12/21/10

दान देने का पुरातन और बढिया तरीका, सही या गलत?

मुझसे कोई जागरण आदि के लिये चंदा लेने आता है तो मैं कहता हूँ कि पहले आप रसीद पर यह लिख कर लायें कि "जनता के सहयोग से आयोजित या चंदे से आयोजित"। मण्डियों में जब किसान फसल लेकर आता है तो बनिया व्यापारी खरीदता है। फिर किसान की पेमेंट में 100 रुपये पर 25 पैसे (कहीं कम-ज्यादा भी)  "धर्मादा" काट कर पेमेंट करता है। साल भर में इसी धर्मादा खाते में हजारों और किसी किसी के पास लाखों भी इकट्ठे हो जाते हैं। पैसा किसका है किसान का,  दान देता है अपनी फर्म के नाम पर बनिया व्यापारी। धर्मशाला या मन्दिर में पत्थर पर लिखवा कर लगवायेगा कि फलाना एण्ड ढिकाना कम्पनी ने इस कमरे के लिये या गेट के जीर्णोद्धार के लिये xxxxxx रुपये का दान दिया। है ना बढिया तरीका दान देने का।  

बुरे का बदला बुरा मिलेगा, किया नहीं तो करके देख
क्या बीती बुरा करने वालों पर उनसे हाल पूछके देख

मेरी समझ में तो यही आता है कि परमात्मा या प्रकृति हमेशा सबका बैलेंस बराबर रखती है। हमारा भविष्य हमारे प्रतिदिन के बल्कि पल-पल के क्रियाकलापों पर आधारित है। इसलिये चाहता हूँ कि बस इसी पल की फिक्र करूं और किसी को मेरी वजह से कोई तकलीफ ना हो।
अन्तर सोहिल का प्रणाम स्वीकार करें

16 comments:

  1. सोहिल भाई, आपने बहुत हिम्‍मत का काम किया, जो यह पोस्‍ट लगाई। वर्ना इस देश में धर्म का यह हाल है कि लाखों लोग धर्म के नाम पर बेवकूफ बना कर अययाशी कर रहे हैं, और जनता सब कुछ जानते बूझते हुए भी उसमें सहयोग ही करती हैं।
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    आपका सुनहरा भविष्‍यफल, सिर्फ आपके लिए।
    खूबसूरत क्लियोपेट्रा के बारे में आप क्‍या जानते हैं?

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  2. सही बात कही है। अच्छी पोस्ट।

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  3. बुरे का बदला बुरा मिलेगा, किया नहीं तो करके देख
    क्या बीती बुरा करने वालों पर उनसे हाल पूछके देख
    ...... ये बात तो अपने बलोग के साईड बार में लिखने लायक है |

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  4. बहुत खूब अमित भाई। सही बात उठाई आपने। धर्म के नाम पर हमारे देश में बहुत घोटाला होता है।

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  5. सारगर्भित पोस्ट, बहुत बहुत बधाई

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  6. बहुत सही बात लिखी आप ने मै मंदिरो मै इसी लिये नही जाता क्योकि वहां पर दिखावा ९९% लोग करते हे, ओर श्रधा से सिर्फ़ १% लोग जाते हे, ओर मै जा कर इन ९९% लोगो को गालिया दुं ओर खाम्खां मे पाप का भागी दार बनू इस लिये मै दुर ही रहता हुं, मंदिरो मे भी लोग भगवान को अंधा बनाते हे,ऎसी बातो से लगता हे लोग भगवान को नही पुजते, अपन नाम चमकाने के लिये भगवान का इस्तेमाल करते हे, फ़ल तो इन्हे भुगतना ही पडता हे, बहुत सुंदर लेख. धन्यवाद

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  7. सही है आपकी शिकायत । आपने लिखा अच्छा किया। लेकिन धर्म का काम अभी ठेके पर है … नेता इसकी दशा-दिशा तय कर रहे हैं । अच्छा होता आपकी ये लाईनें जल्दी - जल्दी सफ़लीभूत होतीं - "बुरे का बदला बुरा मिलेगा, किया नहीं तो करके देख
    क्या बीती बुरा करने वालों पर उनसे हाल पूछके दे।"

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  8. बहुत सुन्दर रही आपकी पोस्ट!
    आज के चर्चा मंच पर इस पोस्ट को चर्चा मं सम्मिलित किया गया है!
    http://charchamanch.uchcharan.com/2010/12/376.html

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  9. ...बिलकुल सही तरीका बताया आपने सोहिल जी!..सार्थक आलेख!

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  10. इसलिये चाहता हूँ कि बस इसी पल की फिक्र करूं और किसी को मेरी वजह से कोई तकलीफ ना हो

    बिलकुल सही ....

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  11. जो आपने किया है वो फिर से पलटकर भविष्य में ज़रूर आएगा.. मैं भी यही मानता हूँ..
    अपनी तरफ से सही और स्वच्छ रहने की कोशिश बदस्तूर जारी रहनी चाहिए..
    अच्छी सोच..

    आभार

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  12. सहमत हूँ आपके विचारों से ।
    सार्थक आलेख ।

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  13. बिलकुल सहमत हूँ। आशीर्वाद।

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  14. ब्लॉग जगत में पहली बार एक ऐसा सामुदायिक ब्लॉग जो भारत के स्वाभिमान और हिन्दू स्वाभिमान को संकल्पित है, जो देशभक्त मुसलमानों का सम्मान करता है, पर बाबर और लादेन द्वारा रचित इस्लाम की हिंसा का खुलकर विरोध करता है. साथ ही धर्मनिरपेक्षता के नाम पर कायरता दिखाने वाले हिन्दुओ का भी विरोध करता है.
    आप भी बन सकते इस ब्लॉग के लेखक बस आपके अन्दर सच लिखने का हौसला होना चाहिए.
    समय मिले तो इस ब्लॉग को देखकर अपने विचार अवश्य दे
    .
    जानिए क्या है धर्मनिरपेक्षता
    हल्ला बोल के नियम व् शर्तें

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नमस्कार, आप सब का स्वागत है। एक सूचना आप सब के लिये जिस पोस्ट पर आप टिपण्णी दे रहे हैं, अगर यह पोस्ट चार दिन से ज्यादा पुरानी है तो मॉडरेशन चालू हे, और इसे जल्द ही प्रकाशित किया जायेगा। नयी पोस्ट पर कोई मॉडरेशन नही है। आप का धन्यवाद, टिपण्णी देने के लिये****हुरा हुरा.... आज कल माडरेशन नही हे******

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मुझे शिकायत है !!!

मुझे शिकायत है !!!
उन्होंने ईश्वर से डरना छोड़ दिया है , जो भ्रूण हत्या के दोषी हैं। जिन्हें कन्या नहीं चाहिए, उन्हें बहू भी मत दीजिये।