2/16/11
23 comments:
नमस्कार, आप सब का स्वागत है। एक सूचना आप सब के लिये जिस पोस्ट पर आप टिपण्णी दे रहे हैं, अगर यह पोस्ट चार दिन से ज्यादा पुरानी है तो मॉडरेशन चालू हे, और इसे जल्द ही प्रकाशित किया जायेगा। नयी पोस्ट पर कोई मॉडरेशन नही है। आप का धन्यवाद, टिपण्णी देने के लिये****हुरा हुरा.... आज कल माडरेशन नही हे******
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हा हा हा ! लगती तो हिन्दुस्तानी हैं जी ।
ReplyDeleteबेड़ा ही गर्क
ReplyDeleteकि बनू दुनिया दा ...
kaha kahaa se photo jugaadte ho sir.
ReplyDeleteha..ha..ha.haa.haa...aha.. !
ReplyDeleteघनघोर कलियुग में ऐसा ही होता है.:)
ReplyDeleteरामराम.
भाटिया जी, वैलेंटाइन डे अभी-अभी गुजरा है, ऐसे-ऐसे फोटू मत दिखाया करिये} नहीं तो मैं कुछ ऐसा वैसा कह दूंगा तो आप कहोगे कि धत! शर्म नहीं आती क्या तुझे?
ReplyDeleteमर जाणियों ! कपड़े भीग जायेंगे.अब खुल कर क्या बोलू?इत्ती भी अक्ल नही इश्वर ने हमे अलग बनाया है जो हम दोनों के लिए गर्व की बात है.आदमी हमारी बराबरी कर सकते हैं? नह.तो हम में उनसे बराबरी करने का विचार ही क्यों? बराबरी का मतलब उनकी तरह सड़क पर खड़े हो सु-सु करना ही है तो....भगवान मालिक है तुम्हारा.मुझे तो गर्व है कि मैं एक औरत हूँ और हर जन्म में औरत ही बनना चाहूंगी.क्योंकि जानती हूँ उम्र के 'इस' मोड़ पर एक औरत बिना पति के जी लेती है किन्तु पुरुष???? पत्नियों की मौत के बाद साल भी मुश्किल से निकलते हैं.हमारे बिना उनको जीने की आदत ही नही रहती फिर उनसे क्या बराबरी?
ReplyDelete??????.
ReplyDeleteअब इसपे क्या कमेण्ट करें?
ReplyDeleteमै इंदु पुरी जी के विचारों का सम्मान करता हूँ | इस प्रकार के विचार रखने वाली भारतीय नारी हमेशा ही आदर औ सम्मान की पात्र रही है|भाटिया साहब आपके इस चित्र को देख कर मुझे इंटरनेट पर देखा एक जुगाड याद आ गया | जो महिलाओं को इस कार्य में सहायता प्रदान करता है |पाठक चाहे तो गुगल पर सर्च करके देख सकते है |
ReplyDeleteक्या कहे ..... जमाना बदल रहा है
ReplyDeleteइंदू जी बातों से पूरी तरह सहमत।
ReplyDeleteभाटिया जी तुलना तो हो ही नहीं सकती।
कई चीजें हैं इसके अलावा।
औरत की सहनशक्ति की क्या तुलना कर सकते हैं मर्द।
और भी हैं।
कितने गिनाऊं।
...फोटो द्वारा आपने सटिक उदाहरण दिया है सर!..बहुत अच्छी पोस्ट!
ReplyDeleteहा हा हा हा
ReplyDeleteइंदु जी का जवाब सालिड है।
सब कुछ कह दिया इंदु पुरी जी ने ....कमाल है .....
ReplyDeleteक्या ये लडकियां ही हैं या ???
ReplyDeleteप्रणाम स्वीकार करें
gogirls का विज्ञापन तो नहीं है ये?
ReplyDeleteराम भली करे :)
ReplyDeleteपता नहीं किसने यह बराबरी वाला सवाल उठाया है? कैसी बराबरी और क्यों बराबरी? दोनों अपनी-अपनी जगह प्रकृति की अनोखी कृति हैं, एक दूसरे के पूरक हैं। फिर यह बखेड़ा क्यों?
ReplyDeleteहीन भावना की 'मुश्क' नहीं आती ऐसी बातों से?
लिंग परिवर्तन ????????????
ReplyDeleteआपने तो किसी को किसी और के कपडे पहना के खड़ा कर दिया...
ReplyDelete______________________________
'पाखी की दुनिया' : इण्डिया के पहले 'सी-प्लेन' से पाखी की यात्रा !
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ReplyDeleteदोनों की अपनी अपनी ख़ूबसूरती है । बिना वजह बराबरी की जद्दोजहद प्रकृति के अनमोल संतुलन कों बाधित कर देगी । उपर वाले ने कुछ सोच समझ कर ही स्त्री और पुरुष कों अलग अलग गुणों से नवाज़ा है । हमें कोशिश करनी चाहिए की हम सम्मान कर सकें प्रकृति के इस वैभिन्न का।
इस प्रेरणादायी चित्र के लिए आभार आपका । गर्व है !
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जाने कौन किसकी बराबरी करता है और क्यों ????जो जैसा है उसे वैसे ही स्वकर करने में ही गर्व महसूस करना चाहिए
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