4/23/11
एक दुखद समाचार
कल २२/४/२०१० को मेरे ससुर श्री राज कुमार जी का देहांतवास हो गया, वो दिल्ली निवासी हे,घर मे सब बहुत उदास हे, कल तो मै ब्लाग पर भी नही आया था, बीबी को हिम्मत भी दी, ओर बहुत प्यार से समझाया भी,भगवान से प्रार्थना करते हे हे कि भगवान उन की आत्मा को शांति दे, मेरी सासू मां तो करीब बीस साल पहले ही चल बसी थी, यानि अब भारत से ९०% रिश्ता ही खत्म.....
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समाचार
26 comments:
नमस्कार, आप सब का स्वागत है। एक सूचना आप सब के लिये जिस पोस्ट पर आप टिपण्णी दे रहे हैं, अगर यह पोस्ट चार दिन से ज्यादा पुरानी है तो मॉडरेशन चालू हे, और इसे जल्द ही प्रकाशित किया जायेगा। नयी पोस्ट पर कोई मॉडरेशन नही है। आप का धन्यवाद, टिपण्णी देने के लिये****हुरा हुरा.... आज कल माडरेशन नही हे******
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भाई राज भाटिया जी!
ReplyDeleteमुझे आपके ससुर जी के निधन का समाचार सुनकर बहुत दु:ख हुआ। प्रभु आपको और आपके परिवार को इस दु:ख से उबरने की शक्ति दे। और अनित्य संसार की गति समझने में मदद करे।
साधु! साधु! साधु!
सद्भावी -डॉ० डंडा लखनवी
पढ़कर दुःख हुआ.
ReplyDeleteईश्वर हौसला प्रदान करे.
बहुत दुखद समाचार है राज जी ! मेरी हार्दिक संवेदनाएं आपके परिवार के साथ हैं ! इस असहनीय दुःख को झेलना जीवन का एक हिस्सा होता है जिसे कभी ना कभी सभी को वहन करना पड़ता है ! ईश्वर उनकी आत्मा को शान्ति दें और आप सभीको यह दुःख सहने की शक्ति दें यही प्रार्थना है !
ReplyDeleteदिवंगत की आत्मा को ईश्वर शांति दे।
ReplyDeleteविनम्र श्रद्धांजलि
भाटिया जी, समाचार जानकर दुख हुआ है। ईश्वर आप सब को शक्ति और श्री राज कुमार जी की आत्मा को शांति दे।
ReplyDeletebhatiya....aadarniya ko moksh mile yahi prarthna hai. bhabhi ji ko himmat den...aameen..
ReplyDelete...जिन्होने रूहानी रिश्ते बनाये हैं वे खून के रिश्तों का गम आसानी से सह जाते हैं।
ReplyDeleteदिवंगत की आत्मा को ईश्वर शांति दे।
विनम्र श्रद्धांजलि।
भाटिया जी , इस दुःख की घडी में हम आपके साथ हैं । भगवान उनकी आत्मा को शांति दे और आप सब को इस क्षति को सहन करने की ताकत ।
ReplyDeleteविनम्र श्रद्धांजलि।
प्रभु दिवंगत आत्मा को शांति प्रदान करे व समस्त परिवार को दु:ख सहने की असीम शक्ति.
ReplyDeleteभाई राज भाटिया जी!
ReplyDeleteमुझे आपके ससुर जी के निधन का समाचार सुनकर बहुत दु:ख हुआ।
प्रभु ,आप सब को दुख सहने की शक्ति और श्री राज कुमार जी की आत्मा को शांति दे।
ReplyDeleteईश्वर आप सब को शक्ति और श्री राज कुमार जी की आत्मा को शांति दे।
ReplyDeleteबहुत दुःखद समाचार है!...ईश्वर दिवंगत आत्मा को शांति दे!..मै और मेरा परिवार आपके दुःख में सहभागी है राजजी!
ReplyDeletedukhad khabar....magar aap ko himmat rakhani hai aur bhabhi ji ko bhi sanbhalanaa hai.
ReplyDeleteआपके ससुर जी के निधन का समाचार सुनकर बहुत दु:ख हुआ. ईश्वर आप सब को शक्ति दे और दिवंगत की आत्मा को शांति दे.
ReplyDeleteहाँ भारत से रिश्ता खत्म होने कि बात जरा समझ नहीं आई इस पर बाद में चर्चा करेंगे.
ईश्वर उनकी आत्मा को शांति प्रदान करें और आप के समस्त परिजनों को यह आघात सहन करने की शक्ति॥
ReplyDelete@ रचना दीक्षित जी भाई बहिन सब मां बाप के होते एक दुसरे से बंधे होते हे, हम जब भी मां बाप के होते अपने घर या ससुराल आते हे तो अपना हक समझ कर आते हे, ओर मां बाप , सास ससूर को भी दिली खुशी होती हे, लेकिन जब यह लोग सर से हट जाये तो बाकी रिश्ते बेनामी हो जाते हे, वो अपना पन, हक सब कुछ खत्म सा हो जाता हे, तब हम सिर्फ़ मेहमान बन कर ही आते हे, क्योकि उन लोगो के बच्चे भी बडे हो जाते हे, उन के अपने अलग से नये रिश्ते होते हे, ओर अगर वो ना भी कहे तो भी हमे एहसास होता हे कि कही हम इन पर बोझ तो नही, इस लिये मैने यह शब्द लिखे थे, आयेगे तो अब भी, लेकिन अब उस हक से नही किसी के घर रह पायेगे जो मां बाप या सास ससुर के रहते आते थे
ReplyDeleteभाटिया जी , बहुत ही दुखद समाचार है। दुःख की इस घडी में हम आपके परिवार के साथ हैं। विनम्र श्रद्धांजलि।
ReplyDeleteभगवान उन की आत्मा को शांति दे,
ReplyDeleteमाँ पिता के ना रहने पर....ऐसा हमीं के साथ हुआ या होगा,ये कोई नई बात है?जब हम अपने आपको अकेला महसूस करने लगते हैं वो सूत्र ही टूट जाता है जो परिवार और दुसरे रिश्तों तक ले जाने और बाँधने का काम करता है.किन्तु....आप सबको पाने के बाद तो लगने लगा कि मेरी दुनिया और मेरा परिवार छोटा नही हुआ है फिर आप ऐसा कह कर क्यों दिल दुखाते है राज भैया!भारत आने जाने के 'कारण' कम जरूर हो जायेंगे किन्तु भारत से रिश्ते तो कभी खत्म नही होंगे.हम सब अपने भैया और भाभी की कोंल ,चैट,वीडियो कोंल,बज़ का इंतज़ार करेंगे.हमारे ब्लोग्स,बज़ हमे हमेशा जोड़े रखेंगे.
और .....................एक बार आ के देखो राज सर.मैं बहुत अच्छी हूँ ये नही कहूँगी बस एक बार मिलो मेरे परिवार से.अधिकारपूर्वक आने लगोगे.लिखोगे 'इण्डिया आरहा हूँ सब मुझसे मिलने मेरे घर चित्तोड आये.मेरा मूल निवास एवं मुख्य पता अब वहीँ का रहेगा''
यह तो बहुत दुखद है. ईश्वर आपको शक्ति दें.
ReplyDeleteदुखद समाचार,भगवान उनकी आत्मा को शांति दे !
ReplyDeleteभगवान उनकी आत्मा को शंति दें तथा सारे परिवार को इस कठिन समय मे हिम्मत प्रदान करें।
ReplyDelete"हम में अधिकतर लोग तब प्रार्थना करते हैं, जबकि हम किसी भयानक मुसीबत या समस्या में फंस जाते हैं| या जब हम या हमारा कोई किसी भयंकर बीमारी या मुसीबत या दुर्घटना से जूझ रहा होता है तो हमारे अन्तर्मन से स्वत: ही प्रार्थना निकलती हैं| क्या इसका मतलब यह है कि हमें प्रार्थना करने के लिये किसी मुसीबत या अनहोनी के घटित होने का इन्तजार करना चाहिए!"
ReplyDelete"स्वस्थ, समृद्ध, सफल, शान्त और आनन्दमय जीवन हर किसी का नैसर्गिक (प्राकृतिक) एवं जन्मजात अधिकार है| आप इससे क्यों वंचित हैं?"
एक सही ‘‘वैज्ञानिक प्रार्थना’’ का चयन और उसका अनुसरण आपके सम्पूर्ण जीवन को बदलने में सक्षम है| जरूरत है तो बस इतनी सी कि आप एक सही और पहला कदम, सही दिशा में बढाने का साहस करें|
"सफल और परिणाम दायी अर्थात ‘‘वैज्ञानिक प्रार्थना’’ का नाम ही- "कारगर प्रार्थना" है! जिसका किसी धर्म या सम्प्रदाय से कोई सम्बन्ध नहीं है| यह प्रार्थना तो जीवन की भलाई और जीवन के उत्थान के लिये है| किसी भी धर्म में इसकी मनाही नहीं है|"
बहुत दुःखद समाचार है!...ईश्वर दिवंगत आत्मा को शांति दे और आपके परिवार को इस दुख को सहन करने की शक्ति दे। बेशक माँ बाप न रहें लेकिन उस धरती से रिश्ता खत्म नही होता जहाँ उनकी गोद मे खेले हों और फिर हम सब भी तो हैं कैसे रिश्ता खत्म हो सकता है भारत से। शुभकामनायें।
ReplyDeleteबेहद दुखद समाचार.प्रभु, आपको और परिवार को दुःख सहने का संबल दें.
ReplyDeleteदुःख बांटने से हल्का होता है और आपने हम सबके साथ दुःख बांटा है तो अवश्य आपका दुःख हल्का होगा.. भगवन से यही प्रार्थना है कि सुख और शान्ति आपके घर हमेशा रहे और दिवंगत आत्मा को भी शांति हो...
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