11/11/09

वो कोन था??

मै भुत प्रेत को नही मानता, लेकिन कभी कभी हमारे साथ कुछ ऎसा घट जाता है कि हमे समझ नही आता कि यह भर्म है या कुछ ओर.... लेकिन यह है क्या??आज जी.के. अवधिया जी के ब्लांग पर एक लेख पढा तो मुझे यह घटना याद आ गई, पहले सोचा कि इस घटना को टिपण्णी के रुप मे दे दुं... लेकिन जब टिपण्णी बहुत बडी हो गई तो इसे यहां लेख का रुप दे दिया... आप बताईये यह भर्म था, या कोई आद्र्श शाक्ति ??

मेरे पिता जी दिल्ली सर्विस करते थे, हम लोग रोहतक मै रहते थे, रोहतक बहुत से लोग रोजाना दिल्ली आते जाते है, पिता जी ७,३० तक घर आ जाते थे, कभी कभार ही ९ बजते थे, ओर हमारे घर के बिलकुल सामने पार्क था, हम सब पार्क मे खेलते थे, एक दिन पापा १० बजे तक घर नही आये, ओर सब लोग अपने अपने घर चलेगे, मै मां के पास बेठ गया ओर उस रास्ते को देखने लगा जिस से पापा आते थे, करीब १०,३० बजे पापा दुर से आते दिखाई दिये, फ़िर साईकल से हमारे पास से गुजर कर घर के सामने अपनी साईकिल पार्क की ओर अंदर घर मै चलेगे,

तब तक मै ओर मां भी घर मे आ गये, उस समय हमरे पास एक ही कमरा किरये का था, तो मां पिता जी को समबोधित कर के बोली, लेकिन कोई जबाब नही आया तो मां ने उस तरफ़ देखा जहा पापा रोजाना बेठते थे, मै भी बाहर बेठा था, तो मां ने मुझे आवाज दी कि बेटा यह चाय अपने पापा को दे दो, मेने कहा मां पापा तो अंदर ही है, फ़िर हम ने देखा पापा कही भी नही थे, ओर साईकिल भी नही, मां ने मुझे पुछा तुम ने पापा को देखा था ना, मेने हां कहा, फ़िर मां ने कहा हा मेने भी देखा था... फ़िर हम ने पुछ ताछ शुरु की, करीब १२ बजे हमे खबर मिली की उस ट्रेन का बहुत बुरी तरह से एकसीडॆंट हो गया, ओर करीब ८० लोग मर गये है, ओर हजारो घायल हो गये है, फ़िर हम सब को बहुत फ़िकर हुयी अब केसे जाये उस जगह पर, सभी लोग इकट्ठे हो गये.....

उस साईकिल वाले को दो लोगो ने ओर भी देखा था, करीब १,३० बजे पिता जी अपनी साईकिल से आ गये, ओर उन्होने बताया कि पहले मै इसी ट्रेन मै बेठा था, लेकिन मुझे किसी ने आवाज मारी, मुझे लगा कि मेरा बेटा मुझे बुला रहा है, मै उसे देखने नीचे उतरा तो ट्रेन चल पडी थी, इस कारण मै दुसरी ट्रेन से आया हुं पहली ट्रेन का एक्सीडेंट होने के कारण हमारी टएन को भी रुकना पडा.... अब हम मां बेटा को जो दिखा वो कोन था? ओर मेरे पिता जी को जिस ने आवाज मार कर ट्रेन से उतारा वो कोन था?

25 comments:

  1. Actually..main bhi bhoot pret me bilkul vishwaas nahi karti...par is tarah ki ghatnaayen kayee logon se suni hain...uljhan me daal deti hain ye baaten...par aatmaayen kisi ko pareshaan nahi kartin...aisa vishwaas hai mera.

    ReplyDelete
  2. kuchh aisi ulatbaansiyan bhi hain raaj ji !

    jo kabhi kisi ki samajh me nahin aati.......

    ReplyDelete
  3. अनुभूतियों का मामला है सब कुछ।

    ReplyDelete
  4. महफूज़ भाई से सहमत हूँ !

    ReplyDelete
  5. दिलचस्प अनुभव, मैं भी महफूज़ भाई से सहमत हूँ !

    ReplyDelete
  6. kuchh baten hamari samjh se pare hain.
    yah kissa bhi kuchh aisa hi hai.

    ReplyDelete
  7. भाटिया जी, हम लोग इस छोटे से दिमाग के बूते अपने सर्वज्ञानी मानने लगते हैं ओर सोचते हैं कि जो दिमाग ने कह दिया सिर्फ वही सच है । लेकिन ये नहीं जानते कि इस बुद्धि के परे भी ऎसा कुछ है..जहाँ तक शायद हम युगों तक भी न पहुँच पाएं ।
    आपकी आपबीती भी इसी श्रेणी में आती है....

    ReplyDelete
  8. Kuch ghatnaaon ka koi jawaab nahi hota..lekin ye ghatnaayen hoti hain...
    jaise kuch chamatkaar hote hi rehte hain..
    hamein bas maan lena chahiye...
    theek vaise hi jaise Ishwaar ko kisne dekha lekin ham mantey to hain na...!!

    ReplyDelete
  9. राज जी,
    विश्वास और अंधविश्वास के बीच बड़ी महीन लकीर होती है...विज्ञान का स्नातक होने की वजह से हर चीज़ को तर्क के पैमाने पर तौलने की आदत है...हो सकता है हमारे मस्तिष्क में जो विचार चल रहा हो वही अर्धचेतनावस्था में कोई स्वरूप लेता दिखाई दे जाए...मैं कह नहीं सकता कि आपने, आपकी माताजी और कुछ और लोगों ने जो देखा वो क्या था...लेकिन विज्ञान का छात्र होने के नाते एक सवाल मुझे भी कचोटता है...वो ये कि भौतिक शास्त्र का नियम है कि ऊर्जा कभी नष्ट नहीं होती...बस एक रूप से दूसरे रूप में तब्दील हो जाती है...तो क्या हमारे शरीर में जो ऊर्जा होती है वो भी मौत के बाद स्वरूप बदल लेती है...और अगर बदल लेती है तो वो कौन सा रूप होता है...क्या उसे ही आत्मा कहा जाता है....

    जय हिंद...

    ReplyDelete
  10. ऐसी अक्सर होता है कि हम किसी को याद कर रहे होते हैं और तभी उसका फोन आ जाता है
    यह घटना भी उसका ही एक बड़ा रूप है
    यह क्यों होता है उसे तो वही बता सकता है जिसे सत्य का ग्यान हो
    हम सब तो सर्वशक्तिमान को प्रणाम ही कर सकते हैं।
    दिलचस्प घटना को हम सबसे बांटने के लिए धन्यवाद।

    ReplyDelete
  11. विश्वास हो या अंधविश्वास ...ऐसी घटनाएँ और आभास होते ही हैं ...बुद्धि से परे भी एक दुनिया है पराविज्ञान की ...!!

    ReplyDelete
  12. शायद इस दुनिया से परे भी कोई अद्रश्य शक्ति है ...ऐसे घटनाये ही हमे उनके होने का एहसास दिलाते है, हैरतंगेज वाक्या है...
    regards

    ReplyDelete
  13. राज जी,

    आप और आपकी माता जी ने जो कुछ भी देखा वह आप लोगों का अतीन्द्रिय बोध (Extrasensory perception) था। यह विषय परामनोविज्ञान (Parapsychology) के अन्तर्गत आता है और परामनोविज्ञान को पूरे संसार में मान्यता मिल चुकी है। चाहें तो मेरा यह पोस्ट देख सकते हैं अतीन्द्रिय बोध Extrasensory perception (ESP)

    ReplyDelete
  14. ऎसा भी होता है. आपके सदकर्म आपकी सहायता करते है

    ReplyDelete
  15. कुछ तो है, मेरा यह मानना है !

    ReplyDelete
  16. कुछ तो है जिस पर विज्ञान भी मौन है।

    ReplyDelete
  17. ऐसी घटनाएं ही विस्वास करने पे मजबूर करती है वाकई बहुत ही अविश्वसनीय घटना है !!!!

    ReplyDelete
  18. यह वाकया यही सिद्ध करता है कि बुद्धि और तर्क के परे भी कुछ ऐसा है जो हम समझने की सामर्थ्य नही रखते.

    रामराम.

    ReplyDelete
  19. जीवन में ऐसी कुछ घटनाएं देखने सुनने में आती है जिसका उत्तर किसी के पास नहीं होता। तब शायद एक ही उत्तर होता है - ऊपर वाले की मर्ज़ी!!!

    ReplyDelete
  20. कभी कभी कुछ ऐसी घटनाएं सुनने को भी मिलती है .. पता नहीं क्‍या है इसका रहस्‍य !!

    ReplyDelete
  21. बड़ा रोचक दिलचस्प मामला लगा.

    ReplyDelete
  22. मुझे तो विश्वास है कि कुछ तो है जो हमारी जानकारी मे नहीं है अभी। रोचक पोस्ट शुभकामनायें

    ReplyDelete

नमस्कार, आप सब का स्वागत है। एक सूचना आप सब के लिये जिस पोस्ट पर आप टिपण्णी दे रहे हैं, अगर यह पोस्ट चार दिन से ज्यादा पुरानी है तो मॉडरेशन चालू हे, और इसे जल्द ही प्रकाशित किया जायेगा। नयी पोस्ट पर कोई मॉडरेशन नही है। आप का धन्यवाद, टिपण्णी देने के लिये****हुरा हुरा.... आज कल माडरेशन नही हे******

Note: Only a member of this blog may post a comment.

मुझे शिकायत है !!!

मुझे शिकायत है !!!
उन्होंने ईश्वर से डरना छोड़ दिया है , जो भ्रूण हत्या के दोषी हैं। जिन्हें कन्या नहीं चाहिए, उन्हें बहू भी मत दीजिये।