आज मैं अन्तर सोहिल शिकायत लेकर आया हूं, श्री नवीन जोशी जी के लिये।
राज भाटिया जी तकरीबन 30 वर्षों से विदेश में रह रहे हैं। उनको जर्मनी की नागरिकता मिली हुई है। फिर भी हिन्दी भाषा के प्रति उनका प्रेम और लगाव देखकर मन उनके लिये श्रद्धा से झुक जाता है। सच कहूं तो हिन्दी ब्लागरों को गर्व होना चाहिये। वरना आज भारत में रहने वाले ही काफी लोग हिन्दी में बात करना अपनी तौहीन समझते हैं। अपने बारे में ईमानदारी से कहूं तो शायद मैं भी केवल हिन्दी में ही ना लिख रहा होता, अगर मुझे हिन्दी के अलावा अंग्रेजी या दूसरी किसी भाषा का ज्ञान होता।
राज जी की पिछली पोस्ट पर आयी इन ब्लागर की टिप्पणी देखिये :
आपने हिन्दी की ऐसी की तैसी कर दी है. क्या ब्लॉग भी इसी काम के रह गए हैं कि वहां पेशाब और शौचालय जाने जैसी बातें साझा की जाएँ ? कम से कम 'पूरा' को 'पुरा' लिखने जैसी गलतियाँ तो न करैं. गलत कहा तो माफ़ कीजियेगा... हिंदी की यूँ बुरी गत देख चुप न रह सका..
यह टिप्पणी श्री नवीन जोशी जी की है। इनकी टिप्पणी को पढकर मैं इनके ब्लाग मन कही पर गया। पहले ही पृष्ठ पर सबसे ऊपर वाली पोस्ट पहाड की बेटी ने छुवा आसमान पर ही हिन्दी की कुछ गलतियां दिखाई दी। मेरे विचार से "छुवा" नहीं "छुआ" होना चाहिए था। आप भी देख लीजिये।
मैं तो अल्पशिक्षित हूं, ज्यादा ज्ञान नही है। हो सकता है इनकी हिन्दी सही हो और मैं गलत हूं। इसलिये आप सबसे इस बारे में सलाह और राय देने की आशा रखता हूं कि कु्छ ऐसी यादें जो बरबस ही मुस्कुराहटें ला देती है में क्या गलत लिखा है। ममगाई और ममगई यह शब्द मैनें पहली बार पढा है, मगर दोनों बार अलग-अलग तरीके से लिखा गया है, इसलिये इसे हाईलाईट किया है।
एक बात और मैं यह भी प्रबुद्ध ब्लागरों खासतौर से श्री नवीन जोशी जी से जानना चाहता हूं कि ब्लाग किसलिये है।
मैनें उनकी टिप्पणी पर टिप्पा भी किया था, वह भी आपने पढा होगा।
Bahut khoob, kuch log doosron kee galtiyaan to khoob nikalte hai lekin apne girevaan mein bnahee jhaankte .
ReplyDeleteइससे पहले भी राज जी की एक पोस्ट को डिलीट करवा दिया गया था। वह पोस्ट मैंनें नहीं पढी थी, मगर मुझे नहीं लगता कि राज जी के द्वारा कोई आपत्तिजनक पोस्ट प्रकाशित की गई होगी।
ReplyDeleteप्रणाम
अरे दूसरों का दोष देख रहे हैं खुद अपना नहीं ? भाटिया जी ने उत्तरोत्तर अपनी हिन्दी में सुधार किया है -मुझे आश्चर्यमिश्रित प्रसन्नता होती है !
ReplyDeleteअंतर सोहिल जी आपके इस पोस्ट को पढ़कर मैं इतना ही कहना चाहूँगा की ,किसी की कमियों को अगर सुधारने की दिशा में सार्थक प्रयास के तहत उजागर किया जाय,तब तो ठीक है ,लेकिन अगर दुर्भावना से ग्रसित होकर ,अगर किसी की कमियों को सिर्फ किसी की निंदा या किसी के अपमान के लिए उजागर किया जाय, तो मेरे समझ से ऐसा करने वाला सबसे मुर्ख व्यक्ति ही कहलायेगा / रही बात राज जी के पोस्ट को हटाने की तो मैं, इस विषय पर राज जी से ही आग्रह करूंगा की वह ही आपको बताएं की किस भावना और सार्थकता के लिए उन्होंने अपनी पोस्ट बदल दी थी / रही गलतियों की बात तो इन्सान गलतियों का पुतला है ,लेकिन अपनी गलती सहर्ष स्वीकार करने वाला ही ,असल इन्सान बन पाता है /
ReplyDeleteहम आपके साथ हैं ।
ReplyDeleteहम सभी को अपनी मातृभाषा लेखन में निरंतर सुधार करते रहना चाहिए।
ReplyDelete@honesty project democracy
ReplyDeleteआदरणीय
कृप्या श्री नवीन जोशी जी की टिप्पणी को फिर से पढें, उनके शब्दों की कठोरता ने मुझे यह लिखने पर मजबूर किया है। मेरे मन में किसी के प्रति कोई दुर्भावना नहीं है जी।
अगर वे किसी की भी गलती को नरम शब्दों में बतलाते हैं तो उनका स्वागत है। मुझे तो अच्छा लगेगा अगर मैं उनसे कुछ सीख सकूं।
प्रणाम
कल अन्तर सोहिल जी ने मेल कर के इस पोस्ट के बारे पुछा था, तो मेने कहां कि इसे प्रकाशित कर दो कोई बात नही, क्योकि जितना यह ब्लांग मेरा है उतना ही अन्तर सोहिल जी का भी है , इस कारण मैने उन्हे पहले भी कहा कि जो भी चाहो लिखो ओर प्रकाशित करो मुझ से पुछने की जरुरत नही.
ReplyDeleteश्री नवीन जोशी जी की टिपण्णी पढ कर मुझे भी थोडा अजीब लगा, अगर यही बात मुझे वो साधारण ढंग से कहते तो मुझे अच्छा लगता, लेकिन इस के वाजूद भी मैने उन्हे कुछ नही कहा, ओर ना ही उन की टिपण्णी को ही हटाया, बस यही मै आप न्सब से कहना चाहता हुं जब भी कोई ऎसी टिपण्णी आये उसे हटाये मत, फ़िर मुझे बहुत से मित्रो के मेल आये जो मुझे बहुत चाहते है, मैने सब को कहा कोई बात नही, अन्तर जी से शायद थोडा ज्यादा प्यार है ओर यह मेरी बहुत इज्जत करते है, इस लिये इन्हे बहुत बुरा लगा इस तरह की टिपण्णी, ओर इन्होने यह लेख लिख दिया, ओर मै भी इन के प्यार के आगे झुक गया गया, वेसे इन्होने इस पोस्ट मै कुछ भी गलत नही लिखा.
दुसरी बात मैने एक पोस्ट हटाई थी,honesty project democracy जी के एतराज के कारण, वैसे तो उस पोस्टर मै ओर उस पोस्ट मै ऎसा कुछ भी नही था, ओर ना ही अशीलता थी,ओर मै ऎसी पोस्टे सिर्फ़ मनोरंजन के लिये ही डालता हुं, ओर मैने उसे हटा लिया, क्योकि मेरी एक पोस्ट से किसी अन्जाने को दुख पहुचे, जिसे मै जानता तक नही, तो उस का क्या लाभ, ओर जब मैने उस पोस्ट को हटाया तो भी बहुत से लोगो ने कहा कि आप को वो पोस्ट नही हटानी चाहिये थी, तो मैने बस इअतना ही कहा कि मुझे किसी भी बहस मै नही पडना, तमाशा नही बनाना, फ़िर honesty project democracy का मेल भी आया तो मैने इन्हे भी कहा कि मुझे अच्छा लगा कि आप ने मेरी गलत बात पर मुझे टोका, वरना ब्लांग जगत मै रोजाना ही इतने झगडे चल रहे है, उन्ही से मन खराब होता है, तो चलिये जिन्हे संदेश देना था उन्हे मिल गया...
वेसे मेरी पहली पहली पोस्टे देखो तो एक ही लाईन मै २० २० गलतियां होती थी, तो मैने तो हिन्दी कुछ ही समय पढी है, फ़िर बीच मै ३० सालो का फ़ासला... लेकिन अब सुधार हो रहा है
इतने ख़फा न हो भाई । हिंदी में त्रुटियाँ कंप्यूटर और ट्रांसलिट्रेशन की वज़ह से भी होती हैं ।
ReplyDeleteफिर बंदा कोशिश तो कर ही रहा है न हिंदी में लिखने की ।
आज मेरे लेख पर भी किसी ने ऐसा ही तीर छोड़ा है।
गलत बात है।
कैसे कैसे लोग भरे हैं बाबा !
ReplyDeleteदेख कर हैरानी होती है.........
दूसरे की पतलून का छेद दिखाई देता है
ख़ुद की पूरी फटी पड़ी है मगर देखने की फुर्सत नहीं..........
अरे दूसरों का दोष देख रहे हैं खुद अपना नहीं ?
ReplyDeleteयहाँ कुछ लोग बिना मतलब में इंटेलिजेंट बनते हैं.... कमियाँ वही निकालता है.... जिसमें एहसास-ऐ-कमतरी होता है... यहाँ तो मिस्टेक होती ही है... क्यूंकि ... Transliteration की प्रॉब्लम है....
ReplyDeleteराज जी,
ReplyDeleteअलबेला खत्री जी ने सौ बातों की एक बात कह दी है...ये पढ़ कर ही शायद उन्हें अक्ल आ जाए...
जय हिंद...
हमारा ब्लॉग, हमारी पोस्ट, हमारी भाषा... भाई किसी को क्या पड़ी है.. गल्ती है मानेगे सुधारेगें आपको धन्यवाद देगें.. पर तहजीव से तो पेश आओ.. देखो तो सही किससे बात कर रहे हो...
ReplyDeletereader may i draw your attention to archives of this blog of april / may 2008 where a naari blog was made a soft target and mr balvinder who pointed mistakes was appreciated by mr raj bhatia for what antar is critising naveen
ReplyDeletecan we have same rules for everyone please !!!!!!!!!!
अमित जी,
ReplyDeleteआपने जो भी किया है, सही किया है। अब कुछ लोग इस बात को अखाडा बनाने पर लगे हैं, तो इनसे मत उलझिये। आपको जो कुछ लिखना था, पोस्ट में लिख दिया है, दूसरे टिप्पणी में क्या लिख रहे हैं, आपके साथ हैं या खिलाफ हैं; ये मत सोचिये। काम खत्म।
और हां, उनसे कह दीजिये कि नीरज जाट की किसी भी पोस्ट में वर्तनी सम्बन्धित गलती ढूंढ कर दिखाये। सबको पता है कि कौन कितने पानी में है।
@प्रिय मित्र नीरज जाट जी
ReplyDeleteआपकी बात से शत-प्रतिशत सहमति है। यह कोई विवाद नहीं है। मैं तो आप सबसे यह पूछना चाहता था कि क्या ब्लागिंग की कोई नियमावली भी है या होनी चाहिये, जिससे हमें पता लग सके कि क्या लिखा जाये और क्या नहीं।
@ बंधु श्री मिथिलेश दुबे जी
यहां साथ और विरोध की कोई बात ही नही है जी। श्री नवीन जोशी जी या किसी से भी मेरा कोई विरोध हो ही नहीं सकता हैं। मैं खुद इस लायक नही हूं।
क्या ब्लागिंग की कोई नियमावली भी है या होनी चाहिये, जिससे हमें पता लग सके कि क्या लिखा जाये और क्या नहीं।
ReplyDeleteblog ki sabsey baddi niyamavali haen soch mae visangati
dusro par prahaar karo aur apane par aaye to dikhyao ki ham kitnae susanskrit haen