7/23/08
6 comments:
नमस्कार, आप सब का स्वागत है। एक सूचना आप सब के लिये जिस पोस्ट पर आप टिपण्णी दे रहे हैं, अगर यह पोस्ट चार दिन से ज्यादा पुरानी है तो मॉडरेशन चालू हे, और इसे जल्द ही प्रकाशित किया जायेगा। नयी पोस्ट पर कोई मॉडरेशन नही है। आप का धन्यवाद, टिपण्णी देने के लिये****हुरा हुरा.... आज कल माडरेशन नही हे******
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बहुत बढिया गीत सुनवाया-
ReplyDeleteबस यही अपराध मैं हर बार करता हूँ
आदमी हूँ आदमी से प्यार करता हूँ।
आभार।
samjh gaye hai sar ji....
ReplyDeletebhut badhiya gaana. aadmi hun aadmi ko pyar karta hun. sahi hai isko samjhane vale bhut kam hai.
ReplyDeleteभाई भाटिया जी क्यों उस जमाने की याद दिलाण लाग रे हो ! भाई यो सनीमा हमने देख्या था तब हम नए नए जवान होण लाग रे थे !
ReplyDeleteऔर कलकत्ता के राक्शी सिनेमा हाल में डेढ़ रु. की
बालकनी की टिकट ५ रु. में ब्लेक में खरीदी थी !
और उस बार हम पकडे गए थे और म्हारे बाबू (पिताजी) नै म्हारे और म्हारे दोस्त के हाड कूट दिए थे ! इस करके आज भी याद सै यो फ़िल्म तो !
और शायद हिरोइन थी मम्मीजी ( मेरी नही
करीना करीश्मा की ) !
पहचान कौन ?
आदमी हूँ आदमी से प्यार करता हूँ।
ReplyDelete---वाह, ऐसी शिकायत तो रोज हो..!!
मनोज जी से मुझे शिकायत है. आदमी से प्यार करने को वह अपराध कह रहे हैं. अगर यह बाकई अपराध है तब यह अपराध मैं हर पल करता हूँ.
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