1/2/10
राज !! अगले जन्म का?? भाग ३
नमस्कार आप सभी का स्वागत है हमारे इस अति सुंदर स्टुडियो मै, मै बेकार कुमार, ओर मेरे साथी डा, झटका जी आप सभी को हाथ जोड कर अभिनंदन करते है.....
आज हमारे स्टुडियो मै हमारे मेहमान है..... सेठ कुडा मल जी, यह शहर के बहुत बडी जान मानी हस्ती है,यह गर्म मसालो, मिर्च, हलदी यानि आप की किचने के मसालो के राजा है, इन के पिता जी ने आज से काफ़ी समय पहले यह व्यापार शुरु किया था फ़ेरी लगा कर गली गली मै समान बेच कर, ओर आज इन का नाम शहर के बडे बडे सेठो मै आता है, दान दिल खोल कर करते है...
सेठ कुडा मल जी आप का स्वागत है , आप केसे है , रास्ते मै कोई दिक्कत तो नही हुयी?
सेठ कुडा मल जी बेठते हुये, अजी केसी दिक्कत,मुझे तो बहुत खुशी हुयी आप के यहां आ कर,
बेकार जी... इन से मिले यह है डां झटका यह आप को ले जायेगे अपने उडन खिटोले पर आप के सुनहरे भविष्या मै, यानि आप को आप के अगले जन्म मै, लेकिन उस से पहले आप हमारे देखने बालो ओर ब्लांग पढने वालो को, जो आप को नही जानते कुछ बतायेगे...
सेठ कुडा मल जी... जी क्यो नही, देखिये जेसा कि आप सब को पता है मेरे पिता सारा दिन सर पर टोकरी ले कर तरह तरह के मसाले फ़ेरी लगा लगा कर बेचते थे, ओर हमारी मां ओर बहिने घर मै सारा दिन यह मसाले घर मै पिसती थी, ओर लोग सिर्फ़ सिर्फ़ हमारे पिता से ही मसाले खरीदते थे, क्योकि पिता जी बहुत सस्ते मै बेचते थे, ओर शुद्ध मसाले बेचते थे, ओर इस इमान दारी से हमारी रोटी भी मुश्किल से चलती थी, फ़िर हम जवान हुये, ओर पिता जी ने अपना नाम तो खुब कमाया लेकिन पेसा नही, ओर एक दिन घर से सदा के लिये चलेगे भगवान के घर, फ़िर हम दोनो भाईयो ने पिता जी का धंधा शुरु किया,लेकिन इतनी मेहनत से हम सिर्फ़ दो वक्त की रोटी ही कमा पाते थे, फ़िर एक दिन मुझे घोडे ओर गधे की लीद दिखी जो बिलकुल गर्म मासाले की तरह से दिख रही थी सुख कर, फ़िर हम ने अपने भाई से सलाह की ओर उसे गर्म मसाले मै मिलाना शुरु कर दिया, फ़िर मिर्च मै ईंट का चुरा, काळी मिर्च मै पपिते के बीज,मिलावटी तेल, मिलावटी घी... बनाना शुरु कर दिया, फ़िर तो लक्षमी हमारे ऊपर बरसात की तरह से बरसने लगी, ओर हम आज कई दवाईयो की फ़ेकटरियो के मालिक है, भगवान का दिया सब है....
बेकार जी..... लेकिन आप का उत्पादन खा कर लोग बिमार भी तो हो जाते होंगे, फ़िर दवा भी आप की कम्पनी की ओर वो भी नकली? क्या आप को डर नही लगता?
सेठ कुडा मल जी अजी डर कैसा यह पैसा सब का मुंह बन्द कर देता है.
बेकार जी... लेकिन पाप भी तो लगता होगा ना...
सेठ कुडा मल जी... अजी हम लाखो रुप्या इस भगवान के मंदिर मै चढाते है, ओर अन्य धार्मिक स्थानो पर भी चंदा देते है , यानि हम अपना पाप साथ धोते भी तो है.फ़िर हर कोई अपनी किसमत ले कर पेदा होता है अगर कोई गरीबी मै हमारा सस्ता माल खा कर मरे तो हम क्या करे.
लेकिन आप तो वही माल होटल वालो को भी देते है ना...
सेठ कूडा मल जी.... तो पाप तो होटल बाले को लगेगा ना, जो सडीगली सब्जियो मै हमारे मिलावटी मसाले मिला कर लोगो को खिला रहा है,
बेकार कुमार जी खडे होते हुये.... तो चलिये सेठ जी अब आप को हम उस उडन खिटोले की तरफ़ ले जाते है...
सेठ कुडा मल जी डां झटका के संग जा रहे है....
ओर पीछे से बेकार कुमार जी की आवाज आती है....
मेरा सेठ भी तेयार है, मेरा उडन खिटोला भी स्टार्ट है, ओर मेरे ब्लांगर भी बेताब है
सेठ कुडा मल जी ऊडन खिटोले पर लेटे है घडी दिखा रही कि उन्हे ५९ मिन्ट हो गये लेटे हुये
डां झटका जी उन से पुछ रहे है कि सेठ जी अब आप अपने आस पास देखे.... ओर बताये आप क्या देख रहे है....
सेठ कुडा मल जी.... मेरे आस पास बहुत से लोग घुम रहे है
डां झटका जी... आप देखे केसे लोग है यह...
सेठ कुडा मल जी....मुझे लगता है कि मै किसी धार्मिक जगह पर हुं.
डां झटका जी...यानि आप अगले जन्म मै भी आदमी की योनि मै हे.
सेठ कुडा मल जी.... जी.
डां झटका जी.......तो देखे आप किस भेषभुसा मै है.
सेठ कुडा मल जी....जी मेरे शरीर पर कॊई कपडा नही बस एक फ़टी हुयी धोती है
डां झटका जी.......यानि आप किसी स्नान करने वाली जगह के नजदीक है?
सेठ कुडा मल जी....जी मै कलकता मै कोडियो के बीच मै हुं, ओर मेरा सारा शरीर सडा है कोड से. इस कारण कोई कपडा नही पहन सकता
डां झटका जी.......देखिये क्या आप का शरीर बचपन से ही ऎसा है? थोडा पिछे चले....
सेठ कुडा मल जी....नही मैने जन्म लिया जहां वो घर तो बहुत अमीर है, लेकिन शहर मै कोई मिलावटी समान बेचता है जिस से बहुत से लोग मर गये,मेरे शरीर पर भी गहरे गहरे घाव बनाने शुरु हो गये, मेरे पिता के पास बहुत पेसा था, शायद पिता ही मिलावट का काम करते है, मेरा इलाज नही हो पाया, ओर धीरे धीरे मेरे शरीर से बहुत बदबू आने लगी, ओर एक दिन पिता जी मेरी फ़िकर मै चल बसे, मां भी सह ना पायी ओर वो भी चल बसी,अब मेरे पास कोई नही था, नोकर चाकर सब मेरी बिमारी देख कर भाग गये, फ़िर एक दिन मै सब कुछ छोड कर यहां आ जाता हू, ओर भगवान से अपना अन्त मांग रहा हुं, मेरे जिस्म मै कीडे पड गये है, लोग मेरी तरफ़ देखते भी नही, बस कानो मै आवाजे आ रही है कि पता नही इसे किस जन्म कि, किस कासूर की सजा मिल रही है.
डां झटका जी.......बहुत दर्द नाक लगी आप की यह स्थिति, अब आप आगे जाना चाहेगे या वापिस हम भविष्या मै आये...
सेठा कुडा मल जी वापिस आना चाहते है, तो डां झटका उन्हे फ़िर से वापिस इस जन्म मै ले आते है, ओर सेठ कुडा मल जी अगले जन्म का सब कुछ भुल कर फ़िर से अपने व्यापार मै लग जाते है.
यह सब मेरी एक कल्पना ही है , इस लेख का वास्ता किसी के जीवन से नही, अगर संजोग से ऎसा हो तो उन्हे अपने अगले जुन्म के लिये तेयार रहा चाहिये.
राम राम
आज हमारे स्टुडियो मै हमारे मेहमान है..... सेठ कुडा मल जी, यह शहर के बहुत बडी जान मानी हस्ती है,यह गर्म मसालो, मिर्च, हलदी यानि आप की किचने के मसालो के राजा है, इन के पिता जी ने आज से काफ़ी समय पहले यह व्यापार शुरु किया था फ़ेरी लगा कर गली गली मै समान बेच कर, ओर आज इन का नाम शहर के बडे बडे सेठो मै आता है, दान दिल खोल कर करते है...
सेठ कुडा मल जी आप का स्वागत है , आप केसे है , रास्ते मै कोई दिक्कत तो नही हुयी?
सेठ कुडा मल जी बेठते हुये, अजी केसी दिक्कत,मुझे तो बहुत खुशी हुयी आप के यहां आ कर,
बेकार जी... इन से मिले यह है डां झटका यह आप को ले जायेगे अपने उडन खिटोले पर आप के सुनहरे भविष्या मै, यानि आप को आप के अगले जन्म मै, लेकिन उस से पहले आप हमारे देखने बालो ओर ब्लांग पढने वालो को, जो आप को नही जानते कुछ बतायेगे...
सेठ कुडा मल जी... जी क्यो नही, देखिये जेसा कि आप सब को पता है मेरे पिता सारा दिन सर पर टोकरी ले कर तरह तरह के मसाले फ़ेरी लगा लगा कर बेचते थे, ओर हमारी मां ओर बहिने घर मै सारा दिन यह मसाले घर मै पिसती थी, ओर लोग सिर्फ़ सिर्फ़ हमारे पिता से ही मसाले खरीदते थे, क्योकि पिता जी बहुत सस्ते मै बेचते थे, ओर शुद्ध मसाले बेचते थे, ओर इस इमान दारी से हमारी रोटी भी मुश्किल से चलती थी, फ़िर हम जवान हुये, ओर पिता जी ने अपना नाम तो खुब कमाया लेकिन पेसा नही, ओर एक दिन घर से सदा के लिये चलेगे भगवान के घर, फ़िर हम दोनो भाईयो ने पिता जी का धंधा शुरु किया,लेकिन इतनी मेहनत से हम सिर्फ़ दो वक्त की रोटी ही कमा पाते थे, फ़िर एक दिन मुझे घोडे ओर गधे की लीद दिखी जो बिलकुल गर्म मासाले की तरह से दिख रही थी सुख कर, फ़िर हम ने अपने भाई से सलाह की ओर उसे गर्म मसाले मै मिलाना शुरु कर दिया, फ़िर मिर्च मै ईंट का चुरा, काळी मिर्च मै पपिते के बीज,मिलावटी तेल, मिलावटी घी... बनाना शुरु कर दिया, फ़िर तो लक्षमी हमारे ऊपर बरसात की तरह से बरसने लगी, ओर हम आज कई दवाईयो की फ़ेकटरियो के मालिक है, भगवान का दिया सब है....
बेकार जी..... लेकिन आप का उत्पादन खा कर लोग बिमार भी तो हो जाते होंगे, फ़िर दवा भी आप की कम्पनी की ओर वो भी नकली? क्या आप को डर नही लगता?
सेठ कुडा मल जी अजी डर कैसा यह पैसा सब का मुंह बन्द कर देता है.
बेकार जी... लेकिन पाप भी तो लगता होगा ना...
सेठ कुडा मल जी... अजी हम लाखो रुप्या इस भगवान के मंदिर मै चढाते है, ओर अन्य धार्मिक स्थानो पर भी चंदा देते है , यानि हम अपना पाप साथ धोते भी तो है.फ़िर हर कोई अपनी किसमत ले कर पेदा होता है अगर कोई गरीबी मै हमारा सस्ता माल खा कर मरे तो हम क्या करे.
लेकिन आप तो वही माल होटल वालो को भी देते है ना...
सेठ कूडा मल जी.... तो पाप तो होटल बाले को लगेगा ना, जो सडीगली सब्जियो मै हमारे मिलावटी मसाले मिला कर लोगो को खिला रहा है,
बेकार कुमार जी खडे होते हुये.... तो चलिये सेठ जी अब आप को हम उस उडन खिटोले की तरफ़ ले जाते है...
सेठ कुडा मल जी डां झटका के संग जा रहे है....
ओर पीछे से बेकार कुमार जी की आवाज आती है....
मेरा सेठ भी तेयार है, मेरा उडन खिटोला भी स्टार्ट है, ओर मेरे ब्लांगर भी बेताब है
सेठ कुडा मल जी ऊडन खिटोले पर लेटे है घडी दिखा रही कि उन्हे ५९ मिन्ट हो गये लेटे हुये
डां झटका जी उन से पुछ रहे है कि सेठ जी अब आप अपने आस पास देखे.... ओर बताये आप क्या देख रहे है....
सेठ कुडा मल जी.... मेरे आस पास बहुत से लोग घुम रहे है
डां झटका जी... आप देखे केसे लोग है यह...
सेठ कुडा मल जी....मुझे लगता है कि मै किसी धार्मिक जगह पर हुं.
डां झटका जी...यानि आप अगले जन्म मै भी आदमी की योनि मै हे.
सेठ कुडा मल जी.... जी.
डां झटका जी.......तो देखे आप किस भेषभुसा मै है.
सेठ कुडा मल जी....जी मेरे शरीर पर कॊई कपडा नही बस एक फ़टी हुयी धोती है
डां झटका जी.......यानि आप किसी स्नान करने वाली जगह के नजदीक है?
सेठ कुडा मल जी....जी मै कलकता मै कोडियो के बीच मै हुं, ओर मेरा सारा शरीर सडा है कोड से. इस कारण कोई कपडा नही पहन सकता
डां झटका जी.......देखिये क्या आप का शरीर बचपन से ही ऎसा है? थोडा पिछे चले....
सेठ कुडा मल जी....नही मैने जन्म लिया जहां वो घर तो बहुत अमीर है, लेकिन शहर मै कोई मिलावटी समान बेचता है जिस से बहुत से लोग मर गये,मेरे शरीर पर भी गहरे गहरे घाव बनाने शुरु हो गये, मेरे पिता के पास बहुत पेसा था, शायद पिता ही मिलावट का काम करते है, मेरा इलाज नही हो पाया, ओर धीरे धीरे मेरे शरीर से बहुत बदबू आने लगी, ओर एक दिन पिता जी मेरी फ़िकर मै चल बसे, मां भी सह ना पायी ओर वो भी चल बसी,अब मेरे पास कोई नही था, नोकर चाकर सब मेरी बिमारी देख कर भाग गये, फ़िर एक दिन मै सब कुछ छोड कर यहां आ जाता हू, ओर भगवान से अपना अन्त मांग रहा हुं, मेरे जिस्म मै कीडे पड गये है, लोग मेरी तरफ़ देखते भी नही, बस कानो मै आवाजे आ रही है कि पता नही इसे किस जन्म कि, किस कासूर की सजा मिल रही है.
डां झटका जी.......बहुत दर्द नाक लगी आप की यह स्थिति, अब आप आगे जाना चाहेगे या वापिस हम भविष्या मै आये...
सेठा कुडा मल जी वापिस आना चाहते है, तो डां झटका उन्हे फ़िर से वापिस इस जन्म मै ले आते है, ओर सेठ कुडा मल जी अगले जन्म का सब कुछ भुल कर फ़िर से अपने व्यापार मै लग जाते है.
यह सब मेरी एक कल्पना ही है , इस लेख का वास्ता किसी के जीवन से नही, अगर संजोग से ऎसा हो तो उन्हे अपने अगले जुन्म के लिये तेयार रहा चाहिये.
राम राम
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13 comments:
नमस्कार, आप सब का स्वागत है। एक सूचना आप सब के लिये जिस पोस्ट पर आप टिपण्णी दे रहे हैं, अगर यह पोस्ट चार दिन से ज्यादा पुरानी है तो मॉडरेशन चालू हे, और इसे जल्द ही प्रकाशित किया जायेगा। नयी पोस्ट पर कोई मॉडरेशन नही है। आप का धन्यवाद, टिपण्णी देने के लिये****हुरा हुरा.... आज कल माडरेशन नही हे******
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कूड़ाजमातों पर बेहतरीन व्यंग्य है।
ReplyDeleteअगले जन्म का तो पता नहीं ...ऐसे लोगों को इस जन्म में ही सजा मिले तब ही रुकेगा ये मिलावटी कारोबार ...!!
ReplyDeleteबहुत अच्छी रचना। बधाई।
ReplyDeleteहम तो सोच रहे थे कि नये साल मे
ReplyDeleteअन्त्याक्षरी लगाओगे।
आपकी पोस्ट बढ़िया है जी।
आज इसी से काम चला लेते हैं।
pranaam hai aapko !
ReplyDeletegazab ka vyangya aur saarthak vyangya
laffaaji nahin...
aisi rachnaaon ki hi aaj zaroorat hai
dhnyavad !
बहुत ही सशक्त व्यंग.
ReplyDeleteरामराम.
लाजवाब व्यंग्य्!
ReplyDeleteअगर किसी मिलावटखोर ने आपका ये व्यंग्य पढ लिया तो समझिए वो तो जरूर ही तौबा कर लेगा ।
आदरणीय राज साहब,
ReplyDeleteआपने तंज़ को रीडिफ़ाइन कर दिया जी। इतनी सहजता से आपने बात कह दी जो वास्तव में आसान नहीं थी। आप को नववर्ष की शुभकामनाओं सहित प्रणाम।
अगर सजा मिलने में देर न हो तो अंधेर भी न हो।
ReplyDeleteअच्छा व्यंग।
काश आज के सैंकड़ों कुड़ामल रूपी मौत के सौदागर इसे पढ पायें।
ReplyDeleteमिरांडा का ज़ोर का झटका हल्के से लगे :)
ReplyDeleteसभी मिलावट खोरों को समर्पित ये व्यंग्य शानदार है....
ReplyDeleteबहुत उम्दा .
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