तो लिजिये चोरी का माल आप के नाम....
इस कविता के रचियता का नाम मुझे नही मालुम, लेकिन सुमित जी के ओर्कुट प्रोफ़ाईल से मेने इसे लिया है , उस रचियता को मेरा धन्यवाद जिस ने भी इसे सुंदर शव्दो से सजाया
वक़्त आने पर बता देंगे तुझे ए आसमाँ हम अभी से क्या बताएँ क्या हमारे दिल में है
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"मैं कहता हूं कि आप अपनी भाषा में बोलें, अपनी भाषा में लिखें। उनको गरज होगी तो वे हमारी बात सुनेंगे। मैं अपनी बात अपनी भाषा में कहूंगा। जिसको गरज होगी वह सुनेगा। आप इस प्रतिज्ञा के साथ काम करेंगे तो हिंदी भाषा का दर्जा बढ़ेगा।" -- महात्मा गांधी
"अंग्रेजी का माध्यम भारतीयों की शिक्षा में सबसे बड़ा कठिन विघ्न है।...सभ्य संसार के किसी भी जन समुदाय की शिक्षा का माध्यम विदेशी भाषा नहीं है।" -- महामना मदनमोहन मालवीय
राज जी मेरी शिकायत पर अच्छी शिकायत लगाई है। मुझे भी कुछ कहने का मन हो रहा है।
ReplyDeletegirl friend से जब बढता है connection
तो पीछे रह जाता है बाकी सब relation
उधर heater के जैसा मिज़ाज़ उनका
इधर ज़ज़्बात का है refregeration.
Thank you कह लीजिए, I don't mind it
मगर मैं तो कहूंगा no mention, no mention.
हा-हा-हा
दो दिन से नही पूछा मां की तबीयत का हाल ,
ReplyDeleteGirl Friend से पल - पल की खबर पायी है,
यही हो रहा है आजकल ...
ऐसी चोरियां तो माफ़ी के काबिल है ...!
वाह जी वाह ।
ReplyDeleteबहुत बढ़िया हास्य व्यंग कविता चुराई है ।
ज़वाब नहीं जी दोनों का ।
कविता तो वाकई सटीक और जोरदार है पर ये समझ नही आया की ये ताऊ यहां आंखों को ढककर कांपते हुये क्या कर रहा है?:)
ReplyDeleteरामराम
बहुत सुन्दर जी. क्या ज़माना आ गया है.
ReplyDeleteअजी! कविता क्या है बल्कि ये तो जमाने की हकीकत है.....वैसे स्टाक में से चोरी के लिए भी आपने बहुत बढिया रचना चुनी :)
ReplyDeleteताऊ जी कविता इसी ताऊ ने मेरे को ला कर दी है, ओर तभी से माथे पर हाथ रख कर रो रहा है...
ReplyDeleteताई के हाथों "मेड-इन-जर्मन" का नाश्ता कर लिया दिक्खै ताऊ नै?:)
ReplyDeleteरामराम.
अजी यह चोरी कहां..यह तो आप कविता का प्रचार-प्रसार ही कर रहे हैं. वैसे भी चोरी का माल खाने- खिलाने का मजा ही कुछ और है.
ReplyDelete:) :) आज की सच्चाई
ReplyDeleteखुलेआम इमानदारी से चोरी :)
ReplyDeleteइस चोरी केमाल की चर्चा तो
ReplyDeleteआज चर्चा मंच पर भी है!
बिल्कुल सटीक कविता सुनाई है,
ReplyDeleteआपको बहुत बहुत बधाई है
सटीक कविता ... बहुत बहुत बधाई ...
ReplyDeleteसटीक निशाना ।
ReplyDelete"जिन्दगी ये किस मोड पे ले आयी है"
ReplyDeleteअजी आगे आगे देखिये होता है क्या! अभी तो इससे भी खतरनाक मोड़ आने वाले है!
एक लाजवाब प्रस्तुति ............
ReplyDeleteबहुत अच्छा है .. चोरी का ही सही
ReplyDeleteयह द्विभाषी कविता तो बढ़िया है लेकिन किरायेदार ने किराये के बदले तो इसे नही दे दिया ना ?
ReplyDeleteभाटिया साहब,
ReplyDeleteऐसी ही एक रचना एक डॉ. शाह सुनाया करते थे टीवी शो पर लाफ्टर चैलेंज कार्यक्रम में... जो भी हो, मज़ेदार है.
वाह जी वाह , friendship day के दिन कविता चुराई है ..खुले आम चोरी चोरी नहीं रह जाती । ये कविता तो अच्छा सबक है teen-agers को आईना दिखने के लिए ।
ReplyDeleteबहुत अच्छा है
ReplyDeleteआपको बहुत बहुत बधाई है
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मुझे भी कुछ कहने का मन हो रहा है।
"जिसे नहीं हुई माँ -बाप की फिक्र एक पल के लिये भी हुआ वो शक्स, बर्बाद हर दम है"
हा-हा सही है भाटिया साहब ,
ReplyDeleteऎ जिंदगी,
यह तु किस मोड पे ले आयी है
आगे कुंआ,पीछे खाई है