1/6/10
आज की अंताक्षरी
नमस्कार, सलाम, सत श्री अकाल जी, तो लिजिये आज हमारे यहां छुट्टी है ओर इस छुट्टी का लाभ इस भरी सर्दी मै कुछ इस प्रकार उठाया जाये कि समय बिताने के संग संग कुछ मनोरंजन भी हो, तो ली जिये आज आप इस भजन को सुने ओर इस के आंतिम अक्षर से अगली रचना पेश करे, अब चाहे भजन हो, गीत हो, प्राथना हो, आप की अपनी कविता हो, गजल ठुमरी हो, बस अंतिम अक्षर से आगे कडी बनाते चले, ओर प्रेम की गंगा बहाते चले... चलिये अगर आप का मन इस अति सुंदर भजन सुनाने का नही तो हम बता देते है इस भजन का आंतिम अक्षर रे यानि आप ने र अक्षर से अगली कडी मिलानी है, अभी मै सपन लोक मै विचरण कर रहा हुं, बस थोडी देर मै आता हुं, तब तक आप महफ़िल लगाये... अक्षर है ***र***
नाम
अन्ताक्षरी
34 comments:
नमस्कार, आप सब का स्वागत है। एक सूचना आप सब के लिये जिस पोस्ट पर आप टिपण्णी दे रहे हैं, अगर यह पोस्ट चार दिन से ज्यादा पुरानी है तो मॉडरेशन चालू हे, और इसे जल्द ही प्रकाशित किया जायेगा। नयी पोस्ट पर कोई मॉडरेशन नही है। आप का धन्यवाद, टिपण्णी देने के लिये****हुरा हुरा.... आज कल माडरेशन नही हे******
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भाटिया साहब,
ReplyDeleteरमैया वक्ता बईया - रमैया वक्ता बईया
आज पता नहीं क्यों कोई भी इधर न अइया........!:)
ये दुनिया ये महफ़िल मेरे काम की नही.
ReplyDelete(ह)
रामराम.
ये दिल की लगी कम क्या होगी
ReplyDeleteये इश्क़ भला कम क्या होगा
जब रात है ऐसी मतवाली
फिर सुबह का आलम क्या होगा
ग से आगे...
गोदियाल साहब कोई गल नही
होठों पे सच्चाई रहती है
ReplyDeleteजहाँ दिल में सफ़ाई रहती है
हम उस देश के वासी हैं,
हम उस देश के वासी हैं
जिस देश में गंगा बहती है
ह से
हर खुशी हो वहाँ तू जहाँ भी रहे रोशनी हो वहाँ तो जहाँ भी रहे।
ReplyDeleteह से
हाय-हाय ये मजबूरी
ReplyDeleteमौसम और ये दूरी ,
र से-
रसिक बलमा, हाय, दिल क्यों लगाया
ReplyDeleteतोसे दिल क्यों लगाया, जैसे रोग लगाया
य से
ये दुनिया ये महफिल मेरे काम की नहीं मेरे काम की नहीं
ReplyDeleteह से
हमदम मेरे, मान भी जाओ
ReplyDeleteकहना मेरे प्यार का
अरे हल्का-हल्का, सुर्ख लबों पे
रंग तो है इक़रार का
क से
कजरे बदरवा रे मर्जी तेरी है क्या जालिमा
ReplyDeleteऐसे न बरस जुल्मी कह न दू किसी mai को बालमा .......
कजरे बदरवा रे .......
रे से
रंग और नूर की बारात किसे पेश करूँ
ReplyDeleteये मुरादों की हंसीं रात किसे पेश करूँ
र से
रात कली एक ख्वाब में आई
ReplyDeleteऔर गले का हार हुई....
ई से...........
इस दुनिया में जीना हो तो सुन लो मेरी बात
ReplyDeleteग़म छोड़ के मना लो रंग रेली
ल से...........
लाली-लाली डोलिया मे लाली रे ललैया कि रस चूएला
ReplyDeleteल से
लागा चुनरी में दाग छिपाऊँ कैसे?
ReplyDelete"स" से-
सुख के सब साथी दुखमें न कोई
ReplyDeleteमेरे राम, मेरे राम
म से....
माँ मुझे अपने आंचल में छुपा ले
ReplyDeleteगले से लगा ले कि और मेरा कोई नहीं ....
ह से
हम छोड चले हें महफिल को .. याद आए कभी तो मत रोना !! 'र' से
ReplyDeleteराज़-ए-दिल उनसे छुपाया ना गया
ReplyDeleteप्यार की आग कुछ ऐसी भड़की
क से....
कभी किसी को मुकम्मल जहाँ नहीं मिलता
ReplyDeleteकहीं जमीं तो कहीं आसमां नहीं मिलता
त से
तुम्हारी नज़र क्यों खफ़ा हो गई
ReplyDeleteखता बख्श दो गर खता हो गई
हमारा इरादा तो कुछ भी न था
तुम्हारी खता खुद सज़ा हो गई
इ... से
इन्तेहा हो गई इन्तेज़ार की..
ReplyDeleteआई न कुछ ख़बर मेरे यार की....
क.....
कोई सागर दिल को बहलाता नहीं
ReplyDeleteबेखुदी में भी क़रार आता नहीं
ह से....
हम भी है तुम भी हो दोनों है आमने सामने
ReplyDeleteदेख लो क्या असर कर दिया प्यार के नाम ने .......
n se
ReplyDeleteनन्हा मुन्ना राही हूँ, देश का सिपाही हूँ
ReplyDeleteबोलो मेरे संग, जय हिंद, जय हिंद, जय हिंद
द से....
दिल है कि मानता नहीं ----- ह से
ReplyDeleteदिल है कि मानता नहीं ----- ह से
ReplyDeleteहम तेरे बिना जी न सकेंगे सनम
ReplyDeleteदिल की ये आवाज़ है, दिल की ये आवाज़ है
ह से.....
हम लाये है तूफान से किश्ती निकल के
ReplyDeleteइस देश को रखना मेरे बच्चो संभाल की ..........
क से ........
कुछ शेर सुनाता हूँ मैं
ReplyDeleteजो तुझसे मुखातिब है
इक हुस्न परी दिल में है, ये उनसे मुखातिब है
ह से....
आपका यह आइडिया सचमुच लाजवाब है।
ReplyDelete--------
बारिश की वो सोंधी खुश्बू क्या कहती है?
क्या सुरक्षा के लिए इज्जत को तार तार करना जरूरी है?
हमने माना कि तगाफुल न करोगे हर्गिज़
ReplyDeleteखाक हो जाएंगे हम तुमको खबर होते तक.
क
वाह वाह भाटिया जी !
ReplyDelete