यह मेल मुझे आज प्रकाश गोविंद जी की तरफ़ से मिला, इस मेल मै ऎसी कॊइ बात नही जिसे से लगे कि यह प्राईवेट है, दुसरा कारण इसे मै इस लिये इस पोस्ट मै डाल रहा हू कि आप सब भी इसे पढ ले, क्योकि मेरे को एक बार प्रकाश जी ने कहा था कि ऎसी पहेली लाओ जिस से सब का सर चक्करा जाये, पिछली पहेली पर मेने सोचा था कि प्रकाश जी शाअयद जानबूझ कर नही आये ओर मेने उन्हे लिखा भी था कि भाई आओ ओर आज मोका है प्रथम विजेता बनने का, लेकिन मुझे नही मालूम था कि वो सख्त बिमार है, मै भगवान से प्राथना करता हु कि वो जल्द ठीक हो जाये, आप भी उन का मेल पढ ले...
ओर मै इन्हे इन की ईमान दारी से इन्हे भी जीत की बधाई देता हुं, ओर जल्द ठीक हो कर फ़िर से हमारे संग आये.
आदरणीय राज जी
अभिवादन !!!
आशा है आप सकुशल व प्रसन्न होंगे !
तबीयत ठीक न होने की वजह से मैं पहेली में हिस्सा नहीं ले पाया ! पता नहीं मुझे क्या हो गया है कि कभी लगता है बुखार है ... कभी सिर में दर्द और कभी इतना ज्यादा शरीर टूटता है कि बस चुप-चाप लेटे रहने की इच्छा होती है ! इधर मौसम भी मनचलों सा व्यवहार कर रहा है ... स्थिर ही नहीं हो रहा है एक जगह ... कभी बदली .. कभी पानी .. कभी तेज धुप ...कभी गजब की उमस !
पहेली मेरे लिए जूनून की तरह है ... चाहे जैसी पहेली हो ... चेस क्विज, क्रॉस वर्ड, सुडोकू, हर तरह की ! बेहिसाब इनाम भी जीते हैं ! आपकी इस बार की पहेली बेहद कठिन थी ! मैंने आपकी पहेली कल दोपहर करीब 3 बजे हल करने की सोची ! मैंने इमानदारी रखते हुए किसी भी प्रतिक्रिया को नहीं पढ़ा ! लगा रहा मिशन में ! किसी भी तरह कामयाबी नहीं मिली ! 5 बजे तक मैं लगभग भारत के एक-एक करके सारे म्यूजियम घूम चुका था ! सिस्टम बंद करके चला गया आराम करने लेकिन ये पहेली की बिमारी भी बहुत अजीब चीज है ! बस दिमाग में मूर्ति ही घूम रही थी ! करीब सवा छह बजे फिर से लग गया ढूँढने ! कब साढ़े सात बज गए पता ही नहीं चला ! इतना खोजने के बाद भी कुछ हासिल नहीं हुआ ! एक बार फिर सिस्टम बंद करके चला गया चाय वगैरह पीने !
मन में सोच रहा था कि आखिर ये मूर्ति मिल क्यों नहीं रही है ....... कहीं ये विदेश में तो नहीं है ! लेकिन मैंने जिस तरह सर्च किया था .. उस तरह तो कहीं भी होती दिख जाती ! ये भी सोच रहा था कि अच्छा हुआ कि मैं प्रतियोगिता में शामिल नहीं हुआ वरना वाकई दिमाग का बाजा बज जाता !
खैर रात दस बजे एक बार फिर से आपके ब्लॉग पर आया ! अब की बार आपका हिंट पढ़ा जिसमें आपने लिखा था कि यह विश्व प्रसिद्ध संग्रहालय है ! तब मैंने मनोरमा ईयर बुक में सारे संग्रहालय की सूची देखी ! उसमें लिखे करीब १६-१७ को चेक किया लेकिन कहीं नहीं मिला ! एक अलग से पैराग्राफ में कुछ और संग्राहालय के नाम लिखे थे उसी में Nilambur का भी जिक्र था उसके बारे में लिखा था वर्ल्ड फेमस टीक म्यूजियम !
बस राज साहब रात के दस चालीस बजे मुझे जवाब मिल चुका था ! चलिए आपसे शाबाशी नहीं मिली .. कोई बात नहीं ... दिल संतुष्ट हो गया कि मैं हारा नहीं !
बाद में देखा तो मेरी तरह सभी परेशान हुए ! वाकई बहुत कठिन थी ये पहेली !
प्रकाश गोविन्द
प्रकाश गोविन्द जी की साफगोई पसंद आयी। उनका जज्बा आपकी पहेली की लोकप्रियता का प्रमाण है।
ReplyDeleteप्रकाश जी को जीत की हमारी तरफ से भी बधाई.
ReplyDeleteशीघ्र स्वास्थ लाभ करके आयें. आपके बिना पहेली का हल करना मजा नहीं देता. जरा हराने का मजा भी तो कोई चीज है मेरे भाई!! :)
आओ, इन्तजार करते हैं.
प्रकाश जी शीघ्र स्वस्थ होकर दुगुने जोश से लौटें -यही कामना है !
ReplyDeleteप्रकाश जी के स्वस्थता के लिये दुआ है
ReplyDeleteप्रकाश जी को जीत की हमारी तरफ से भी बधाई, उनके स्वास्थ्य के लिए इश्वर से प्रार्थना है की वे जल्द ही पूर्ण रूप से स्वस्थ हो जाएँ.
ReplyDeleteregards
apne ko paheli me toh kuchh samajata nahin lekin paheli ki saheli is patra me bahut anand aaya ...
ReplyDeletechalo ji..anand aana chahiye
kaise bhi aaye...ha ha ha ha ha ha ha ha
प्रकाशजी के शिघ्र स्वास्थ्य लाभ की कामना है, उनका इंतजार रहेगा.
ReplyDeleteरामराम.
prakash ji ki paheli me bhag lene ki ichcha jald hi puri ho.
ReplyDeletebhagwaan jald unhe thik kar de.
भाटिया जी, ये सब आपकी और ताऊ की पहेलियों का जादू है जो कि लोगों के सिर चढकर बोल रहा है..प्रकाश जी को जीत की बधाई!
ReplyDeleteवाह प्रकाश जी..वाह..
ReplyDeleteमोबाईल पर आपका मेल पढ़ा तो आश्चर्य हुआ कि मुझे शुभकामनाएं किस बात की ?
ReplyDeleteइंटरनेट पर आपकी पोस्ट देखी तो समझ में आया !
आपने तो दर्द-ए-दिल आम कर दिया !
सच्ची बोलूं तो बहुत अच्छा लगा !
कमबख्त ऐसा भी क्या बीमार पड़ना कि कोई हाल भी न पूछे !
सबसे अच्छा तो ये लगा कि मेरी गुमनाम सी कोशिश व मेहनत को सराहा गया !
इधर विश्वस्त सूत्रों से ज्ञात हुआ कि मुझे वायरल फीवर जैसा कुछ हो गया है ! आपने लिखा है कि "भारत में नकली दवाएं मिलती हैं .. इनसे बचकर रहना" बस राज साहब आपकी बात को ध्यान में रखकर अंग्रेजी दवाओं की जगह घर में ही "काढा" बनवाया ! (शायद आप काढा न जानते हों लेकिन हमारी कई पुश्तों से ये चला आ रहा है .... रसोई से दूर रहता हूँ इसलिए डिटेल नहीं बता सकता बस इतना मालूम है कि तुलसी. काली मिर्च, सोंठ जैसी बहुत सारी चीजों को मिलाकर बनता है ) इसके अलावा मैंने सावधानीवश तांत्रिक को भी दिखाया तो उसने सलाह दी कि कुछ बुद्धिमान टाईप के पापियों से मुकाबला करो .. शीघ्र लाभ होगा .... बस अब तो अगली पहेली का इन्तजार है !
प्रिय समीर जी आप यकीन मानिए आपको जितना आनंद जीतकर आता है हमें भी उसका दोगुना आनंद आप जैसे धुरंधरों से हार के आता है ! थोडा अरसा पहले आपने एक व्यंग लिखा था "क्या बूझूँ, क्या याद करुँ" ... याद है आपको ? वो मेरी पसंदीदा पोस्ट थी ... भले ही मैंने कोई प्रतिक्रिया न दी हो लेकिन उसे दर्जनों बार पढ़ा ....... सच में उसे पढ़कर मेरा मन बेहद आनंदित हुआ था ! आपसे बहुत कुछ सीखने को मिलता है (यह भी प्रेरणा मिली कि जानदार और शानदार लिखने के लिए 'विल्स' का उपयोग निहायत जरूरी है बस समीर जी स्वस्थ होते ही ये भी ट्राई करूँगा)
शरीर बहुत थका हुआ लग रहा है .... देखता हूँ कब तक जारी रहता है !
अशोक पाण्डेय जी, समीर जी, अरविन्द मिश्र जी, धीरज शाह जी, सुश्री सीमा जी, अलबेला खत्री जी, सर्वप्रिय ताऊ जी, विनोद कुमार पांडेय जी, Pt.डी.के.शर्मा"वत्स" जी और रंजन जी का दिल से आभार व्यक्त करता हूँ !
आज की आवाज
ਪਹਕਾਸ ਜੀ ਅਸਲ ਮੇ
ReplyDeletePrakash Ji asal me to aap hi winner huye kyunki itni mehanat to aap hi ne ki baaki maine to inhi ka jawab inhi ko de diya tha ha ha ha congratulation
ReplyDeleteप्रकाश जी को जीत के लिये बधाई ाउर उनके स्वास्थ्य के लिये शुभकामनायें आप्का भी धन्यवाद इस सुन्दर पोस्ट के लिये
ReplyDeleteप्रकाश जी से मेरी दो दिन पहले मोबाइल पर बात हुई थी, तब ऐसा नहीं लगा कि वे बीमार हैं। किसी भी काम के प्रति उनका समर्पण अदभुत है। वे जल्द से जल्द स्वस्थ हों, यही हमारी कामना है।
ReplyDelete-Zakir Ali ‘Rajnish’
{ Secretary-TSALIIM & SBAI }
शीघ्र स्वास्थ्य लाभ के लिए शुभकामनायें
ReplyDeleteप्रकाश गोविन्द जी स्वस्थ हों ,सक्रिय होकर पहेली में भाग ले ,यही शुभकामना है .
ReplyDeleteआदरणीय अल्पना जी का हार्दिक आभार !
ReplyDeleteवैसे बीमारी के कई फायदे भी हैं !
चिंतन-मनन का अवसर तो मिलता ही है ... साथ में पढ़ना भी भरपूर हो जाता है !
इधर कई किताबें पढ़ डालीं ... चार्ली चैपलिन की आत्म-कथा, खुशवंत सिंह के जोक्स, राजेश जोशी की कवितायेँ !
एक किताब वो भी पढ़ डाली जो मैंने चार साल पहले खरीदी थी - शिव खेडा की "जीत आपकी" .
आम तौर पर 'स्वेट मार्डन' टाईप किताबें मुझे बोर करती हैं ... लेकिन इस किताब को पढ़कर अच्छा लगा !
राज जी आपने तो ये किताब बहुत पहले ही पढ़ ली होगी ?
प्रकाश जी जल्दी ठीक हो जाएँ यही हमारी भी कामना है.
ReplyDeleteswasthya jaldi thik ho yahi shubkamnaye.
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