12/1/10
अनाथ से शादी क्यों?
कल की पोस्ट पर यह सवाल सबसे महत्त्वपूर्ण है। मैं ना तो मित्र के सम्बन्धी विवाह के इच्छुक नरेन्द्र टक्कर को मिला हूँ और ना ही उनको जानता हूँ। चूंकि मेरे मित्र ने जब मुझसे अनाथालय से शादी की जानकारी प्राप्त करने के बारे में कहा था, तो मेरे मन में भी सबसे पहले यही सवाल आया था।
अनाथ से शादी क्यों? इस सवाल पर अपने मित्र से बातचीत करने पर जो मैं समझ पाया हूँ, वह आपको बता देता हूँ। हरियाणा में लिंग अनुपात की विकट समस्या के चलते बहुत से लोग आजकल बिहार, उडिसा, पश्चिम बंगाल आदि से लडकियां खरीद कर विवाह रचा रहे हैं।
1> लडके के मन में भी मुझे कोई परोपकार आदि का भाव हो ऐसा नहीं लगता है। उस का उद्देश्य विवाह करके अपना घर बसाना, और अपना स्वार्थ है।
2> चूंकि लडके की उम्र ज्यादा हो चुकी है और उसके अपने समाज से रिश्ता नही हो पा रहा है।
3> माता-पिता वृद्धावस्था में हैं, तो उनकी सोच है कि एक बिना माँ-बाप की बच्ची उनका ज्यादा ध्यान रख सकती है।
4> निकट सम्बन्धी भी ज्यादा नहीं हैं और जो हैं इस मामले में सहायक नहीं हैं।
5> अनजान परिवारों से रिश्ता जोडने के बाद जो घटनाओं के समाचार आजकल आ रहे हैं, उस वजह से भी अनाथ लडकी के साथ विवाह से सुरक्षा महसूस करते है।
मेरी भूमिका इतनी है कि मैं उन्हें किसी अनाथालय का पता और इस बारे में कोई जानकारी हो तो केवल अपने मित्र को दे दूं। मैं कोई जमानती बनने या उनके साथ जाने वाला नहीं हूँ। और सच यह है कि "परहित" या "समाज सेवा" आदि का कोई ख्याल मेरे मन में अभी तक तो नहीं आता है।
नाम
Antar Sohil,
अन्तर सोहिल
12 comments:
नमस्कार, आप सब का स्वागत है। एक सूचना आप सब के लिये जिस पोस्ट पर आप टिपण्णी दे रहे हैं, अगर यह पोस्ट चार दिन से ज्यादा पुरानी है तो मॉडरेशन चालू हे, और इसे जल्द ही प्रकाशित किया जायेगा। नयी पोस्ट पर कोई मॉडरेशन नही है। आप का धन्यवाद, टिपण्णी देने के लिये****हुरा हुरा.... आज कल माडरेशन नही हे******
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शादी कभी परोपकार या उद्धार की भावना से नहीं कि जाती है | शादी में दोनों पक्षों की गरज होती है |आपका दोस्त भी अगर अपनी गरज से शादी कर रहा है तो उसमे बुराई ही क्या है |हा कुछ समाज के ठेकेदार जरूर नाराज हो सकते है जब विजातीय विवाह होता है|
ReplyDeleteशादी तो शादी होती है!...जीवन को मंगलमय और सौहार्द पूर्ण बनाना ही इसका उद्देश्य होता है!....आप के मित्र के लिए अनेको शुभेच्छाएं!
ReplyDeleteअनजान परिवारों से रिश्ता जोडने के बाद जो घटनाओं के समाचार आजकल आ रहे हैं, उस वजह से भी अनाथ लडकी के साथ विवाह से सुरक्षा महसूस करते है।
ReplyDeletekewal muskura saktee hun kyuki kal sae yahii khyaal thaa dimaag mae
jiskae sar par kisi kaa haath nahin hogaa wo inkae haath kae neechay rahegi !!
anyways best of luck to him in his search
नरेश जी की बात सही है ....शुक्रिया
ReplyDeletedr aruna kapoor se sahmati
ReplyDeleteपिछले पोस्ट में रचना जी ने काफी महत्वपूर्ण बातें कहीं हैं टिप्पणी के जरिए।
ReplyDeleteमेरे हिसाब से आपको उस पोस्ट को डालने से पहले ही सारी जानकारी और सारे पहलू पर विचार कर लेना चाहिए था। वैसे अब आपने अपना पक्ष स्पष्ट करके अच्छा ही किया। निश्चित रूप से आपका उद्देश्य शुद्ध था पर अनजाने में आप किसी का विज्ञापन दे बैठे। (वो भी मुफ्त में) :-)
सोमेश
शब्द साधना
मैं नरेश जी की बात से सहम्त हूँ। इसमे एक बात ये भी है कि अगर उसके साथ कोई ब्रा सलूक हुया या रिश्तों मे कडुवाहट आ गयी तो लडकी कहाँ जायेगी कौन उसका बेली वारिस आयेगा उसे बचाने के लिये। अगर वो केवल इस लिये अनाथ से शादी कर रहा है कि उसे लडकी नही मिल रही तो अच्छा है आप उसका साथ न दें। शादी व्याह कोई खेल नही है।शुभकामनायें।
ReplyDeleteaji propari bhi ho sakata hi or ladki achi bhi ho sakati hay ish barey kuch nahi kah sakatey , jab tak aap ladkey ko achi tarha na janey tab tak dura rahy
ReplyDeleteठीक बात! सहमत हूँ !... मैंने हाल में ही कई लड़के देखे जिनकी शादी उनके समाज में नहीं हो रही है...परिवार विवाह के लिए लड़कियां खोजता है... लेकिन कोई लड़की वाला यदि तैयार भी होता है(मजबूरी वश) तो इनके लड़केवाले होने की ऐंठ फिर जाग जाती है... लड़की वाले मध्य वर्गीय समाज में आज भी हेय और निम्न दृष्टि से देखे जाते हैं... भले लड़के वाले की अपनी कोई हैसियत न हो ...
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ReplyDeleteबेहतरीन पोस्ट लेखन के बधाई !
आशा है कि अपने सार्थक लेखन से,आप इसी तरह, ब्लाग जगत को समृद्ध करेंगे।
आपकी पोस्ट की चर्चा ब्लाग4वार्ता पर है-पधारें
परोपकार शब्द का उपयोग शादी विवाह से सम्बंधित बातो मे एक बहुत छोटी सोच हैं नारी के प्रति जिसका मै निरंतर विरोध करती हूँ । ये नारी को दोयम का दर्जा देना होता हैं । जिस युवक कि बात हो रही हैं वो कोई आर्थिक रूप से इतना बड़ा नहीं हैं कि परोपकार कि बात हो । अनाथालय मे पली बड़ी लडकियां को सड़क पर पड़ी नहीं हैं कि उनको परोपकार कि जरुरत हो । उनको आज कल इतना सक्षम कर दिया जाता हैं कि वो धन कमा सके ।
ReplyDeleteसरकार के नारी सश्क्तिकर्ण प्रोग्राम ने महिला को अपने पैरो पर खडा कर दिया हैं और शिक्षा ने उनको योग्य बना दिया हैं । फिर परोपकार कि बात क्यूँ उठाना
पोस्ट देने मे कोई गलती नहीं हैं पर राज भाटिया जी कि टिपण्णी एक बहुत पुरानी सोच हैं और उसी की वजेह से लोग संतान मे लड़की कि कामना नहीं करते हैं
लड़की वाले मध्य वर्गीय समाज में आज भी हेय और निम्न दृष्टि से देखे जाते हैं... भले लड़के वाले की अपनी कोई हैसियत न हो ॥ पदम् सिंह जी ने ये कह कर सब कह दिया हैं
ना केवल दिखने मे वरन अपनी सोच मे नारी को समान स्थान दे और उस पर परोपकार कि भावना ना रखे
ये एक अच्छी शुरुआत भी हो सकती है ...
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