4/30/11

विनायक दामोदर सावरकर, आओ शान से कहे हम एक इंसान हे,


आज एक फ़िल्म देखी वीर सावरकर, इस फ़िल्म को देख कर रोंगटे खडे हो गये, कि हमारे शाहिदो ने कितनी यातनाऎं सह कर कितने दुख सह कर, कितनी कुर्बानिया सह कर हमे आजादी दिलवाई, ओर आज उस आजादी का हम कितना आदर करते हे, इस फ़िल्म मे जो देखा ओर जो फ़िल्माया हम उसे देख कर ही दुखी हुये, लेकिन जिन पर बीती होगी, जिन्होने यह सब सहा,उन पर उस समय क्या गुजरी होगी, उन्होने क्या आज के भारत का यह रुप कभी सोचा होगा, आज कितने स्मारक हे इन शहिदो के नाम से? आज कितने लोग इन्हे याद रखते हे, इन का नाम लेते हे?

इस फ़िल्म के बारे मेरे पास उतने शव्द नही कि इन्हे मै शव्दो का रुप दे सकूं, अगर आप के पास समय हो तो एक बार अपने बच्चो के संग बेठ कर इस फ़िल्म को जरुर देखे, ओर जरुर सोचे कि क्या हम उस आजादी का सही उपयोग कर रहे हे, जो हमारे बुजुर्ग शाहिदो ने हमे दिलवाई, क्या हम कही फ़िर से उस गुलामी की ओर तो नही बढ रहे....हम कही अपनी पहचान तो फ़िर से नही खो रहे, जिस सर को हम इज्जत से, शान से ऊठा कर कहते हे कि हम भारतिया हे कही उसे फ़िर से झुकने के लिये तेयार तो नही कर रहे,

कही आज के नेताओ ने फ़िर से ह्मे मजबुर तो नही कर दिया कि फ़िर से इस समाज मे विनायक दामोदर सावरकर, भगत सिंह, सुभाष चंद्र ,इकबाल जेसे लोग पेदा हो ओर इन देश द्रोहियो को फ़िर से मार भगाये, जिन्होने इस फ़िल्म को नही देखा वो एक बार जरुर देखे

6 comments:

  1. main bhi zaroor dekhoonga

    aapke jazbe ko salaam karta hoon

    jai hind !

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  2. मैने वीर सावरकर पर मराठी भाषा में बनी फिल्म देखी है। वे लोग जब तक रहे अपना काम कर गये। अब वर्तमान तो हमें ही देखना है।

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  3. भाटिया जी , हमने तो पोर्ट ब्लेयर की सर्कुलर जेल में वो कोठरी भी देखी थी जहाँ वीर सावरकर को कैद कर रखा गया था । और वो फंसी घर भी उनकी कोठरी के ठीक नीचे ही था ।

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  4. उस समय को केवल याद किया जा सकता है वो समय अब शायद कभी वापस नहीं आयेगा | फिल्म बहुत अच्छी और देश प्रेम के भावना जगाने वाली है |ये देश का दुर्भाग्य है की जब वीर सावरकर का नाम लिया जाता है तो उसे आज कल (हिन्दुवादी )भगवावादी कहा जाता है |

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  5. Desh ne Veer Saavarkar ko vo sammaan nahi diya jo unhe milna chaahiye tha ...

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मुझे शिकायत है !!!

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