"कुछ लोग तो आवाज कम करने की बात कहने पर झगडने लगते हैं। आप बतायें ऐसे लोगों का क्या किया जा सकता है?????"
इस बारे में आप सबका अमूल्य विचार और सलाह देने के लिये हार्दिक धन्यवाद। आप सभी मित्रों के कहे अनुसार प्रेम और अनुरोध ही इस समस्या का सही समाधान है।
अब मैं अपने पास एक हैंडफ्री जरूर रखता हूं और जैसे ही कोई पास बैठा व्यक्ति तेज आवाज में गाना बजाता है, तो उसे हैंडफ्री देकर कहता हूं कि अगर आपके पास हैंडफ्री नही है तो आप इसका उपयोग कर सकते हैं। मेरी वाली हैंडफ्री बेशक किसी के फोन के अनुकूल ना हो, तब भी सामने वाला समझ जाता है और खुद-ब-खुद आवाज कम कर लेता है। अगर उसके पास अपनी हैंडफ्री है तो वह उसका सदुपयोग करने लगता है।
"अब कोई बजाएगा तो उससे पूछ लेंगे कि क्यों भाईसाहब आपका मोबाइल मेड इन चाइना है क्या? यदि वह बोलेगा कि नहीं तो, तो आप कहेंगे कि इतनी तेज आवाज तो चाइना के मोबाइल की ही होती है"
आदरणीय
संजय बेंगाणी जी की टिप्पणियां पढना (किसी भी पोस्ट पर) मुझे बहुत भाता है, क्योंकि उनकी बात कम शब्दों में और दो टूक होती है। लेकिन यह वाली बात मैं समझ नही पाया, या यूं कह सकता हूं कि मेरे विचारों से मेल नही खाती है -
"अपने से कमजोर हो तो धमाकाओ, ताकतवर हो तो बिनती करें..."
अपनी इस टिप्पणी के लिये मैं क्षमाप्रार्थी हूं -
"आदरणीय संजय जी
क्या यह सामंती फार्मूला सही रहेगा।
कमजोर और ताकतवर को कैसे परिभाषित करेंगें? हल्के-पतले शरीर वाले भी आक्रामक हो सकते हैं। उनके साथ ग्रुप हो सकता है।
(वैसे आज के समय में हथियारबंद और समूह ही ताकतवर है)
दूसरी बात जो ताकतवर है, जरुरी नहीं कि वो विनती सुनेगा। ज्यादा चांस यही हैं कि वो अपने मनोरंजन के बारे में ही सोचेगा"
भारत में हैं या जर्मनी में
ReplyDeleteचीन वाले खरीदार के साथ-साथ अन्य लोगों का भी ध्यान रखते हैं!
ReplyDelete"अब मैं अपने पास एक हैंडफ्री जरूर रखता हूं और जैसे ही कोई पास बैठा व्यक्ति तेज आवाज में गाना बजाता है, तो उसे हैंडफ्री देकर कहता हूं कि अगर आपके पास हैंडफ्री नही है तो आप इसका उपयोग कर सकते हैं। मेरी वाली हैंडफ्री बेशक किसी के फोन के अनुकूल ना हो, तब भी सामने वाला समझ जाता है और खुद-ब-खुद आवाज कम कर लेता है। अगर उसके पास अपनी हैंडफ्री है तो वह उसका सदुपयोग करने लगता है।"
ReplyDeleteये तो बहुत अच्छा तरीका निकाला आपने!
भाटिया साहब यहाँ भी तो समस्या है ! अगर तीन चार मजनू इकठ्ठे आकर अपने अपने मोबाईल बजने लगे तो किस किस को हैण्ड फ्री बांटोगे ? :)
ReplyDeleteसही है ...... पर जब सब अपनी अपनी तूती बजाएँगे तो क्या होगा ...........
ReplyDeleteमैने तो सोचा आप छुट्टी पर हैं कई दिन से इधर आयी ही नहीं आप कहाँ हैं आजकल क्या गाँव नही आ रहे? हम भी हैंड फ्री ले लेते हैं धन्यवाद
ReplyDeleteजो ताकतवर है-वह तो विनयशील होगा न.?
ReplyDeleteव्यस्त समय में समय मिला..बढ़िया!
ReplyDeleteआपने चर्चा को आगे बढ़ाया, यह अच्छी बात है। मेरा सुझाव पसन्द आया इसके लिए आभारी हूँ। आप गानों की बात कर रहे हैं, एक बार तो एक बन्दा मोबाइल पर इतनी जोर से रात को 10 बजे बाद बात कर रहा था कि पूरे डिब्बे में कोई भी सो नहीं पा रहा था। जब उसकी वार्ता आधा घण्टे से भी ऊपर हो गयी तब लोगों के सब्र का बांध टूटा। उसकी प्रतिक्रिया थी कि मैंने भी 2 एसी के पैसे दिए हैं, आप मुझे रोक नहीं सकते। मानो 2 एसी के टिकट लेने पर आप रात भर शोर मचाएंगे। मुझे लगा कि यह इंसान पहली बार एसी में बैठा है।
ReplyDeleteसार्वजनिक स्थानों पर मोबाइल पर फूहड़ गाने बजा़ कर असभ्यता से खीसे निपोरना आम बात है.ये उस केटागोरी के लोग हैं जो दूसरों की तकलीफ में अपना मनोरंजन ढूंढ्ते हैं. या फिर उन्हें एक अजीब भ्रमात्मक सुख होता है कि आसपास के सभी लोग उसके उत्कृष्ट गाने को सुन मन ही मन मुग्ध हो रहे हैं । अब हर जगह और हर किसी को जूतियाना तो संभव नहीं...
ReplyDeleteयह कामन सिविक सेंस होता है जो हम भारतीय़ों को 60-70 साल बाद आ जाएगा. तब तक तो हमें गांधी बाबा के बंदर बन कर बाहर निकलना होगा...
धन्न धन्न सांस्कृतिक प्रदूषण प्रसारक चल दूरभाष यंत्र............
राकेशिया