10/1/10
बूझो तो जाने ? जबाब
वाह आज की पहेली सच मै ही बहुत कठिन थी, या आप सब ने हिम्मत ही हार दी, अजी बहुत आसान थी बस आप लोगो ने मेहनत नही की, मुझे तो लगता था कि आज कोई विजेता ही नही मिलेगा, लेकिन जब लोग जिमीकन्द,चुकंदर, ओर शलगम तक पहुचे तो मुझे लगा कि कोई ना कोई तो इस पहेली को जरुर बुझेगा, ओर सच मै इसे बूझ लिया, आज की पहेली के इकलोते विजेता...
जी आज की पहेली के इकलोते विजेता है हमारे प्रकाश गोविन्द जी
इसको "Black turnip" कहते हैं
Black turnip apparently is known in many countries, including Germany (Winterretich), France (navet du Pardailhan has a different shape), Britain and the US where it’s called Black Spanish Radish.
मेरी तरफ़ से विजेता ओए आप सब को हार्दिक बधाई.
जी यह हे काली मूली, मैने इसे भारत मै नही देखा, इस लिये मैने लिखा था, लेकिन हमारी बीबी ने कहा कि उन्होने इसे एक बार माल मे इसे देखा था, यह काली मूली आई तो एजिप्टन से है, लेकिन अब पुरी दुनिया मै मिलती है, हमारी मूली की तरह इस मे भी बहुत सी खुबियां है, हमारे यहां (जर्मनी मे) सफ़ेद मूली मिलती तो है, लेकिन उस का स्वाद बेकार होता है, एक मूली करीब २,३ किलो की होगी, ओर काटने पर अंदर से पक्की हुयी, इस लिये हम यहां हमेशा मुली की कमी महसुस करते थे, एक बार इस पर नजर पडी मंहगी तो लगी, लेकिन जब घर लाये ओर इसे काट कर खाया तो इस के आशिक बन गये.
इस के बारे हिन्दी मै तो मुझे कोई जानकारी नही मिली हा अग्रेजी मे हे, आप यहां जा कर इस के बारे पुरी जानकारी प्राप्त कर सकते है
आप सभी को बधाई, ओर सभी का धन्यवाद, ओर एक बार फ़िर से प्रकाश गोविंद जी को बहुत बहुत बधाई
जी आज की पहेली के इकलोते विजेता है हमारे प्रकाश गोविन्द जी
इसको "Black turnip" कहते हैं
Black turnip apparently is known in many countries, including Germany (Winterretich), France (navet du Pardailhan has a different shape), Britain and the US where it’s called Black Spanish Radish.
मेरी तरफ़ से विजेता ओए आप सब को हार्दिक बधाई.
जी यह हे काली मूली, मैने इसे भारत मै नही देखा, इस लिये मैने लिखा था, लेकिन हमारी बीबी ने कहा कि उन्होने इसे एक बार माल मे इसे देखा था, यह काली मूली आई तो एजिप्टन से है, लेकिन अब पुरी दुनिया मै मिलती है, हमारी मूली की तरह इस मे भी बहुत सी खुबियां है, हमारे यहां (जर्मनी मे) सफ़ेद मूली मिलती तो है, लेकिन उस का स्वाद बेकार होता है, एक मूली करीब २,३ किलो की होगी, ओर काटने पर अंदर से पक्की हुयी, इस लिये हम यहां हमेशा मुली की कमी महसुस करते थे, एक बार इस पर नजर पडी मंहगी तो लगी, लेकिन जब घर लाये ओर इसे काट कर खाया तो इस के आशिक बन गये.
इस के बारे हिन्दी मै तो मुझे कोई जानकारी नही मिली हा अग्रेजी मे हे, आप यहां जा कर इस के बारे पुरी जानकारी प्राप्त कर सकते है
आप सभी को बधाई, ओर सभी का धन्यवाद, ओर एक बार फ़िर से प्रकाश गोविंद जी को बहुत बहुत बधाई
नाम
पहेली
21 comments:
नमस्कार, आप सब का स्वागत है। एक सूचना आप सब के लिये जिस पोस्ट पर आप टिपण्णी दे रहे हैं, अगर यह पोस्ट चार दिन से ज्यादा पुरानी है तो मॉडरेशन चालू हे, और इसे जल्द ही प्रकाशित किया जायेगा। नयी पोस्ट पर कोई मॉडरेशन नही है। आप का धन्यवाद, टिपण्णी देने के लिये****हुरा हुरा.... आज कल माडरेशन नही हे******
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आज की पहेली के इकलोते विजेता प्रकाश गोविन्द जी को बहुत बधाई और शुभकामनाएं !!
ReplyDeleteबहुत ही सुन्दर पोस्ट .बधाई !
ReplyDeleteएक अच्छी जानकारी दी है आपने. हिंदुस्तान मैं जौनपुर कि भी मूली बहुत मशहूर थी. यह करीब ३-४ फीट लम्बी हुआ करती थी और स्वाद मैं मीठी. पिछले ६-७ साल से लगभग विलुप्त हो चुकी है
ReplyDeleteग़ज़ब की मूली है भाटिया जी । हम तो जाने क्या क्या सोचते रहे ।
ReplyDeleteबढ़िया जानकारी प्राप्त हुई , इस पहेली के द्वारा । आभार ।
मुश्किल थी पहेली ...इसलिए चुप लगा गए ...
ReplyDeleteप्रकाश जी को बधाई !
खोजी प्रकृति, परिश्रम, लगन और समर्पण को देखते हुए प्रकाश गोविन्द को मेरी भी बधाई.
ReplyDeleteS.M.MAsum जी ने सही कहा .... मुझे भी याद आ रहा है की बचपन में ३-४ फीट लम्बी मूली देखी थी ...... कहाँ गयी ...क्यों विलुप्त हुयी कुछ पता नहीं चला.
ReplyDeleteपहेली के द्वारा बढ़िया जानकारी
आभार
काटी सब्जी निकली मूली :-)
ReplyDeleteपहेली विजेता प्रकाश गोविन्द जी को बहुत बधाई और शुभकामनाएं
ReplyDeleteअरे! ये मूली थी! कमाल है मूलियाँ ऎसी भी होती हैं. हम तो इसे शलजम ही समझे बैठे थे :)
ReplyDeleteखैर "पहेली बुझक्कड" श्री प्रकाश गोविन्द जी को बधाई......:)
दो अक्टूबर को जन्मे,
ReplyDeleteदो भारत भाग्य विधाता।
लालबहादुर-गांधी जी से,
था जन-गण का नाता।।
इनके चरणों में श्रद्धा से,
मेरा मस्तक झुक जाता।।
बधाई पूछने और बूझने वाले को :)
ReplyDeleteआज की पहेली के इकलोते विजेता प्रकाश गोविन्द जी को मेरी ओर से भी बधाई ओर राज जी इस दुर्लभ जानकारी के लिए आपको भी धन्यवाद ,मुझे भी इस पकार की मूली का पहली बार पता चला
ReplyDeleteकिन्तु राज जी , आपके इस कथन से मैं सहमत नहीं हूँ की हमारी यहाँ की सफ़ेद मूली का स्वाद बेकार होता ,अजी हमारे यहाँ की सफ़ेद मूली में भी बहुत सी कच्छी ओर रसदार मोल्ली होती हैं जिनका स्वाद बहुत बढ़िया होता है
महक
@ महक जी, मैने भारत की सफ़ेद मूली की बात नही की, बाल्कि जर्मन मै जो सफ़ेद मूळी मिलती है उस के बारे कहा था,
ReplyDeleteप्रकाश गोविंद जी को बहुत बहुत बधाई !
ReplyDeleteसचमुच बहुत प्रतिभावान हैं , हर जगह विजयश्री इनके ही चरण चूमती है ।
शुभकामनाओं सहित
- राजेन्द्र स्वर्णकार
bhatia ji not fare chupchap paheli puchh lete ho pata bhi nahi chal pata mujhe mail kar diya karo taaki hum bhi hissa le saken
ReplyDeleteप्रकाश गोविंद जी को लख लख बधाई।
ReplyDelete................
…ब्लॉग चर्चा में आप सादर आमंत्रित हैं।
ताऊ पहेली ९५ का जवाब -- आप भी जानिए
ReplyDeletehttp://chorikablog.blogspot.com/2010/10/blog-post_9974.html
भारत प्रश्न मंच कि पहेली का जवाब
http://chorikablog.blogspot.com/2010/10/blog-post_8440.html
प्रकाश गोविंद जी सचमुच पहेली चैम्पियन हैं, उन्हें हार्दिक बधाई।
ReplyDelete................
..आप कितने बड़े सनकी ब्लॉगर हैं?
abye kali shaljam lag rahi thi ya vilayti baingan yahi to samajh me nahi aaya.chliye, kisi ne to ise pahchana,prakash goind ji ko bahut bahut badhai.
ReplyDeletepoonam
प्रकाश गोविन्द जी के पास तो ग्यान का भंडार है। उन्हें बहुत बहुत बधाई।
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