10/21/09
टांग जो खिंचे उसे भगाओ
इस चित्र को बडा कर के देखे ओर भी सुंदर लगेगा, ओर यह समुंद्री पक्षी, पत्थर भी उठा कर ला रहे है इन्हे मारने के लिये
ब्लांग जगत मै मेने कई ऎसे ब्लांगर देखे है जो खाम्खा मै दुसरो से पंगा लेते है, बिन बात दुसरे के बारे सही बात भी गलत बात सिद्ध करना चाहते है, अगर कोई टिपण्णी थोडी आलोचक ढंग से दे देते, टिपण्णी देने वाले या लेने वाले को तो कोई दिक्कत नही होती लेकिन किसी तीसरे को पता नही क्यो जलन होने लगती है.
कई लोग नकली प्रोफ़ाईल बना कर, तो कोई दुसरे के नाम से मिलता जुलता ई मेल बना कर हम सब को तंग करते है, ओर लोग भी कब तक चुप रहे कब तक सहे......
ऎसे लोगो को जो दुसरो को उलझा कर बिन बात के बहस बना कर अपना काम तो चला लेते है, लेकिन दुसरो के दिल पर क्या बीतती है उन्हे इस बात का ख्याल नही रहता, ओर शरीफ़ आदमी दिल ही दिल मै कुढता रहता है, अपनी बेज्जती समझता है.. ओर ऎसे निक्कमे बात का बतंगड बनाने वाले आदमी को कहते है टांग खिंचू...... जो दुसरो के सुख चेन मै आग लगाये ओर फ़िर जब बहस का समय आये तो टिपण्णियां तो भरपुर ले ले लेकिन चुपके से निकल जाये उस बहस से, या फ़िर बेनामी या नकली नाम से बीच बीच मे आग मै घी डालने का काम करता रहे...
आप ऊपर वाला चित्र देख रहे है.... यह आदमी भी तो इन समुंद्री पक्षियो के सुख चेन को लुटने आया है ना... ओर सब पक्षी मिल कर उसे भगा रहे है.......... तो आओ हम भी ऎसे टांग खिंचू लोगो को भगाये, उन की किसी बकवास पर ध्यान ही ना दे, उन के ब्लांग पर ही ना जाये, अगर वो कोई टिपण्णी हमारे ब्लांग पर दे तो उस पर ध्यान ना दे, तो कोई प्रति किर्या ना करे...
तो आईये हम सब मिल कर इन्हे टांग मारे ओर भगाये..
ब्लांग जगत मै मेने कई ऎसे ब्लांगर देखे है जो खाम्खा मै दुसरो से पंगा लेते है, बिन बात दुसरे के बारे सही बात भी गलत बात सिद्ध करना चाहते है, अगर कोई टिपण्णी थोडी आलोचक ढंग से दे देते, टिपण्णी देने वाले या लेने वाले को तो कोई दिक्कत नही होती लेकिन किसी तीसरे को पता नही क्यो जलन होने लगती है.
कई लोग नकली प्रोफ़ाईल बना कर, तो कोई दुसरे के नाम से मिलता जुलता ई मेल बना कर हम सब को तंग करते है, ओर लोग भी कब तक चुप रहे कब तक सहे......
ऎसे लोगो को जो दुसरो को उलझा कर बिन बात के बहस बना कर अपना काम तो चला लेते है, लेकिन दुसरो के दिल पर क्या बीतती है उन्हे इस बात का ख्याल नही रहता, ओर शरीफ़ आदमी दिल ही दिल मै कुढता रहता है, अपनी बेज्जती समझता है.. ओर ऎसे निक्कमे बात का बतंगड बनाने वाले आदमी को कहते है टांग खिंचू...... जो दुसरो के सुख चेन मै आग लगाये ओर फ़िर जब बहस का समय आये तो टिपण्णियां तो भरपुर ले ले लेकिन चुपके से निकल जाये उस बहस से, या फ़िर बेनामी या नकली नाम से बीच बीच मे आग मै घी डालने का काम करता रहे...
आप ऊपर वाला चित्र देख रहे है.... यह आदमी भी तो इन समुंद्री पक्षियो के सुख चेन को लुटने आया है ना... ओर सब पक्षी मिल कर उसे भगा रहे है.......... तो आओ हम भी ऎसे टांग खिंचू लोगो को भगाये, उन की किसी बकवास पर ध्यान ही ना दे, उन के ब्लांग पर ही ना जाये, अगर वो कोई टिपण्णी हमारे ब्लांग पर दे तो उस पर ध्यान ना दे, तो कोई प्रति किर्या ना करे...
तो आईये हम सब मिल कर इन्हे टांग मारे ओर भगाये..
नाम
शिकायत
36 comments:
नमस्कार, आप सब का स्वागत है। एक सूचना आप सब के लिये जिस पोस्ट पर आप टिपण्णी दे रहे हैं, अगर यह पोस्ट चार दिन से ज्यादा पुरानी है तो मॉडरेशन चालू हे, और इसे जल्द ही प्रकाशित किया जायेगा। नयी पोस्ट पर कोई मॉडरेशन नही है। आप का धन्यवाद, टिपण्णी देने के लिये****हुरा हुरा.... आज कल माडरेशन नही हे******
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आपकी इस शिकायत पर एक शे'र अर्ज़ है -
ReplyDeleteहै पता हमको वहां पर कुछ नया होगा नहीं
हाथ में हर चीज़ होगी आइना होगा नहीं।
आपकी शिकायत तो वाजिब है...
ReplyDeleteवैसे एक शिकायत तो मुझे भी है... लविज़ा के ब्लॉग का URL बदल गया है.. और आपने उसे अभी तक अपने Blog List में अपडेट नहीं किया :)
नया URL http://blog.laviza.com है.
न देखिये उनकी तरफ...खुद ही ठप्प हो जायेंगे.
ReplyDeleteसही कहा आपने...ऐसे लोगों से दूर रहना ही बेहतर है
ReplyDeleteWhat An !DEA SIR JI !!
ReplyDeleteसत्य वचन राज जी,
ReplyDeleteअगर हर ब्लॉग पर इन्हें ऐसी ही भिगो-भिगो कर पड़ती रहीं तो फिर ये इधर झांकना ही बंद कर देंगे...
जय हिंद...
बिल्कुल सही बात कही है।
ReplyDeleteअपने बिल्कुल सही कहा..ऎसे लोगों से तो दूरी ही भली ।
ReplyDeleteविचार तो अच्छा है ...!!
ReplyDeleteनज़रअन्दाज करना ही हल है.
ReplyDeleteहम सात आठ हैं तो भी साथ साथ है !
ReplyDeleteटांग खेंचू लोगो की तरफ झांकना ही बंद कर देना चाहिए जब कहीं से भाव नहीं मिलेगा तो अपने आप शांत हो जायेंगे | ऐसे लोगों का सबसे बढ़िया इलाज है इनका बहिष्कार |
ReplyDeleteबिल्कुल सही बात कह रहे हैं आप!
ReplyDeleteटांग खीचने वालों की टांग ही तोड़ देंगे जी अपन तो।
हनुमान जी ने भी तो यही किया था - "जिन मोहि मारा ते मैं मारे"
आप इनसे दुखी मत होइए, संसार में पाप और पुण्य, राम और रावण साथ ही रहते हैं। बस प्रयास रहे कि उनका असर कम हो।
ReplyDeleteक्या भाटिया साहब , इन ख़ूबसूरत पक्षियों से हमारी तुलना, हे राम !!
ReplyDeleteबात तो आपकी सोलहो आने सच्ची है |
ReplyDeleteपर तंग खींचू बड़े थेथर हैं ... अब तक यही लगता है की वो आसानी से नहीं मानने वाले ..
WAAH TASVEER TO BAHUT SUNDAR HAI,US WYAQTI PAR PAKSHIYON KA KOI ASAR NAHI DIKH RAHAA HAI WO TO ENJOY KAR RAHA HAI AISE HI TANG KHENCHU ENJOY KARTE HAI<
ReplyDeleteइनकी तरफ ध्यान मत दीजिए, ये खुद ब खुद खत्म हो जाएंगे
ReplyDeleteमजेदार चित्र है भाटिया जी ..........
ReplyDeleteवैसे आपने सच कहा .......... अपना काम करे चलें ऐसे लोगों पर क्या ध्यान देना ...........
आप ठीक कहते हैं। मगर क्या इसका इलाज़ संभव हैं?
ReplyDeleteमाँ ने कहा था ओ बेटा ...एक चुप सौ को हरावे ...कहने दीजिये उन लोगो को ...हमें तो अपना काम करना है बस ...
ReplyDeleteबिल्कुल सही कहा आपने, अति उत्तम विचार ।
ReplyDeleteआओ हम भी ऎसे टांग खिंचू लोगो को भगाये, उन की किसी बकवास पर ध्यान ही ना दे, उन के ब्लांग पर ही ना जाये, अगर वो कोई टिपण्णी हमारे ब्लांग पर दे तो उस पर ध्यान ना दे, तो कोई प्रति किर्या ना करे...
ReplyDeleteतो आईये हम सब मिल कर इन्हे टांग मारे ओर भगाये..
कुछ ऐसा ही तो मैं अपने ब्लॉग की पोस्ट की छोटी सी रचना "महत्त्व / महत्वहीन" में कहने की कोशिश की है....
महत्त्व / महत्वहीन
देना न महत्त्व कभी उनको जो
हैं हिंसा फैलाने को अकुलाते
हो महत्वहीन ये अतिवादीगण
किस भांति रहेगें तब इठलाते
चन्द्र मोहन गुप्त
जयपुर
www.cmgupta.blogspot.com
tang khichne vale bhul jate hai ki uni bhi do tange hoti hai .vaise aise logo ko muskra ke tal dena chahiye .
ReplyDeleteया रब, इतनी जालिम मुर्गाबियाँ?
ReplyDeleteहम्म्म्म
ReplyDeleteतो ये टिप्पणीकार पक्षी हैं
:-)
इस चित्र का बहुत अच्छी बात कहने के लिये उपयोग किया है आपने ।
ReplyDeletetasvir ke madhyam se ek updesh prastut kiya gaya jo aham hai ,chandra mohan ji bhi apni line me achchhi bate kah gaye .sundar .
ReplyDeleteलाख टके की बात बताई है आपने। आभार।
ReplyDeleteवैज्ञानिक दृष्टिकोण अपनाएं, राष्ट्र को प्रगति पथ पर ले जाएं।
ांआपकी सलाह बिलकुल सही है। धन्यवाद और शुभकामनायें
ReplyDeleteआज की दुनिया का सबसे लोकप्रिय खेल हो गया है टाँग खिंचाई...लोगो को दूसरों को परेशान करने में बड़ा मज़ा आता है यह सब इसीलिए लोग करते है...बढ़िया चर्चा..धन्यवाद!!!
ReplyDeleteभाई राज जी आप अच्छे मुद्दे उठाते हैं।
ReplyDeleteबाबा तुलसी की बात उद्धृत कर रहा हूं
बन्दऊ संत असज्जन चरना,दुखप्रद उभय बीच कछु बरना
बिछुरत एक प्रान हर लेहिं ,मिलत एक दुख दारुण देहिं
२
जाको चाहिये मारना ,मन से देओ उतार
मैं ब्लॉग पर ऐसी टिप्पणी देने वालों को ignor करता हूं व सज्जनों को याद बस -गलत टिप्पणी को पड़ा रहने दें कुछ दिन कोई जवाब न दें वह गलत टिप्पणी देने वाला दुखी होकर भाग जाता है खुद ब-खुद।
चित्र अच्छा है
ReplyDeleteबात सच्ची है
लड़ें वे जिनकी
समझ कच्ची है।
श्याम सखा 'श्याम' जी ने तो कह ही दिया .बाबा तुलसीदास तक नहीं छोडे गए . उन्हें भी उनकी वंदना करनी पडी .
ReplyDeleteलेकिन अब थोडा आसान हो गया है. कुछ दुर्गंधों को हटाया नहीं जा सकता . सिर्फ नाक बंद कर निकला जा सकता है .व्यवहारिकता यही है .
बाकी आप का दिया चित्र तो सब कह देता है .
aapki baton se sahmat hun main....aapke blog par aake sukhad anubhav hua..mere blog par aapka swagat hai......
ReplyDeleteमज़ा आगया भाटिया जी ! बड़े मूड में लिखा है आपने ....मैं भी सहमत हूँ !
ReplyDeleteशुभकामनायें