9/8/10

मन मोहन जी अनाज को सडने दे.... लेकिन उस से पहले इस विडियो को तो देख ले

शिकायत किस से करे? आदमी शिकायत उन्ही से करता है जिन के दिल मै दर्द हो, बेदर्दो से कोई शिकायत नही करता, आज घुमते फ़िरते यह विडियो दिखा, ओर देख कर रोंगटे खडे हो गये... अगर आप चाहे तो इसे देख सकते है.....

25 comments:

  1. कुछ नहीं कह सकता क्या कहूँ....! ये भी भटके हुए लोकतंत्र का एक विकृत चेहरा है.

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  2. भाटिया साहब, अपने देश का हाल भी इससे कुछ भिन्न नहीं ! इस विडिओ को देख मुझे आज से करीब १०-१२ साल पहले की वह घटना याद आ गई
    दिल्ली से गुआहाटी राजधानी से सिलीगुड़ी ( न्युजलपाईगुडी) जा रहा था ! सुबह करीब ८-८.३० बजे मुगलसराय से आगे एक स्टेशन पड़ता है, नाम ठीक से याद नहीं ! सेकिंड एसी कोच में नाश्ता करने के उपरान्त मैं बैठा खिड़की से बाहर झाँख वहाँ का दृश्य देख रहा था ! गाडी की रफ़्तार धीमी होती गई ! क्योंकि वह स्टेशन आने वाला था ! मैं क्या देखता हूँ कि रेल की पटरियों के बगल के रास्ते पर बच्चे (कुछ युवा भी ) कुत्ते, बिल्लियाँ, गाये साथ साथ भागे जा रहे है ! मैं आश्चर्य चकित हो वह नजारा देख रहा था कि साथ वाली सीट के सज्जन ने बताया कि यह सब उस झूठन के लिए दौड़ लगा रहे है जो स्टेशन पर रुकने के बाद कोच के हेल्पर बाहर फेंकने वाले है ! चूँकि रोज ही यह होता है इसलिए इन बच्चो, युवाओं और जानवरों को मालूम है कि इसमें खाना मिलता है ! उन सज्जन की बात सुनकर मैं धक् से रह गया !

    और थोड़ी देर बाद देखा तो एग्जेक्त्ली वही हुआ था ! उस झूठन पर सब टूटे पड़े थे !

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  3. यह कोइ नयी बात नहीं है लेकिन बहुत कुछ सोचने को मजबूर करती है | आज की इस आपा धापी में आम आदमी सर झटक कर निकल जाना चाहता है |

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  4. गोदियाल जी जैसे ही हमारे भी अनुभव हैं. आन्ध्र के कई स्टेशनों में यह नज़ारा दीखता है परन्तु अंतरात्मा तस्वीर खींचने से मना कर देती है.

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  5. मार्मिक ।
    यह तो अपने मेरी एक कविता ---सिक्स पैक एब्स की अंतिम लाइनों को चित्रत कर दिया है ।
    अफ़सोस यहाँ भी ऐसा होता है ।

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  6. क्या कहा जाए भूख का नंगा नाच सरकारी कूड़ेखानों की रोज की बात है जहां इंसान और जानवर में कोई फर्क नहीं रह जाता।

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  7. मार्मिक, एक और भारत की तस्वीर पर फिर भी अलग एक सन्देश देती हुई पर हम हैं की न देखते हैं न सुनते हैं और न ही समझते हैं

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  8. सुलभ § Sulabh कि बात से १००% सहमत हूँ........... कुछ भी नहीं कहना

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  9. ....................................
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    ये आँसू मेरे दिल की ज़बान है

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  10. निहायत ही शर्मनाक वाकया है, हमारे देश भी इससे कुछ अलग नहीं ...... खेल पर पैसा बहाया जा सकता है पर सड़े हुए अनाज को भी मुफ्त नहीं बाटा जा सकता


    (आपके पापा इंतजार कर रहे होंगे ...)
    http://thodamuskurakardekho.blogspot.com/2010/09/blog-post_08.html

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  11. सार्थक,सराहनीय और प्रेरक प्रस्तुती ... जबतक विश्व में 25000 लोग रोज भूख से मरेंगे तब-तक मनमोहन सिंह जैसे और प्रतिभा पाटिल जैसे लोग प्रधान मंत्री और राष्ट्रपति बनते रहेंगे ,क्योकि ऐसे लोगों के इन सम्माननीय पदों तक पहुँचने में इन मौतों का भी योगदान होता है और शरद पवार जैसे लोग इसका जरिया ....हमलोग भी कम जिम्मेवार नहीं जो सबकुछ जानते हुए भी ऐसे लोगों के खिलाप ब्लॉग पर खुलकर एक पोस्ट भी नहीं लिख पाते हैं ...

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  12. सचमुच सार्थक,सराहनीय और प्रेरक प्रस्तुती, इस वीडियो ने आँखें नम कर दी ,आपका बहुत-२ आभार इसे ब्लॉग जगत के पटल पर रखने के लिए

    मुझे लगता है की हम सभी ब्लोग्गेर्स को मिलकर एकसाथ इस विडियो को मनमोहन सिंह जी की e-mail id पर भेजना चाहिए , हो सकता है किसी की तो सोई हुई आत्मा जाग जाए

    क्या किसी को उनकी e-mail id पता है ??

    महक

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  13. @महक जी

    presidentofindia@rb.nic.in ये राष्ट्रपति का इ.मेल है..
    pmosb@pmo.nic.in ये प्रधानमंत्री का इ.मेल है...
    vpindia@sansad.nic.in ये उपराष्ट्रपति का इ.मेल है ...

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  14. बाऊ जी-इस वीडियो में गरीबी की असलियत दिख रही है।
    आन्ध्र प्रदेश के बल्लारशाह-चंद्रपुर स्टेशन पर लोगों को खाना मांगते देखा है। रोटी मांगते देखा है। दुसरे स्टेशनों पर तो भिखारी रुपया पैसा मांगते हैं। लेकिन यहां सिर्फ़ रोटी मांगते है।

    रेल्वे स्टेशनों पर रहने वाले लावारिश बच्चों का पेट तो सवारियों की जुठन से ही भरता है।

    आजाद भारत में आज भी यह दृश्य देखने को मिलते हैं। धन्य है हमारी सरकार

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  15. भाटिया जी,
    हिलाकर रख दिया इस वीडियो ने।

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  16. यह तो हर गरीब देश की नियति है। ऐसा ही चलचित्र लंदन के होटल के पिछवाडे भी देखने को मिला था।

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  17. अब हकीकत तो यही है जिससे कौन इंकार कर सकता है?

    रामराम

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  18. ओह्! भाटिया जी इस वीडियो ने तो मन एकदम से खट्टा कर डाला....

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  19. bhatiya ji bahut hi dil ko chho lene wala video dikhaya hai aapne sach me

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  20. सौ आने सच्चाई है ..पेट जो ना करा दे....सोचनीय स्थिति...बढ़िया प्रस्तुति राज जी नमस्कार

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  21. नैनो से बढ़िया रिक्शा है ही..घूमने का जो मज़ा रिक्शे में है नैनो में कहाँ....सुंदर पोस्ट बधाई

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  22. क्या यही है लोकतंत्र ....

    इस पर अपनी राय दे :-
    (काबा - मुस्लिम तीर्थ या एक रहस्य ...)
    http://oshotheone.blogspot.com/2010/09/blog-post_11.html

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नमस्कार, आप सब का स्वागत है। एक सूचना आप सब के लिये जिस पोस्ट पर आप टिपण्णी दे रहे हैं, अगर यह पोस्ट चार दिन से ज्यादा पुरानी है तो मॉडरेशन चालू हे, और इसे जल्द ही प्रकाशित किया जायेगा। नयी पोस्ट पर कोई मॉडरेशन नही है। आप का धन्यवाद, टिपण्णी देने के लिये****हुरा हुरा.... आज कल माडरेशन नही हे******

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मुझे शिकायत है !!!

मुझे शिकायत है !!!
उन्होंने ईश्वर से डरना छोड़ दिया है , जो भ्रूण हत्या के दोषी हैं। जिन्हें कन्या नहीं चाहिए, उन्हें बहू भी मत दीजिये।