7/16/08
आज भी बन्द हे शिकायत घर
संध्या काल महाशय बंता प्रेमिका के साथ पार्क में टहल रहे थे। बड़ा रोमांटिक मौसम था। बंता उसके कंधे पर हाथ रखकर फुसफुसाया - ''आई लव यू''
प्रेमिका कुछ ऊंचा सुनती थी, समझ नहीं सकी। उसने कहा - जोर से बोलो । बंता - ''जय माता दी''
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एक महाशय अपनी बीबी और नौ बच्चों के साथ बाजार घूमने निकले। बड़े होने के नाते बीबी-बच्चों को हिदायत देते हुये बोले - ''सब लोग कान खोलकर सुन लो, बाजार में कोई ऊधम नहीं करेगा, चुपचाप सब मेरे पीछे चलना, भागना नहीं। ये बाजार है बाजार, समझे!''अभी थोड़ी दूर चले ही थे कि एक पुलिस का सिपाही आया और उन महाशय को पकड़ कर ले जाने लगा। महाशय बोले - ''लेकिन मेरा कसूर क्या है ?'' सिपाही बोला - ''कसूर तो थाने चलकर पता चलेगा। तुमने कुछ न कुछ तो जरूर किया होगा तभी तो इतनी भीड़ तुम्हें घेर कर चल रही है।''
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एक भिखारी भीख मांगने के प्रयोजन से एक घर के दरवाजे पहुंचा और दस्तक दी। अन्दर से एक 46-47 की उम्र की महिला आई। भिखारी बोला - माताजी, भूखे को रोटी दो। महिला बोली - शरम नहीं आती, इतने हट्टे-कट्टे हो, कुछ कामधाम किया करो। दो-दो हाथ हैं, पैर हैं, आंखें हैं फिर भी भीख मांगते हो ! अब भिखारी ने भी सुर बदला और बोला - मैडम, आप भी इतनी खूबसूरत है, गोरी-चिट्टी हैं, गजब का फिगर है और अभी आपकी उम्र ही क्या है ? आप मुंबई जाकर हीरोइन क्यों नहीं बन जाती ? घर पर बेकार बैठी हो। महिला बोली - जरा रुको, मैं अभी तुम्हारे लिए हलवा-पूरी लाती हूं।
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प्रेमिका कुछ ऊंचा सुनती थी, समझ नहीं सकी। उसने कहा - जोर से बोलो । बंता - ''जय माता दी''
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एक महाशय अपनी बीबी और नौ बच्चों के साथ बाजार घूमने निकले। बड़े होने के नाते बीबी-बच्चों को हिदायत देते हुये बोले - ''सब लोग कान खोलकर सुन लो, बाजार में कोई ऊधम नहीं करेगा, चुपचाप सब मेरे पीछे चलना, भागना नहीं। ये बाजार है बाजार, समझे!''अभी थोड़ी दूर चले ही थे कि एक पुलिस का सिपाही आया और उन महाशय को पकड़ कर ले जाने लगा। महाशय बोले - ''लेकिन मेरा कसूर क्या है ?'' सिपाही बोला - ''कसूर तो थाने चलकर पता चलेगा। तुमने कुछ न कुछ तो जरूर किया होगा तभी तो इतनी भीड़ तुम्हें घेर कर चल रही है।''
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एक भिखारी भीख मांगने के प्रयोजन से एक घर के दरवाजे पहुंचा और दस्तक दी। अन्दर से एक 46-47 की उम्र की महिला आई। भिखारी बोला - माताजी, भूखे को रोटी दो। महिला बोली - शरम नहीं आती, इतने हट्टे-कट्टे हो, कुछ कामधाम किया करो। दो-दो हाथ हैं, पैर हैं, आंखें हैं फिर भी भीख मांगते हो ! अब भिखारी ने भी सुर बदला और बोला - मैडम, आप भी इतनी खूबसूरत है, गोरी-चिट्टी हैं, गजब का फिगर है और अभी आपकी उम्र ही क्या है ? आप मुंबई जाकर हीरोइन क्यों नहीं बन जाती ? घर पर बेकार बैठी हो। महिला बोली - जरा रुको, मैं अभी तुम्हारे लिए हलवा-पूरी लाती हूं।
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नाम
मजकिया फ़ुल झडी
6 comments:
नमस्कार, आप सब का स्वागत है। एक सूचना आप सब के लिये जिस पोस्ट पर आप टिपण्णी दे रहे हैं, अगर यह पोस्ट चार दिन से ज्यादा पुरानी है तो मॉडरेशन चालू हे, और इसे जल्द ही प्रकाशित किया जायेगा। नयी पोस्ट पर कोई मॉडरेशन नही है। आप का धन्यवाद, टिपण्णी देने के लिये****हुरा हुरा.... आज कल माडरेशन नही हे******
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bahut khoob.. :)
ReplyDeleteभिखारी वाला चुटकुला अच्छा लगा
ReplyDeletemera blog bhi dekhe
जी थारी बात बिल्कुल सही सै ! ये तो शास्त्र के वचन सै जी ! उंचा सुणै तो बोलो जय माता दी ! और बहुमत (भीड़) आज कल ग़लत कोनी हो सके ! सो थाने तो जाना ही पडेगा !
ReplyDeleteऔर भाटिया जी थम जानो की जबान का रस तो घना सुथरा हुया करै सै ! कभी पिटवा दे और कभी हलवा पूरी खिलवा दे !
ha ha ha Raj ji kya cutukale sunate hai. maja aa gya padhkar.
ReplyDeleteसच्ची राज जी मज़ा आगया,भिखारी ने मैडम को तो खुश ही कर दिया....हे हे
ReplyDeleteराज जी
ReplyDeleteबहुत बढ़िया । हास्य बिखेरने के लिए आभार।