2/25/10
तुम हमारे बच्चो को ओर हमे मारो हम तुम्हारे बच्चो को ओर तुम्हे मारेगे....
कई दिनो से दिमाग मै कुछ आ ही नही रहा लिखने के लिये, बहुत सोचा लेकिन लगता था दिमाग दवाईयां खा खा खा कर बेकार हो गया.... तभी आज बाबा लंगोटान्नद जी दोपहर को मेरे आफ़िस मै पधारे, बोले बच्चा क्यो नही लिखते... चलो आज कुछ भी लिखॊ लेकिन लिखो जरुर....
तभी मुझे पेन्ट वाली नकली ओर जहरीली चाय याद आ गई जिसे मेने भी शायद चार दिन तक चुस्किया ले ले कर पिया, ओर यहां आते ही बीमार हो गया, हमारे डाकटर भी परेशानं हो गये कि इसे अब कोन सी दवा दे, जिस से इस की बन्द बोलती खुल जाये...लेकिन उन्हे क्या पता था पट्ठा पेंट पी कर आया है, ओर जब तक अंदर से साफ़ नही होता तब तक बोलती बन्द रहेगी.
फ़िर सोचा इस से तो पोस्ट लिखने से पहले ही खत्म हो जायेगी, तभी एक विचार आया....
आज कल भारत मै लगभग हर चीज मै मिलावट है. यानि दुध मै मिलावट अब इस नकली दुध वाले को कोन समझाये कि भाई जो नकली दुध बना कर तु पेसा कमा रहा है उस का क्या करेगा, तेरी ऒलाद तो वेसे ही नकली घी ओर लीद मिले मसाले खा खा कर मोत की तरफ़ बढ रही है, तेरे नकली दुध से जब दुसरो के बच्चे मरेगे तो तेरे बच्चो को अन्य नकली समान से कोन बचायेगा? यानि तुम मेरे बच्चो को मारो पेसे के लिये ओर मै तुम्हारे बच्चो को मारूगा.
अब देखे कोन कितने बच्चे मारेगा, नकली दुध वाला, नकली ओर मिलावटी तेल वाला, मिलावटी आनाज ओर दाल वाला, नकली दवा वाला,नकली ओर मिलावटी सीमेंट वाला, कमजोर पुल बनाने वाला, रिशवत ले कर आंताकियो को नजर आंदाज करने वाला, यह सब पेसा तो खुब कमा लेगे लेकिन इन की ऒलाद तो एक दुसरे की करतुतो से ही मरेगी तो यह लोग उस पेसो से खाक ऎश करेगे बिना बच्चो के, या अपने बच्चो की लाश पर ऎश करेगे.
ओर इस सब से बडा अपने ही बच्चो का हथियारा वो जो इन सब को पकड कर छोड देता है, वो चाहे जज हो या एक पुलिस का सिपाही या वो आदमी जो पेसो को देख कर अपना मुंह बन्द कर लेता है, आखिर उस के बच्चे भी तो बाहर खाना खाते है, क्या इन सब के बच्चो के लिये शेष लोगो से अलग खाना बनता है?? अजी नही यह सब भी तो हमारे संग संग इस जहर को खा रहे है, गरीब तो फ़िर भी इस जहर को सहन कर लेगा, लेकिन इन हराम के पिल्ले क्या पचा पायेगे इस जहर को... बिलकुल नही ओर अगर दवा भी लेगे तो वो भी तो इन्ही के खान दान से होगा नकली दवा से फ़िर इन्हे कोन बचायेगा..... तो अभी भी समय है, मिलावटियो देखो कही तुमहारी ऒलाद केंसर , लकवे, ओर दिल की बिमारियो से, चर्म रोगो से तडप तडप कर तुम्हारी गोद मै ही दम ना तोड दे... बाद मै पछताने से अच्छा है अभी बन्दे बन जाओ, सुधर जाओ, असली धन बच्चे है इन्हे मोत की ओर मत धकेलो, तुम मेरे बच्चो को धकेलोगे तो दुसरे भी तुम्हारे बाप है, वो तुम्हारे बच्चो को धकेले गे, उन के बच्चो को कोई ओर... बस यह सिल सिला चलता रहेगा.
आओ ओर कसम खाओ कि आज के बाद कभी मिलावटी ओर नकली चीजे नही बेचो गे, दुसरो को समझाओ अगर नही सुधरते, नही मानते तो उन्हे जनता के सामने नंगा करो, अपने बच्चो को बचाओ भयंकर बिमारियो से... कही लालच मै अकेले ही ना रह जाओ....
जो सीमेंट मे मिलाबट करे नकली या कम सीमेंट डाल कर ईमारते बनाये, पुल बनाये उन्हे पकडाओ, कही आप के बच्चे इन इमारतो के हादसे मै आ आ जाये, इन पुलो के टुटने से कही तुमहारे बच्चे भी..... जागो समय से पहले जागो
आज कॊ बात यही खत्म अगर इस से एक आदमी भी सुधर जाये तो बाकी भी उसे देख कर सुधरे गे
तभी मुझे पेन्ट वाली नकली ओर जहरीली चाय याद आ गई जिसे मेने भी शायद चार दिन तक चुस्किया ले ले कर पिया, ओर यहां आते ही बीमार हो गया, हमारे डाकटर भी परेशानं हो गये कि इसे अब कोन सी दवा दे, जिस से इस की बन्द बोलती खुल जाये...लेकिन उन्हे क्या पता था पट्ठा पेंट पी कर आया है, ओर जब तक अंदर से साफ़ नही होता तब तक बोलती बन्द रहेगी.
फ़िर सोचा इस से तो पोस्ट लिखने से पहले ही खत्म हो जायेगी, तभी एक विचार आया....
आज कल भारत मै लगभग हर चीज मै मिलावट है. यानि दुध मै मिलावट अब इस नकली दुध वाले को कोन समझाये कि भाई जो नकली दुध बना कर तु पेसा कमा रहा है उस का क्या करेगा, तेरी ऒलाद तो वेसे ही नकली घी ओर लीद मिले मसाले खा खा कर मोत की तरफ़ बढ रही है, तेरे नकली दुध से जब दुसरो के बच्चे मरेगे तो तेरे बच्चो को अन्य नकली समान से कोन बचायेगा? यानि तुम मेरे बच्चो को मारो पेसे के लिये ओर मै तुम्हारे बच्चो को मारूगा.
अब देखे कोन कितने बच्चे मारेगा, नकली दुध वाला, नकली ओर मिलावटी तेल वाला, मिलावटी आनाज ओर दाल वाला, नकली दवा वाला,नकली ओर मिलावटी सीमेंट वाला, कमजोर पुल बनाने वाला, रिशवत ले कर आंताकियो को नजर आंदाज करने वाला, यह सब पेसा तो खुब कमा लेगे लेकिन इन की ऒलाद तो एक दुसरे की करतुतो से ही मरेगी तो यह लोग उस पेसो से खाक ऎश करेगे बिना बच्चो के, या अपने बच्चो की लाश पर ऎश करेगे.
ओर इस सब से बडा अपने ही बच्चो का हथियारा वो जो इन सब को पकड कर छोड देता है, वो चाहे जज हो या एक पुलिस का सिपाही या वो आदमी जो पेसो को देख कर अपना मुंह बन्द कर लेता है, आखिर उस के बच्चे भी तो बाहर खाना खाते है, क्या इन सब के बच्चो के लिये शेष लोगो से अलग खाना बनता है?? अजी नही यह सब भी तो हमारे संग संग इस जहर को खा रहे है, गरीब तो फ़िर भी इस जहर को सहन कर लेगा, लेकिन इन हराम के पिल्ले क्या पचा पायेगे इस जहर को... बिलकुल नही ओर अगर दवा भी लेगे तो वो भी तो इन्ही के खान दान से होगा नकली दवा से फ़िर इन्हे कोन बचायेगा..... तो अभी भी समय है, मिलावटियो देखो कही तुमहारी ऒलाद केंसर , लकवे, ओर दिल की बिमारियो से, चर्म रोगो से तडप तडप कर तुम्हारी गोद मै ही दम ना तोड दे... बाद मै पछताने से अच्छा है अभी बन्दे बन जाओ, सुधर जाओ, असली धन बच्चे है इन्हे मोत की ओर मत धकेलो, तुम मेरे बच्चो को धकेलोगे तो दुसरे भी तुम्हारे बाप है, वो तुम्हारे बच्चो को धकेले गे, उन के बच्चो को कोई ओर... बस यह सिल सिला चलता रहेगा.
आओ ओर कसम खाओ कि आज के बाद कभी मिलावटी ओर नकली चीजे नही बेचो गे, दुसरो को समझाओ अगर नही सुधरते, नही मानते तो उन्हे जनता के सामने नंगा करो, अपने बच्चो को बचाओ भयंकर बिमारियो से... कही लालच मै अकेले ही ना रह जाओ....
जो सीमेंट मे मिलाबट करे नकली या कम सीमेंट डाल कर ईमारते बनाये, पुल बनाये उन्हे पकडाओ, कही आप के बच्चे इन इमारतो के हादसे मै आ आ जाये, इन पुलो के टुटने से कही तुमहारे बच्चे भी..... जागो समय से पहले जागो
आज कॊ बात यही खत्म अगर इस से एक आदमी भी सुधर जाये तो बाकी भी उसे देख कर सुधरे गे
नाम
शिकायत
28 comments:
नमस्कार, आप सब का स्वागत है। एक सूचना आप सब के लिये जिस पोस्ट पर आप टिपण्णी दे रहे हैं, अगर यह पोस्ट चार दिन से ज्यादा पुरानी है तो मॉडरेशन चालू हे, और इसे जल्द ही प्रकाशित किया जायेगा। नयी पोस्ट पर कोई मॉडरेशन नही है। आप का धन्यवाद, टिपण्णी देने के लिये****हुरा हुरा.... आज कल माडरेशन नही हे******
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काश, कोई सुने आपकी पुकार...
ReplyDeleteमिलावट का यह ज़हर फैलता ही जा रहा है। इस पर रोक का कोई पुख्ता इंतजाम भी नहीं है। लगता है इंतजामिया ने सब तरफ से हाथ खींच लिया है।
ReplyDeletenice..............
ReplyDeleteभाटिया जी ,नमस्कार ..लालच ने इनकी आँखों पर काली पट्टी बांध दी है ..ये अंधे हो चुके है ..चंद पैसों का लिये ...सुंदर ज्ञान वर्धक रचना
ReplyDeleteबहुत सामयिक पोस्ट लिखी है भाटिया जी।
ReplyDeleteशुरू की पंक्तियाँ पढ़कर तो पेंट वाले की याद आ रही थी । लेकिन फिर देखा यहाँ तो सब पेंट वाले ही हैं । यानि हर चीज़ में मिलावट।
जब तक सरकार और कानून अपना शिकंजा नहीं कसेगा इन लोगों पर , इन पर कोई असर नहीं पड़ने वाला।
पैसे के लालच ने इन्हें अँधा बना दिया है।
राज जी, हम सब तो कृष्ण के अनुयायी हैं और यह तो आप जानते ही हैं कि कृष्ण के वंश अर्थात् यदुवंश का नाश एक दूसरे को मारकर ही हुआ था।
ReplyDeleteबहुत सामयिक पोस्ट,समीर जी भी सही कह रहे है.
ReplyDeleteकाश हम सब जागरुक हो जाए। वैसे तो कहते है कि हम अपने बच्चों को बहुत प्यार करते है पर उनके लिए क्या देकर जा रहे है हम?
ReplyDeleteराज की बात यह है
ReplyDeleteबिगड़ सौ जायेंगे
पर सुधरेगा एक नहीं
बनेगा नेक नहीं।
अंधेर नगरी चौपट राजा, कोई सुनने वाला नही है.
ReplyDeleteरामराम.
Please read my blog and let me know what you think!
ReplyDeletehttp://bestvacationdestinations.blogspot.com/
काश, कोई सुने आपकी पुकार..बहुत सामयिक पोस्ट लिखी है.....
ReplyDeleteसुबह होती है शाम होती है!
ReplyDeleteइसी में उम्र तमाम होती है!!
धन के लोभ नें इन्सान की मतिभ्रष्ट कर डाली है...आने वाली नस्लों को खत्म करने के पुख्ता इन्तजाम कर रखे हैं ।
ReplyDeleteआपकी बातों से सहमति।
ReplyDeleteहोली की हार्दिक शुभकामनाएँ।।
--------
कुछ खाने-खिलाने की भी तो बात हो जाए।
किसे मिला है 'संवाद' समूह का 'हास्य-व्यंग्य सम्मान?
बहुत ही दुखद स्थिति है...ये लालच जो ना कराये..कब जागेंगे सब या बस ऐसा ही चलता रहेगा...
ReplyDeleteघर से आदेश आया था दूध पीना बेटा. मैंने कहा यूरिया वाला मिलता है तो आर्डर चेंज हो गया कि चलो फल खा लेना !
ReplyDeleteएक बच्चे से पूछा गया कि मुन्ना तुम्हारा पेट बढ़ा हुआ क्यों है तो उसने जवाब दिया कि मै मिट्टी खाता हूँ |उसे मिट्टी खाने से होने वाले नुकसान का पता है फिर भी खा रहा है | यही हाल देश का है सबको पता है कि इस मिलावट की भयावहता क्या है फिर भी कोई रोकना नहीं चाहता है |
ReplyDeleteबस दुखी होने के सिवा कुछ नही कर सकते ये दुख और आक्रोश ही शायद जीवन रह गया है। इन्सान दूसरों मारने का प्रबन्ध करते हुये ये नही सोचता कि कोई उसे भी मारने का प्रबन्ध कर रहा है। बाज़ारवाद, भ्रश्टाचार ने जीना मुहाल कर दिया है। मगर सुने कौन? आपको व परिवार को होली की बहुत बहुत शुभकामनायें
ReplyDeleteजो बोओगे वहीं तो काटोगे .. यह बात सब समझ लें .. तो चिंता की कोई बात ही नहीं रहे !!
ReplyDeleteसटीक और सार्थक रचना....यदि इतना सोच लें तो मिलावट कारते वक्त थोडा तो हाथ काँप जाएँ..
ReplyDeleteबेहतरीन बात भाटिया साहब !
ReplyDeleteआपको होली की हार्दिक शुभकामनाये !
...आखिर कब तक ये सब चलता रहेगा... क्यों सभी एक-दूसरे के जीवन को तबाह करने पर तुल गये हैं ....इसका कोई हल ढूंढना ही पडेगा !!!
ReplyDeleteहोली की बहुत-बहुत शुभकामनायें.
ReplyDelete:) :) :)
ReplyDeleteबरसों पहले सुना एक गीत अब भी कानो मे गूंजता है " ना जाने किस चीज़ में क्या हो , गरम मसाला लीद भरा हो " तबसे अब तक क्या बदला है .. यह जनता कब जागेगी ?
ReplyDeleteसादर वन्दे!
ReplyDeleteएक बार ग्वालियर से आते समय मुरैना नामक स्टेशन पर चाय ली अभी एक चुस्की ही ली थी कि बगल में बैठे एक जनाब ने कहा भाई इस चाय में दूध काम पेंट अधिक है, मैंने चाय फेक दी और सोचने लगा जीस बच्चे ने मुझे चाय दी वह और क्या क्या कर सकता है!
आपका व्यंग बहुत बड़ी शिक्षा देता है.
रत्नेश त्रिपाठी
आखिर उस के बच्चे भी तो बाहर खाना खाते है, क्या इन सब के बच्चो के लिये शेष लोगो से अलग खाना बनता है?
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