चित्र गूगल से साभार |
11/27/10
एक पैसे वाला शरीफ गुन्डा और बंटी चोर
अब आप बतायें क्या एक गरीब रिक्शे वाले की मजदूरी छीनना गुण्डागिरी नहीं है। जो लाखों कमाने वाला व्यापारी अपने दो रुपये छोडने के बजाय रिक्शे वाले के आठ रुपये छीन ले गया हो तो कैंसर किसे होगा, रिक्शे वाले को या फत्तू को। क्या फत्तू को खुद छुट्टे करवा कर रिक्शे वाले की मजदूरी नहीं देनी चाहिये थी। फत्तू दो रुपये की टॉफी या माचिस आदि भी खरीद कर छुट्टे करवा सकता था।
अब दूसरी बात बंटी चोर के लिये है। बंटी चोर जी अभी कुछ देर पहले आपने मेरी कौवा चला हंस की चाल और चाय पानी वाली पोस्ट पर टिप्पणी की है। दोनों में आपने ताऊ पहेली का उत्तर बताने वाली पोस्ट की लिंक दी है। मेरी नजर में यह बेहूदगी है और मैं अपने ब्लॉग से ये टिप्पणी हटा रहा हूँ। जैसे ही मुझे आपकी टिप्पणी दिखायी देगी हटा दूंगा ताकि दूसरे पाठक भी आपके ब्लॉग पर विजिट ना कर सकें। इसलिये इस प्रकार की टिप्पणी करने के लिये कृपा करके किसी दूसरी चौखट या जंगले (खिडकी) पर समय जाया करें। "मुझे शिकायत है" पर आई आपकी टिप्पणी हटाने में असमर्थ हूँ, इसलिये श्री राज भाटिया जी से अनुरोध करना चाहूँगा कि कृप्या बंटी चोर की टिप्पणी को हटा दें।
नाम
Antar Sohil,
अन्तर सोहिल,
शिकायत
12 comments:
नमस्कार, आप सब का स्वागत है। एक सूचना आप सब के लिये जिस पोस्ट पर आप टिपण्णी दे रहे हैं, अगर यह पोस्ट चार दिन से ज्यादा पुरानी है तो मॉडरेशन चालू हे, और इसे जल्द ही प्रकाशित किया जायेगा। नयी पोस्ट पर कोई मॉडरेशन नही है। आप का धन्यवाद, टिपण्णी देने के लिये****हुरा हुरा.... आज कल माडरेशन नही हे******
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aaj kal yese fattu aur choro ka hi jamana hai sir
ReplyDeletepranam
lala ji dele nahi denge bhali de dange .
ReplyDeleteआपके विचारों से सहमत हूँ .... आभार
ReplyDeleteफत्तू सेठ और बंटी चोर कया बात ,रब ने बना दी जोड़ी | एक चोर दूसरा डाकू |
ReplyDeleteइस बंटी चोर ने मेरे ब्लॉग पर भी वो कमेँट किया था। अपने ब्लॉग में वो ऐसे ही कई पहेलियोँ के उत्तर सार्वजनिक करता रहता है। पता नहीं वो ऐसा क्यों करता है?
ReplyDeleteबेहतरीन प्रस्तुति के लिए धन्यवाद .
ReplyDeleteनाम इसका चोर है
ReplyDeleteपर चुरा नहीं रहा है
बतला रहा है
कैसा चोर है
जरूर भेदिया है कोई
जिसने घर की लुटिया डुबोई
इसकी कंप्लेन दर्ज कराते हैं
पर कार्रवाई करेगा कौन
यह दुश्मन है
या है मित्र
मानें क्या इसे
आपकी पोस्ट बहुत ही सटीक और सामयिक है. फ़त्तु कार्पोरेट प्रतिनिधित्व कर रहा है और रिक्शेवाला तो जनता की भूमिका में है ही. आजकल फ़त्तू टाईप सेठ शोषण कुछ ज्यादा ही करने लगे हैं यानि मूल में भी धूल कर रहे हैं.:)
ReplyDeleteरामराम
अन्तर जी, आगे से चुपचाप चोर की टिप्पणी हटा दें।
ReplyDeleteपोस्ट पिखने से ऐसे लोगों को बल मिलता है।
कोई बात नहीं, फत्तू के यहां भगवान बिक्री विभाग या आयकर विभाग का इंसपेक्टर भेज देगा...
ReplyDeleteसोहेल जी ..बहुत गंभीर मुद्दे पर प्रकाश डाला है ..शुक्रिया
ReplyDeleteआपने मेरे ब्लॉग पर शेर सुधार के लिए कहा था , मैंने सुधार कर दिया है ..पढ़ कर बताना ..शुक्रिया
बेहतरीन प्रस्तुति!
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