5/8/08

मुझे शिकायत हे,हिजडा.

हर आदमी के जीवन मे अनेक तरह की बिमारीया, दुख, सकंट आते हे, लेकिन जो हमे प्यार करते हे, या जिन्हे हम प्यार करते हे, इन बातो से डर कर हम उन का साथ नही छोड देते ओर ना ही वो हमे छोड्ते हे, ओर अगर साथ छोड दे तो यह प्यार झुठा हुया, ओर फ़िर मां वाप का प्यार तो कहते हे कभी झुठा नही होता, अगर यह सच हे तो .....
मुझे शिकायत हे उन मां वाप से जॊ एक शारिरीक कमी के कारण अपने बच्चे कॊ इस निष्ठुर दुनिया मे गलियो की खाक खाने के लिये . सिरफ़ अपनी झुठी इज्जत के कारण अपने ही दिल के टुकडे कॊ, पहले दिल से फ़िर हमेशा के लिये घर से निकाल देते हे, उस शारिरीक कमी मे उस बच्चे की कया गलती होती हे,जन्म के समय जो बच्चो मे कमीयां होती हे ज्यादा तर उस मे माता पिता की भी गलती होती हे, तो क्यो अपनी गलती की सजा अपने उस बच्चे को (जो हिजडे के रुप मे हे )देते हे, ओर रोना अपने कर्मो का,
ओर यही शिकायत अपने भारतिया समाज से भी हे क्यो नही इस तरह के मनुष को हम इज्जत से अपने पेरो पर खडा होने देते, क्यो इसे एक अलग पहचान देते हे, यह भी हमारी तरह से एक दिल रखते हे, दिमाग रखते हे इन कि भी भावन्ये हे,इन का भी दिल करता हे ओरो कि तरह से अपने घर मे अपने दोस्तो मे रहे, भारत ओर पाकिस्तान के सिवा इन लोगो को अन्य देशो मे बराबरी का हक हे, इन्हे अपने से अलग कर के पाप के भागी दारी मत बनो, इन्हे भी समाज का ही एक हिस्सा समझो, ओर जिन के घर ऎसे बच्चे जन्म ले उन्हे अन्य बच्चो की तरह से इन्हे भी घर मे जगह देनी चाहिये,इन्हे प्यार ओर साहनुभुति की जरुरत हे, जागो अभी भी जागो, पुरानी घिसी पिटी बातो मे मत जाओ, यह भी तो तुम्हारी हमारी तरह से जिते जागते इन्सान हे.
जो बद किसमत लोग इन्हे दुत्कारते हे, वह हमेशा बच्चो के लिये तरसते हे.

7 comments:

  1. आपका शिकयती ब्‍लाग अच्‍छा लगा, अब तो हमें भी शिकायत है कि अभी तक इसे छिपा कर क्‍यो रखा :)

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  2. कृप्या शिकायत के प्रेषक का नाम भी दें तो अच्छा.

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  3. हैरान हूँ राज जी की ऐसे लोग भी है इस दुनिया मे.....

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  4. is aur kbhi dhyan hi nahi gaya tha mera.. dhanyawad bhatiya sahab.. samaj ki is sachhai se bh iru ba ru karane ke liye..

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  5. राज जी
    आपने बहुत ही सही प्रश्न उठाया है। हम सबको इस विषय पर अवश्य ध्यान देना चाहिए। एक सही विचार देने के लिए धन्यवाद।

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  6. जो बद किसमत लोग इन्हे दुत्कारते हे, वह हमेशा बच्चो के लिये तरसते हे।


    सच ही कह रहे है आप।

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  7. समीर जी जरुर प्रेषक का नाम भी दे गे अभी तो मे खुद ही सोच कर लिख रहा हु जो मुझे अच्छा नही लगता, सोचता हू क्या ओर भी मेरी तरह से सोचते हे, ओर आप सब के विचार टिपण्णी के रुप मे पढ कर हिम्मत बढती हे,कुछ भी लिखता हु तो उसे दुसरे दिन शाम को ही देख पाता हु, सुबह पोस्ट अपने आप चली जाती हे,
    आप सब का बहुत बहुत धन्यवाद,
    भाई हम ने छिपा कर नही रखा अभी नया ही हे,धन्यवाद

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मुझे शिकायत है !!!

मुझे शिकायत है !!!
उन्होंने ईश्वर से डरना छोड़ दिया है , जो भ्रूण हत्या के दोषी हैं। जिन्हें कन्या नहीं चाहिए, उन्हें बहू भी मत दीजिये।