1/30/10

हैंड पर फ्री धर दिया था हैंडफ्री

चित्र गूगल से साभार
 मुझे शिकायत है उन लोगों से जो ट्रेन में बैठे-बैठे अपने मोबाईल पर तेज आवाज यानि फुल वाल्यूम  पर गाने या संगीत सुनते हैं। अरे भाई  जब आपने मोबाईल खरीदा था तो कम्पनी ने उसके साथ ईयरफोन यानि  हैंडफ्री आपके हैंड पर फ्री में धर दिया था। उसका उपयोग क्यों नही करते हो? आजकल जो चाईनिज सैट भारतीय बाजार में आये हैं, उन्होंने तो मोबाईल फोन में इतना ऊंचा वाल्यूम  दिया हुआ है, कि अगर आप अपने घर में भी बजायेंगें तो गली-मोहल्ले के सभी घरों में आवाज सुनी जा सकती है। कुछ लोग (मेरी जान-पहचान वाले) तो अंग्रेजी गाने चलाते हैं और सचमुच में उन्हें हिन्दी गाने भी समझ में नही आते। 

कौन-कौन बजाते हैं लाऊड स्पीकर फोन पर संगीत :-
1> जिन्होंने नया फोन खरीदा है (खासतौर पर चाईनिज कम्पनी का)
2> नयी उम्र के लडके वहीं बजाते हैं, जहां कोई लडकी बैठी होती है
3> वो लोग जो अकेले बैठे हैं और बोर हो रहे हैं (जो नये या दूसरे लोगों से बात नही कर सकते)
4> जो दोस्तों के साथ पार्टी-शार्टी करके आये हैं (खुमारी अभी भी बाकी है)
5> जिन बेचारों को संगीत सुनने का वक्त ही नही मिलता है (जिनके घर में सुनना वर्जित है)
6> जो केवल अपने स्वास्थय (कानों) की चिंता करते हैं

परेशानी किन्हें होती है :-
1> जो सफर के दौरान पढना पसन्द करते हैं (अखबार, किताब पढकर समय बिताने वाले या विद्यार्थी)
2> जो सफर में सोना (नींद लेना) पसन्द करते हैं (बहुत से दैनिक यात्री रोजाना आठ घंटे का सफर भी तय करते हैं, बेचारों की एक तिहाई जिन्दगी तो रेलगाडी में गुजर जाती है। सुबह 6 बजे की ट्रेन पकडते हैं और 10 बजे तक अपने काम-धंधों पर पहुंचते हैं और शाम 6 बजे की ट्रेन पकडकर 10 बजे रात को घर पहुंचते हैं)
3> अस्वस्थ, थके-हारे, मानसिक तनाव ग्रस्त और वृद्ध लोग
4> दूसरे प्रदेशों के यात्री जिन की भाषा अलग होती है (कई लोग हरियाणवी गीत (रागणी) बजाते हैं, जो सबकी समझ में नही आती)
5> सबसे बडी बात अगर किसीको कोई आवश्यक काल आती है तो इस शोर के कारण  वो सुन ही नहीं पाते हैं
कुछ लोग तो आवाज कम करने की बात कहने पर झगडने लगते हैं। आप बतायें ऐसे लोगों का क्या किया जा सकता है?????
यह अनुभव सिरसा एक्सप्रेस ट्रेन के हैं, जिसका मैं दैनिक यात्री हूं।

21 comments:

  1. बहुत सुन्दर, Simply gr8, बात बहुत छोटी है लेकिन हमारे लोग इसका बिलकुल भी ध्यान नहीं रखते !

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  2. अच्छी नब्ज पकड़ी है जी!
    बहुत मीठी मार मारते हो!

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  3. बिल्कुल सही मुद्दा उठाया है आपने राज जी! आजकल गाने तो गाने कम और शोर ज्यादा होते हैं। पर क्या करें उन्हें बजाने से रोकने के लिये सिर्फ उनसे अनुरोध ही तो कर सकते हैं।

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  4. आपने बड़ी अच्‍छी जानकारी दी कि अधिक तेज आवाज वाले मोबाइल मेड इन चाइना होते हैं। अब कोई बजाएगा तो उससे पूछ लेंगे कि क्‍यों भाईसाहब आपका मोबाइल मेड इन चाइना है क्‍या? यदि वह बोलेगा कि नहीं तो, तो आप कहेंगे कि इतनी तेज आवाज तो चाइना के मोबाइल की ही होती है।

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  5. सच है भाटिया जी .......... दरअसल अधिकतर लोग इस बात से कोई मतलब नही रखते की किसी को तकलीफ़ हो सकती है ऐसी बातों से ......... बस अपना अपना देखने की आदत होती जा रही है ..........

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  6. अपने से कमजोर हो तो धमाकाओ, ताकतवर हो तो बिनती करें...

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  7. .... बिलकुल सही समस्या की ओर ध्यान केंद्रित किया है.... प्रभावशाली अभिव्यक्ति ..... ऎसे अव्यवहारिक लोगों को प्रेम से ही समझाया जा सकता है, प्रेम की भाषा तनिक कठोर भी हो सकती है!!!!!

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  8. आदरणीय संजय जी
    क्या यह सामंती फार्मूला सही रहेगा।
    कमजोर और ताकतवर को कैसे परिभाषित करेंगें? हल्के-पतले शरीर वाले भी आक्रामक हो सकते हैं। उनके साथ ग्रुप हो सकता है।
    (वैसे आज के समय में हथियारबंद और समूह ही ताकतवर है)
    दूसरी बात जो ताकतवर है, जरुरी नहीं कि वो विनती सुनेगा। ज्यादा चांस यही हैं कि वो अपने मनोरंजन के बारे में ही सोचेगा।

    प्रणाम स्वीकार करें

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  9. हमारी स्वतंत्रता वहीं खत्म हो जाती है जहाँ से दूसरे की स्वतंत्रता का हनन शुरू होता है.
    ...अच्छी पोस्ट.

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  10. भाटिया जी, लोग भी कहाँ समझते हैं....हर आदमी सिर्फ अपने मन की करने में लगा है.

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  11. अभी पिछले दिनों एक से झड़प होते-होते बची। रात में बिगड़े नवाब रेल की सीटी जैसी आवाज में गाना सुन कम सुनवा ज्यादा रहे थे। लोग बुड़बुड़ा रहे थे पर बोल कोई नहीं रहा था। आखिर मुझे उठ कर जाना पड़ा। समझाने पर उसे ऐसा लग रहा था जैसे उसकी बेइज्जती हो रही हो। खैर बात ज्यादा नहीं बढी और आवाज धीमी हो गयी।

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  12. बिल्कुल सही, मुंबई में लोकल में अक्सर ही चीनी मोबाईलों से गाने सुनने को मिलते हैं, "शिरडी वाले सांई बाबा...."

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  13. समस्या पर सटीक दृष्टि डाली है ...
    क्या ऐसा नही हो सकता कि तेज आवाज़ में गाना सुनने वाले को कहा जाय कि आप इस गायक से भी बहुत अच्छा गाना गाते हैं जरा गा कर तो बताएं...उनका वोल्यूम तो निश्चित ही कम होगा ...!!

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  14. शायद हम हिन्दुस्तानियों की श्रवण शक्ति थोड़ी कमज़ोर होती है।
    तभी तो हम भगवन को भी याद करते हैं तो हजारों वाट का लाउड स्पीकर लगा कर।
    आदत डाल लो भैया, हम ऐसे ही हैं।

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  15. मैं दो साल तक दिल्ली से पानीपत तक का दैनिक यात्री रह चुका हूँ...इसलिए आपकी मुश्किल समझ सकता हू

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  16. -"आप बतायें ऐसे लोगों का क्या किया जा सकता है?"

    -इन्हें ट्रेन से नीचे फेंक देना चाहिये (लेकिन पहले चैक कर लें कि ट्रेन अच्छे से चल रही हो).

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  17. जरुरी बात कही है.

    उन्हें प्रेम से ही समझाया जा सकता है. वैसे किसी ख़ास वक़्त पर ही ऐसे लोग समझने को तैयार होते हैं.

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  18. bilkul satya hai....
    logon ko show off karne mein bada maja aata hai, bhale hi koi pareshan hota ho.

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  19. इस समस्या का एक ही हल है कान में रूई डाल ले | इसके अलावा कोई रास्ता नहीं है | यह समस्या तो सभी जगह पैर पसार चुकी है मैं ने तो अपनी दूकान में एक स्लोगन लिख रखा है | "मै एक रूपया दूँगा भिखारी समझ कर अगर आप अपने मोबाइल पर गाना बजा रहे है |"

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मुझे शिकायत है !!!

मुझे शिकायत है !!!
उन्होंने ईश्वर से डरना छोड़ दिया है , जो भ्रूण हत्या के दोषी हैं। जिन्हें कन्या नहीं चाहिए, उन्हें बहू भी मत दीजिये।