3/18/09
सिलसिला....शिकायत
नमस्कार सभी को,
अजी यह एक नया सिलसिला चलाया हम ने, यहां एक दिन हम सब का होगा, जिस मै हम सप्ताह मे एक दिन इस सिलसिले मै हर बार कोई नयी बात ले कर आयेगे, ओर उस पर आप सब की राय मांगे गे, आप सब के विचार जाने गे, आप सब के दिल की बात जाने गे...
मुझे शिकायत है ? अजी मुझे अकेले को नही, हम सभी को किसी ना किसी से हमेशा कोई ना कोई शिकायत तो होती भी है, ओर मेरे ख्याल मे होनी भी चाहिये, अजी हम शिकायत करते किन से है ? सिर्फ़ अपनो से ही, कोई बेगानो से भी शिकायत करता है क्या ? ओर फ़िर शिकायत मै अपना पन भी होता है, प्यार भी होता है, अधिकार भी होता है.
लेकिन हम सब का शिकायत करने का अलग अलग तरीका होता है, कई लोग चुगली कर के किसी की शिकायत दुसरो से करते है, कई लोग एक दम से अपने दिल का गुबार गुस्से से निकाल लेते है, कई लोग लड कर अपनी शिकायत पुरी कर लेते है, तो कई अनामी टिपण्णियों से अपने दिल का गुबार निकाल लेते है, तो कई लोग बोलना बन्द कर देते है, कई लोग दिल ही दिल मे कुडते रहते है, ओर कई लोग टंकी पर चढ कर बीरू की तरह से अपने दिल की बात कह देते है.
लेकिन यहां आप सब लोग अपने अपने दिल की शिकायत कर सकते है, आप को किसी से भी शिकायत हो, जरुरी नही इस ब्लांग जगत से जुडे लोगो की ही शिकायत हो, यानि आप को किसी से भी शिकायत हो किसी से भी गुस्सा हो, अपने स्कुल मे किसी से, कालेज मै , दफ़तर मै, पडोस मै,किटी पार्टी मै, ब्लांग जगत मै, या फ़िर अपने परिवार मै तो देर मत करे , अपनी बात , अपना गुस्सा, अपनी शिकायत झट से यहां लिख दे.
हो सकता है आप के दिल का बोझ थोडा हलका हो जाये, साथ मै कोई आप को अच्छी सलाह भी दे दे,
लेकिन ध्यान रखे आप ने अपने दिल की बात तो लिखनी है,लेकिन किसी दुसरे के दिल को ठेस नही पहुचानी.
तो लिखिये अपनी शिकायत जिस से भी है, अगर मेरे से है, तो भी लिखे, इस समाज से है, तो भी लिखे, अपनी सास से, बहू से, बेटे से यानि जिस से भी हो........दुध वाले से, सब्जी वाले से, रेहडी वाले से, बस वाले से....
अजी यह एक नया सिलसिला चलाया हम ने, यहां एक दिन हम सब का होगा, जिस मै हम सप्ताह मे एक दिन इस सिलसिले मै हर बार कोई नयी बात ले कर आयेगे, ओर उस पर आप सब की राय मांगे गे, आप सब के विचार जाने गे, आप सब के दिल की बात जाने गे...
मुझे शिकायत है ? अजी मुझे अकेले को नही, हम सभी को किसी ना किसी से हमेशा कोई ना कोई शिकायत तो होती भी है, ओर मेरे ख्याल मे होनी भी चाहिये, अजी हम शिकायत करते किन से है ? सिर्फ़ अपनो से ही, कोई बेगानो से भी शिकायत करता है क्या ? ओर फ़िर शिकायत मै अपना पन भी होता है, प्यार भी होता है, अधिकार भी होता है.
लेकिन हम सब का शिकायत करने का अलग अलग तरीका होता है, कई लोग चुगली कर के किसी की शिकायत दुसरो से करते है, कई लोग एक दम से अपने दिल का गुबार गुस्से से निकाल लेते है, कई लोग लड कर अपनी शिकायत पुरी कर लेते है, तो कई अनामी टिपण्णियों से अपने दिल का गुबार निकाल लेते है, तो कई लोग बोलना बन्द कर देते है, कई लोग दिल ही दिल मे कुडते रहते है, ओर कई लोग टंकी पर चढ कर बीरू की तरह से अपने दिल की बात कह देते है.
लेकिन यहां आप सब लोग अपने अपने दिल की शिकायत कर सकते है, आप को किसी से भी शिकायत हो, जरुरी नही इस ब्लांग जगत से जुडे लोगो की ही शिकायत हो, यानि आप को किसी से भी शिकायत हो किसी से भी गुस्सा हो, अपने स्कुल मे किसी से, कालेज मै , दफ़तर मै, पडोस मै,किटी पार्टी मै, ब्लांग जगत मै, या फ़िर अपने परिवार मै तो देर मत करे , अपनी बात , अपना गुस्सा, अपनी शिकायत झट से यहां लिख दे.
हो सकता है आप के दिल का बोझ थोडा हलका हो जाये, साथ मै कोई आप को अच्छी सलाह भी दे दे,
लेकिन ध्यान रखे आप ने अपने दिल की बात तो लिखनी है,लेकिन किसी दुसरे के दिल को ठेस नही पहुचानी.
तो लिखिये अपनी शिकायत जिस से भी है, अगर मेरे से है, तो भी लिखे, इस समाज से है, तो भी लिखे, अपनी सास से, बहू से, बेटे से यानि जिस से भी हो........दुध वाले से, सब्जी वाले से, रेहडी वाले से, बस वाले से....
नाम
सिलसिला
24 comments:
नमस्कार, आप सब का स्वागत है। एक सूचना आप सब के लिये जिस पोस्ट पर आप टिपण्णी दे रहे हैं, अगर यह पोस्ट चार दिन से ज्यादा पुरानी है तो मॉडरेशन चालू हे, और इसे जल्द ही प्रकाशित किया जायेगा। नयी पोस्ट पर कोई मॉडरेशन नही है। आप का धन्यवाद, टिपण्णी देने के लिये****हुरा हुरा.... आज कल माडरेशन नही हे******
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माननीय महोदय
ReplyDeleteसादर अभिवादन
आपके ब्लाग की प्रस्तुति ने अत्यधिक प्रभावित किया। पत्रिकाओं की समीक्षा पढ़ने के लिए मेरे ब्लाग पर अवश्य पधारें।
अखिलेश शुक्ल
संपादक कथाचक्र
please visit us--
http://katha-chakra.blogspot.com
याद तो आने दीजिये किसी शिकायत को -हाँ याद आया ऐसे लोगों से शिकायत है जो यात्रा के दौरान आपकी पत्र पत्रिका मांग कर पढ़ते हैं और यदि आप भूल गए तो वापस नही करते !
ReplyDeleteहमें शिकायत है उन भैय्यन से जो थोक में मूंगफल्ली खाकर छिलके रेल के डिब्बे के अन्दर ही फेंक देते हैं.
ReplyDeletehame shikayat hai nse jo paan kha kar kahi bhi pichkari marte hai,nayi ya purani public property ya garder yabuilding,railwaystation kharab karte hai.
ReplyDeleteआपति दर्ज करा देने से शिकायत दूर नहीं होती . उसके लिये जमीनी स्तर पर काम करना होता हैं . जब भी हमे किसी से शिकायत हो टी हैं तो उसका अर्थ होता हैं की हम उसकी उस जीवन शैली को पसंद नहीं करते . बस हमें इतना करना होता हैं की हम खुद उस बात को कभी ना करे जिसे पसंद नहीं करते . दूसरो के अवगुण गिनाना और अपने छुपना बहुत आसन होता हैं
ReplyDeleteउनको ये शि्कायत है कि कुछ नही कहते।
ReplyDelete"शिकायत" किसी से भी कभी भी......अपने मन की..... आदरणीय राज जी आज आपकी ये पोस्ट पढ़ कर बहुत सुकून मिला की कोई तो ऐसे जगह मिली जहां हम अपने मन की बात रख सकते हैं...दिल का बोझ हल्का कर सकते हैं.....ये भी सही है की हर शिकायत का कोई नातिजा या हल नहीं निकलेगा मगर ये भी क्या कम है की अपने मन की कह कर हम कुछ राहत महसूस कर सकें...." इस नई शुरुआत के लिए आभार और शुभकामनाये "
ReplyDeleteRegards
हां जी नोट करिये, हमको शिकायत है राज भाटिया जी ने हमको रुपये उधार देने से मना कर दिया है. जब तेजी मे रुपया हमको उधार दिया तो अब मंदी मे भी देना चाहिये.
ReplyDeleteमाननिय टिपणीकारों आप ही इनको समझाओ और हमको रुपया दिलवाओ.
रामराम.
और जल्दी से बीस लाख रुपये की पहली किस्त भिजवाई जाये.
ReplyDeleteरामराम.
मुझे शिकयत है राज जी से जो अब मेरे दरवार मे न जाने क्योँ नहीं आते उनकी टिप्पणी के बिना अधुरा सा लगता है
ReplyDeleteमुझे शिकायत है उन महानुभाओ से जो पैसे तो उधार लेते हैं पर देने का नाम भूल जाते है .
ReplyDelete(एक अच्छाई भी है दुबारा फिर नहीं मांगते)
किस जुबां से करे शिकवा हम जमाने का
ReplyDeleteजो मिला है,अभी उसका अहसां तो चुकाया न गया
अपने लिखा है ना की किसी के दिल को ठेस नहीं पहुंचनी चाहिए... इस लिए ही तो आज तक किसी से कोई शिकायत नहीं की...कैसे करें शिकायत कमबख्त दिल राजी नहीं होता शिकायत करने को...
ReplyDeleteमीत
किसी से कोई शिकायत नहीं - कर्तब्य पथ पर जो भी मिला यह भी सही वह भी सही |
ReplyDeleteहमें तो बस खुदा से शिकायत है ...
ReplyDeleteअच्छी शुरुआत है .
ReplyDeleteशुभकामनायेँ
उम्दा विचार के लिए साधुवाद...
ReplyDeleteप्रिय भाटिया जी,
ReplyDeleteलोग अकसर मेरे पास व्यक्तिगत समस्याओं के बारे में परामर्श के लिये आते हैं. मैं भरपूर मदद करता हूँ और अधिकतर लोगों को काफी फायदा होता है.
यह कार्य मैं 1970 से शौकिया और 1984 से पेशेवर (ट्रेनिंग लेकर) करता आया हूँ.
इन लम्बे सालों में मैं ने एक बात नोट की है कि लोग कई बार बिना सोचे समझे दूसरों के बारें उनके सामने टिप्पणी, निंदा, बुराई कर देते हैं और इसका परिणाम दूरगामी होता है. कई बार जिंदगियां बर्बाद हो जाती हैं.
मेरे एक साथी अध्यापक ने एक विद्यार्थी से कह दिया कि "तुम कुछ नहीं कर पाओगे". वह संवेदनशील व्यक्ति मानसिक रूप से विक्षिप्त हो गया.
लापरवाही से मूँह चला कर दूसरों को बर्बाद करने वालों से मुझे हमेशा शिकायत रहेगी.
सस्नेह -- शास्त्री
सराहनीय शुरुआत।
ReplyDeleteमेरी शिकायत तो आप से है कि आप मेरे ब्लांग तक नहीं आते या चुप्पे चप्पे चले जाते है , पर देखिए ये ताऊ जी की शिकायद तो गजब ही है ..
ReplyDeleteमुझे भाटियाजी से शिकायत है कि वो सिर्फ ताऊ को उधारी लगाते है हम शहूकारो पे भरोसा नही। जबकि भाटीयाजी को पता है ताऊ एक नम्बर का लुटेरा है। समझो नटवरलाल जैसा।
ReplyDelete(आपको यह कॉलम प्रत्येक शनिवार को लगाना चाहिऐ और नाम होना चाहिऐ "भाटियाजी कि पचायत" इधर शनिवार को ताऊ कि शनिचरी चलती रहे उधर ताऊ कि खबर लेते रहे पचायत मे।)
बहुत बढीयाजी, भाटिया अन्कलजी!!!! मजा आ गया आज तो!!!! लगता है काजु असर दिखाना शुरु कर दिया है।
( हे प्रभु यह तेरापन्थ कि इकाई ब्लोग "मुम्बई टाईगर" )
मुझे शिकायत है उनसे ... जो हर जगह अधिकार प्राप्त करने में मारामारी कर सबसे आगे बढ जाते हैं ... पर कर्तब्य पालन का वक्त आता है ... तो धीरे से खिसक कर पीछे हो जाते हैं।
ReplyDeletebhatiyaa ji raaj ki baat hai ki shikaayat to apno se ki jaati hai lekin jab shikaayat kardi jaati hai to apne pan par sawaaliyaa nishaan lag jaataa hai phir dil to dil hi hai kabhi naa kabhi shikaayat kar hi detaa hai aur apno ko apne se door kar detaa hai .aap door reh kar bhi nazdeeki banaaye ho aur hamse shikaayat maag kar doori banaane ko keh rahe ho yeh changee gal nahi hai .
ReplyDeleteshikayaten hi sudharne ka mauka deti hain.
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