,,दामाद आने मैं अभी समय है ...aur bhi baaten hain dusre mail main
ReplyDeleteदेखिये लड़ाई झगडा तो हर पति पत्नी मैं होता है ..बस तभी पत्नी को झाँसी की रानी और पति को टीपू सुलतान वाली तलवार निकालनी पड़ती है ....मेरे यहाँ लड़ाई झगडा कम ही होताहै ...समय ही नही...दोस्ती का दायरा कम है ,जो है वो जान से भी अजीज हैं ..एक दूसरे के घर परिवार कों..हम बेहद अच्छी तरह निभातें हैं ...जोकुछ बुरा भी लगता है तो आपस मैं ही बात करके निबटा लेतें हैं ...ये ताल मेल जिन्दगी मैं जरूरी भी है अन्यथा आप दूसरे काम कैसे कर पायेंगे...राज जी आपकी ये पहल अच्छी लगी लेकिन एक सुझाव है ..इसमें कुछ पर्श्नावाली निर्धारित कर दें ,क्रमवार....जवाब देने मैं सुविधा होगी और श्रेष्ठ उतर कों फर्स्ट -सेकंड नंबर देंसम्भव हो तो...बस सुझाव है ...
ReplyDeleteऐसे सवालों पर कोई सच नहीं बतायेगा .
ReplyDeleteइसमें तो टाइम लगेगा भाटिया अंकल.
ReplyDeleteलिस्ट अभी बन रही है. जब पसंद ही बतानी है तो क्यों न ठीक-ठाक ही बताएं. यहाँ कौन सी फीस लग रही है.
वैसे पूछ तो आप ऐसे रहे हो जैसे ढूंढ के ला दोगे. : )
आपकी पहेलियों से ज्यादा कठिन सवाल है ये
ReplyDeleteसवाल बहुत अच्छे है आपने बातो-बातो में ऐसे सवाल खड़े कर दिए जिसका हल निकालने में वक्त तो जरूर लगेगा । लेकिन एक बात मै भी कह देता हूं कि गाव देहात से उठकर शहर आया हू । चयन के लिए औऱ भी लोग है खास बात तो यह कि चयन का मौका किन्हे मिलता है । धन्यवाद
ReplyDeleteसवाल बहुत अच्छे है आपने बातो-बातो में ऐसे सवाल खड़े कर दिए जिसका हल निकालने में वक्त तो जरूर लगेगा । लेकिन एक बात मै भी कह देता हूं कि गाव देहात से उठकर शहर आया हू । चयन के लिए औऱ भी लोग है खास बात तो यह कि चयन का मौका किन्हे मिलता है । धन्यवाद
ReplyDeleteमुझे लगता है सिरियस लिखूं तो एक बात सबसे महत्त्व वाली है.....और वो है एक दुसरे की इज्ज़त करना, और यही बात पत्नी और मर्द दोनों में अच्छी है
ReplyDeleteक्या मतलब! आप हमसे सलाह ले के अपने लिए ढूंढने निकल रहे हैं क्या भाटिया जी? ईश्वर आपका भला करें.
ReplyDeletebhatia ji 1981 main shadi hui 26 march 2009 tak patni ko kisi aur nazar se dekha hi nahin .aapke blog par aaj nazar daali to nazar beete 28 saalon main ghoom gayi .aur ek hi din ya kahiye oosi pal patni sab kuch dikhne lagi.is new nazar ke liye namaskaar.
ReplyDeleteआप सभी की टिपण्णीयां बहुत ही अच्छी लगी अल्पना जी आप के सवाल का जबाब तो मेने ग्यारह मार्च वाली पोस्ट मे दे दिया था, यानि हमारी शादी भी मां बाप ने ही करवाई थी,ओर बाकी बाते जो मीत जी नै लिखी है वही मेरी सोच थी , मेरी पसंद थी,
ReplyDeleteवाकी विद्धु जी ने जो शिकायत लिखी वो उचित है,पहले पहल हमारी बीबी को भी यही शिकायत रहती थी, अब पता नही हम सुधर गये या बीबी को आदत पड गई है,लेकिन मेहमानो के आने पर हम सब मदद करते है,
बाकी आप सब की तरह से हम भी खुश है.
आप सभी का धन्यवाद
आपके अनुभवों से लाभ उठाने का यह अच्छा सुअवसर रहेगा।
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तस्लीम
साइंस ब्लॉगर्स असोसिएशन
हम तो सोच रहे थे कि इस बार ताउ फंसे, लेकिन वे साफ साफ निकल गए :) अब क्या बताउं... भोजपुरिया लाठी मेरे घर में भी पड़ी है और मन की बात बता कर कोई खतरा मोलना नहीं चाहता :)
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