फ़िर एक किसी आदमी की टिपण्णी का पीछा करते करते मे उस के ब्लाग पर गया, उस शेतान ने बहुत सुंदर चाल चली थी, जो देखने मे तो महसुस नही होती, ओर वो साधू सा बना रहना चाहता हे, ओर बहुत से लोगो ने उस को साधू ही समझा, लेकिन वो अपने मकसद मे कामयाव रहा, उस ने बडे भोले पन से अलग अलग ब्लाग के लिंक दिये, फ़िर एक खास ब्लाग का लिंक भी दिया, जहां पहुच कर आम आदमी तो पुरे ब्लाग जगत से नफ़रत करने लग जाये, सभी सुलझे हुये लोगो के नाम से गंदी गंदी टिपण्णियां, ओर भाषा भी इतनी बेहुदा कि...... ओर इस के संग ही मै समझ गया सारी कहानी.
दिव्व्या जी को इन्ही लोगो ने अन्य लोगो के नाम से टिपण्णियां की होगी, ओर बहुत ही गंदी भाषा मे बहुत कुछ कहा होगा, अब माड्रेशन पर तो फ़ोटो नही आती, इस लिये दिव्व्या जी ने सोचा होगा कि मुझे इन ही लोगो ने यह टिपण्णियां दी हे, ओर वो मिटाती रही होगी, ओर सोच रही होगी कि यह लोग वेसे तो बहुत शरीफ़ बनते हे, ओर टिपण्णियां...., ओर फ़िर बोखला कर उन्होने एक लिस्ट बना दी, इस मे नुकसान तो हम सब का हुया, क्योकि हम सब मे फ़ूट डलने लग गई, ओर लाभ उस आदमी को हुया, जिस ने यह टिपण्णियां लिखी होगी, ओर वो चाहता भी यही होगा, ओर हम सब आपस मे ही लडने लगे, अब इस मे गलती किसी की नही, अगर ऎसी टिपण्णियां मुझे आती या आप को आती तो शायद हम भी बोखला जाते.
अब सब ब्लागरो से बस एक प्राथना हे कि आईंदा जब भी कोई ऎसी टिपण्णी आये तो उस टिपण्णी कर्ता को यादि आप लम्बे समय से जानते हे तो पहले उसे वो टिपण्णी भेज कर पूछ ले कि यह टिपण्णी आप ने ही दी हे या, किसी ओर ने, फ़िर उस के बाद कार्यवाही करे, या कुछ समय के लिये अपने ब्लाग को आफ़ लाईन कर के सभी ऎसी टिपण्णिया प्रकाशित करे, फ़िर देखे उस टिपण्णी के संग फ़ोटो हे या नही ऎक यह भी पहचान हे, लेकिन अब ऎसी टिपण्णी मे फ़ोटो भी डाल सकते हे, इस लिये, बस हमे एक दुसरे पर विशवास करना पडेगा, ओर अब सब सतीश जी, दिव्व्या जी ओर अन्य साथी पिछली बातो को भुल कर फ़िर से पहले की तरह से ही दोस्त बने यह मेरी आप सब से प्राथना हे,
जल्द ही आप को एक ऎसे हथियार के बारे बताऊंगा जो नामी ओर अनामी दोनो का पता आप को झट से दे, ओर पुरी डिटेळ के संग, ओर इसे आप को ब्लाग पर भी नही लगाना पडेगा
राज जी बहुत सही कहा है आपने कुछ असामाजिक तत्वों के चलते बहुत विवाद हो रहे हैं। जरूरी है एकजुट हुआ जाए और सतर्क रहा जाए। आपसे पूर्णतः सहमत।
ReplyDeleteसिर्फ एक बात बताएँ ब्लॉग को ऑफलाइन कैसे किया जाता है?
यदि हम इतने कच्चे दिमाग के हैं कि अपना भला-बुरा नहीं सोच सकते और किसी की बचकाना [गाली-गलौच वाली या उकसाने वाली टिप्पणी बचकाना ही कही जाएगी]टिप्पणी पर रिएक्ट करते हैं तो अच्छा है कि ब्लाग लेखन और देखन बंद कर दें।
ReplyDeleteशायद यही कारण है कि अग्रिगेटर बंद हो रहे हैं, फ़ेसबुक बंद होने के कगार पर है [इतने धन के बावजूद]:(
सोमेश जी, आफ़ लाईन का मतलब आप ओरो को आफ़ लाईन दिखे, जब की आप ओन लाईन ही रहेगे, आप डेस बोर्ड मे जाये, फ़िर सेटिंग मे जाये फ़िर वहां देखे Permissions लिखा होगा राईट साईड मे , उसे किल्क करे इसे किल्क करते ही आप को Blog Authors ओर फ़िर Blog Readers दिखाई देगे आप ने यहां Blog Readers पर only blog authors पर एक बिंदू लगा कर इसे सेव कर ले, अब आप हम सब के लिये आफ़ लाईन हो जायेगे
ReplyDeleteभाटिया जी,
ReplyDeleteआपने सही निष्कर्ष दिया है, यह सारे विवाद दिलजलों द्वारा आपस में लडाने के षड्यंत्र ही है। जब ऐसे लोगो को महत्व नहीं मिलता तो ऐसा घ्रणित कार्य करते है।
आप जल्दी ही वह टूल दिजिये जिससे ऐसे लोगों का भंडाभोड हो सके।
भाटिया जी , हमने तो फ़िलहाल ब्लोगिंग बंद ही कर दी है ।
ReplyDeleteदेखते हैं कब माहौल सुधरता है ।
शिकवे शिकायत रूठना मनाना तो चलता रहता है ...मगर आपका हतियार बड़े काम का है ....जल्दी ही इससे अवगत कराएँ !
ReplyDeleteइतना आसान कहाँ है भाटिया साहब और दराल सहाब ब्लॉग-स्लोग छोड़ना, मैं तो बीसियों बार कोशिश कर चूका ! बने रहिये , जहां तक हो सके, मगर इसे गौण(secondary ) priority में रखकर !
ReplyDelete@ दराल भाई साहब
इसका इलाज ब्लॉगिंग बंद करना नहीं है।
हाथी चले बाजार वाली कहावत फ़िट बैठती है।
@ राज भाटिया जी
आपकी चिंता जायज है।
कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फ़लेषु कदाचिन:
परदेशी की प्रीत-देहाती की प्रेम कथा
उस शेतान ने बहुत सुंदर चाल चली थी, जो देखने मे तो महसुस नही होती, ओर वो साधू सा बना रहना चाहता हे, ओर बहुत से लोगो ने उस को साधू ही समझा
ReplyDeleteतो आपने मुझे पहचान ही लिया :)
हा-हा-हा
प्रणाम
अन्तर भाई वो आप नही हो.....
ReplyDelete...यही सब देख कर आज कल कुछ लिखने का मन भी नही करता सर!
ReplyDeleteराज जी ,बहुत सही कहा है आपने.
ReplyDeleteराज जी बहुत से कारणो से अब अपना भी मन ब्लागिन्ग से उकता सा रहा है जी चाहता है बस पुरानी कागज़ कलम की दुनिया और पत्र पत्रिकाओं मे लौट चलूँ। लेकिन ब्लागिन्ग का नशा भला इतनी जल्दी छूटता है? आपने अच्छी जानकारी दी है। एक बात और बतायें क्या हम आफ लाईन रह कर भी कमेन्ट या पोस्ट आदि कर सकते हैं? शुभकामनायें।
ReplyDeleteहर तरह के लोग हैं समाज में... बड़ा मुश्किल है फ़िल्टरों का कामयाब होना...
ReplyDeleteजनाब जाकिर अली साहब की पोस्ट "ज्योतिषियों के नीचे से खिसकी जमीन : ढ़ाई हजा़र साल से बेवकूफ बन रही जनता?" पर निम्न टिप्पणी की थी जिसे उन्होने हटा दिया है. हालांकि टिप्पणी रखने ना रखने का अधिकार ब्लाग स्वामी का है. परंतु मेरी टिप्पणी में सिर्फ़ उनके द्वारा फ़ैलाई जा रही भ्रामक और एक तरफ़ा मनघडंत बातों का सीधा जवाब दिया गया था. जिसे वो बर्दाश्त नही कर पाये क्योंकि उनके पास कोई जवाब नही है. अत: मजबूर होकर मुझे उक्त पोस्ट पर की गई टिप्पणी को आप समस्त सुधि और न्यायिक ब्लागर्स के ब्लाग पर अंकित करने को मजबूर किया है. जिससे आप सभी इस बात से वाकिफ़ हों कि जनाब जाकिर साहब जानबूझकर ज्योतिष शाश्त्र को बदनाम करने पर तुले हैं. आपसे विनम्र निवेदन है कि आप लोग इन्हें बताये कि अनर्गल प्रलाप ना करें और अगर उनका पक्ष सही है तो उस पर बहस करें ना कि इस तरह टिप्पणी हटाये.
ReplyDelete@ज़ाकिर अली ‘रजनीश’ ने कहा "और जहां तक ज्योतिष पढ़ने की बात है, मैं उनकी बातें पढ़ लेता हूँ,"
जनाब, आप निहायत ही बचकानी बात करते हैं. हम आपको विद्वान समझता रहा हूं पर आप कुतर्क का सहारा ले रहे हैं. आप जैसे लोगों ने ही ज्योतिष को बदनाम करके सस्ती लोकप्रियता बटोरने का काम किया है. आप समझते हैं कि सिर्फ़ किसी की लिखी बात पढकर ही आप विद्वान ज्योतिष को समझ जाते हैं?
जनाब, ज्योतिष इतनी सस्ती या गई गुजरी विधा नही है कि आप जैसे लोगों को एक बार पढकर ही समझ आजाये. यह वेद की आत्मा है. मेहरवानी करके सस्ती लोकप्रियता के लिये ऐसी पोस्टे लगा कर जगह जगह लिंक छोडते मत फ़िरा किजिये.
आप जिस दिन ज्योतिष का क ख ग भी समझ जायेंगे ना, तब प्रणाम करते फ़िरेंगे ज्योतिष को.
आप अपने आपको विज्ञानी होने का भरम मत पालिये, विज्ञान भी इतना सस्ता नही है कि आप जैसे दस पांच सिरफ़िरे इकठ्ठे होकर साईंस बिलाग के नाम से बिलाग बनाकर अपने आपको वैज्ञानिक कहलवाने लग जायें?
वैज्ञानिक बनने मे सारा जीवन शोध करने मे निकल जाता है. आप लोग कहीं से अखबारों का लिखा छापकर अपने आपको वैज्ञानिक कहलवाने का भरम पाले हुये हो. जरा कोई बात लिखने से पहले तौल लिया किजिये और अपने अब तक के किये पर शर्म पालिये.
हम समझता हूं कि आप भविष्य में इस बात का ध्यान रखेंगे.
सदभावना पूर्वक
-राधे राधे सटक बिहारी
भाटिया जी, जल्दी से उस हथियार के बारे में बताइए, प्लीज।
ReplyDeleteक्या आपको मालूम है कि हिन्दी के सर्वाधिक चर्चित ब्लॉग कौन से हैं?
Republic Day ki bahut bahut shubkaamnayein
ReplyDeleteMusic Bol
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