1/27/11

ये फोटो देखकर आप कुछ कहना चाहेंगें?

ये अखबार कल 26 जनवरी 2011 के हैं। दैनिक भास्कर, दैनिक जागरण, द ट्रिब्यून, इनमें टाटा डोकोमो वालों ने देश को शुभकामनायें दी हैं। इन अखबारों के सम्पादक अपनी आंखें खुली रखते हैं या बन्द? 

सांपला में 23 जनवरी को तिरंगा उत्सव पर हल्का हसनगढ (यह हल्का अब भूपेन्द्र हुड्डा सरकार ने समाप्त कर दिया है) से पूर्व विधायक नरेश मलिक ने भी अपने भाषण में शहरवासियों को 61वें स्वतंत्रता दिवस की शुभकामनायें दी थी :-)








22 comments:

  1. स्वतंत्र हैं जी, जिसके जो मन में आए मनाए।
    चलो इनको स्वतंत्रा दिवस तो याद रहा, नहीं तो बाल दिवस भी मना सकते थे।

    अखबार वाले क्या करें, इनको तो बस विज्ञापन का पैसा चाहिए। चाहे आप जिंदे का "गरुड़ पुराण" बंचवा लो। :)

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  2. यह सब है पैसे की माया ... कहीं है धुप तो कहीं है छाया !!

    सारे अखबारों को मिल रहा है विज्ञापन ... तो वो भला क्यों दें कंपनी को इस गलती पर ज्ञापन !

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  3. ये विज्ञापन की दुनिया है । आकर्षित करने के लिए नए नए तरीके अपनाते हैं बस ।

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  4. ऐसी बहुत सी महान विभूतियाँ है इस देश में !:)


    LUCKNOW: Presiding as chief guest at a function held in Allahabad on the occasion of Republic Day, the speaker Sukhdeo Rajbhar , while addressing people said that the country should be proud of its Independence Day.

    Rajbhar spoke for about forty five minutes and all through his speech, he kept referring to Republic Day as Independence Day.

    He asked the people to take inspiration from all those who laid their lives and sacrificed everything for the country's independence.

    While many of those accompanying him did notice this glaring mistake, but the speaker was totally unaware of this and repeatedly mentioned about the Independence Day in his speech.

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  5. ये बताता है.. की मौका पड़ा तो टाटा गणतंत्र को बेचने में पीछे नहीं रहेगा..

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  6. भाई क्या सचमुच टाटा डोकोमो का दोष है? वो तो हर व्यक्ति,स्थान,भावना आदि का बाजारीकरण करके ही चल रहे लोग हैं लेकिन मीडिया को आप इससे अलग करके देख रहे हैं ये आपकी सादगी है।
    अब देश में गणतंत्र नहीं बल्कि "गन"तंत्र अधिक प्रभावी दिखता है।
    जागे रहिए जगाए रहिये जो न जगे उसे मुर्दा समझ कर आगे बढ़ जाइये

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  7. देखते ही बात खटकी थी। फिर समझ में आया कि जानबूझ कर ऐसा किया गया है। क्योंकि ऐसी हेड़िंग देख लोग ज्यादा ध्यान देंगे। बाद की लाईनों पर गौर करने से ऐसा ही लगता है जहां उन्होंने लिखा है "आइए हमारी आजादी की दुनिया में...."
    और नीचे पढिएगा तो मतलब साफ हो जाता है जहां लिखा गया है कि "क्यों ना इस गणतंत्र दिवस को अपने लिए स्वतंत्रता दिवस में बदल लें"
    यानि आज से उपभोक्ता स्वतंत्र है अपना नंम्बर बदलने के लिए।
    मंशा सही थी पर तरीका शायद :-)

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  8. क्या कहें स्वतत्र हैं ...कुछ भी कर सकते हैं ..और किसी भी हद तक गुजर सकते हैं ......बस ....और क्या कहें

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  9. क्या बात हे जी, इन कपंनी के दिमाग की करतूत आप ने अच्छी दिखाई, लेकिन अखबार मे कही भी पहले पेज पर देश के नाम या देशवासियो के नाम से कोई बधई संदेश नही दिखाई दिया

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  10. एक कहावत याद आ गयी
    “गूंगे गावै, बहरे बजावैं“

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  11. अकलमंद लोग हैं ये जी।

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  12. विज्ञापन देने वाले का उद्देश्य सफल हुआ। आम तो आम आप जैसे खास ने भी ध्यान दिया। ऊपर से ब्लॉग में प्रचार किया, वह भी मुफ्त।

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  13. सर विज्ञापन का कमाल है ... अखबार आखिर जो व्यापार बन गए है ...

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  14. गणतंत्र को वे मानते नहीं, ये उनकी स्वतंत्रता है :)

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  15. जिस तरह से कम्पनियां विज्ञापन देने
    को स्वतंत्र है, उसी तरह से अखबार भी
    विज्ञापन लेने को स्वतंत्र है, आप तो जानते
    ही हैं हमारा देश भी स्वतंत्र है , और देने
    वाले ने शुभकामनाएं ही तो दी ! और
    छापने वाले ने भी शुभकामना ही तो
    छापी ,मुझे नहीं लगता इसमें शिकायत
    जैसी कोई बात है , अपना-अपना
    नजरिया है !

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  16. आपका इशारा गणतंत्र को स्वतंत्र
    करने की और है, तो भूल चूक लेनी देनी !

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  17. यह विज्ञापन एक दम सही है। इसे सिर्फ समझने की जरूरत है। टाटा डोकमो ने मोबाइल र्पोबिलिटी के लिए स्‍वतंत्रा मनाने को बधाई दी है। विज्ञापन कहीं से गलत नहीं है।

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  18. गगन शर्मा और देवेन्द्र पाण्डेय जी ने बिलकुल सही कहा.
    आजकल विज्ञापन भी सस्पेंस और थ्रिल से भरपूर बनाये जा रहे हैं.

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  19. achchha mudda uthaya hai ... ye vigyapan ki maaya hai ..

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  20. क्या कहें ? सब आज़ाद हैं.जिसकी जो मर्जी कर रहा है,करेगा.आजदी का मतलब निरंकुश मानसिकता होती जा रही है.

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मुझे शिकायत है !!!

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उन्होंने ईश्वर से डरना छोड़ दिया है , जो भ्रूण हत्या के दोषी हैं। जिन्हें कन्या नहीं चाहिए, उन्हें बहू भी मत दीजिये।