12/18/10

अधनंगेपन की बेशर्मी पर नाज कैसे?

आज यह लेख मुझे नव भारत टाईम्स पर पढने को मिला,शायद यह आज बहुत से दिलो की आवाज हे... आप भी इसे पढना चाहे तो यहां पढ सकते हे. धन्यवाद

14 comments:

  1. नंगेपन के सत्य को नग्न करता सा आलेख है।
    सार्थक सोच के साथ प्रस्तूत हुआ है। इस प्रस्तूतिकरण के लिये आभार भाटिया जी।

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  2. सचमुच वर्तमान समाज को इस बारे में सोचना ही पडेगा | दिल्ली में जो घटनाये घट रही है उनके मद्देनजर ये एक सार्थक पोस्ट है |भाटिया जी एक गुजारिष है की आप इस प्रकार की पोस्त जब पढते है तो उस को पूरा अपने ब्लॉग पर लगाए ताकी दूसरी साईट पर ना जाना पड़े | ज्हा से लिया है उसका लिंक लगा सकते है | कोइ एतराज करेगा तो हटा सकते है | और वैसे भी आज तक किसी ने एतराज किया भी नहीं है |

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  3. सचमुच शर्म कैसे न हो? मनुष्य को कोई ऐसा काम नही करना चाहिए जिससे वह शर्मिन्दा हो।

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  4. भर पाए. राम राम.

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  5. अती से अती का समाधान नहीं होता। अती कभी अच्छी नहीं होती। कभी न कभी सभ्य समाज द्वारा नकार दी जाती है।

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  6. क्या करें जी!
    बड़े-बड़े टीवी चैनल शान से नंगापन परोस रहे हैं!

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  7. ऐसा लग रहा है की पूरा लेख किसी से खुन्नस खा कर लिखी गई है कोई भी बात ढंग से पेश नहीं की गई है | ऐसा नहीं है की लड़कियों के कपडे छोटे नहीं हो रहे है पर बार थोडा समझ कर लिखा जाये तो ठीक लगता है | साड़ी पहने जाने वाले देश में, जिसमे पूरी कमर पीठ और पेट के दर्शन होते है , कमर दिखाने वाले कपड़ो पर आपत्ति समझ से बाहर है राजस्थान गुजरात में सदियों से बैकलेस कपडे पहने जाते है वहा के गावो में आप को आज भी दिख जायेगा चेहरा घुघट में ढका और पीठ खुली केरल में भी और पूर्वोतर में भी ऐसे कपडे होते है जो उत्तर वालो के लिए अजीब हो सकते है | पता नहीं किस पत्नि ने मलाइका अरोरा जैसे कपडे पहन कर सब्जी मंडी जाने की बात कह दी महिलाए लड़किया पागल नहीं है उन्हें पता है की कहा पर कैसे कपडे पहन कर जाया जाता है | रही बात लोगों की तो कुछ लोग तो इतने घटिया होते है की दस बारह साल की बच्चियों को भी साफ नजर से नहीं देखते और उनके कपड़ो पर भी आपत्ति करने लगेगे | और इन लोगों को लड़को के कपडे कभी क्यों नहीं नजर आते है आज कल तो पैर दिखाने वाले निकर , सिने की चौड़ाई दिखाने वाले टाईट टी सर्ट या डोले शोले दिखने वाले छोटे बाजु काफी प्रचलित है लड़को में और याद है पैंट पहनने की वो स्टाइल लगता था की पैंट अब गिरी की तब गिरी | मलाइका की ड्रेस दिखाती है जान की लोअर नहीं दिखती इन चीजो पर कोई क्यों नहीं लिखता है |

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  8. राज भाटिया जी आप से नहीं लिखने वाले लेखक से असहमति है |

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  9. लेखक अपने मंतव्य को पुरी तरह स्पष्ट नहीं कर पाया ...इस तरह की वेश भूषा वही धारण करती हैं जो किसी नुक्कड़ या सड़क पर नहीं चलतीं ...यह सब टी० वी० या पिक्चर में ही दिखता है या उनके समाज की पार्टी में ...बड़े लोग बड़ी बातें ...

    शर्म अपने आप महसूस होती है किसी के कहने या लिखने से नहीं ...बल्कि जितना दबाव डाला जायेगा उतना ही विरोध दर्ज कर ऐसे कपड़ों को प्रोत्साहन मिलेगा ...
    गर पहनने वालों को शर्म नहीं तो देखने वालों को क्यों ?

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  10. बेशक ज़माना बदल रहा है । नारी भी घूंघट से निकल कर बाहर आ रही है ।
    पुरुष भी तो बाहर आ रहा है ( कमिंग आउट )।
    पुरुष प्रधान परिवेश में महिलाएं भी वही परोस रही हैं जो पुरुष चाहता है ।
    हालाँकि सही नहीं है ।

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  11. देख लीजिएगा...बहुत जल्द फिर से धरती पर आदिम युग आने वाला है.

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  12. अब कोई दूसरों को आंखॊं का सुख देना चाहे तो क्या कहें... शर्म है तो नज़रें नीची कर ले.. मजबूरी है:)

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  13. is nange pan mein sab se bada haath to media ki hi hai jahan se dekh dekh kar duniya bhi pagal hoti ja rahi hai....
    mere blog par bhi kabhi aaiye
    Lyrics Mantra

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नमस्कार, आप सब का स्वागत है। एक सूचना आप सब के लिये जिस पोस्ट पर आप टिपण्णी दे रहे हैं, अगर यह पोस्ट चार दिन से ज्यादा पुरानी है तो मॉडरेशन चालू हे, और इसे जल्द ही प्रकाशित किया जायेगा। नयी पोस्ट पर कोई मॉडरेशन नही है। आप का धन्यवाद, टिपण्णी देने के लिये****हुरा हुरा.... आज कल माडरेशन नही हे******

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मुझे शिकायत है !!!

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उन्होंने ईश्वर से डरना छोड़ दिया है , जो भ्रूण हत्या के दोषी हैं। जिन्हें कन्या नहीं चाहिए, उन्हें बहू भी मत दीजिये।