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स्टेपनी रखनी चाहिये????????????
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सभी कहते हैं कि "दारू पीने से जिन्दगी की समस्याओं का हल नही हो सकता"
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दूध पीने से कौन सा जिन्दगी के मसले सुलझ जाते हैं????????????
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सभी कहते हैं कि "मेहनती की कद्र होती है"
तो क्या
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गधा सबसे सम्मानित होना चाहिये????????????
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डिसक्लेमर : - उपरोक्त पंक्तियां शुद्ध हास्य के लिये हैं। आपके एतराज पर हटा दी जायेंगीं।
हा-हा-हा, सोहिल जी आज पूरे मूड में लग रहे हो, क्या बात है ?
ReplyDelete:-)
ReplyDeleteहा हा
ReplyDeleteस्टेपनी का खयाल अच्छा है
भाई हमें तो कोई ऎतराज नहीं....आखिर आप बता रहे हैं तो सही ही होगा :-)
ReplyDeleteस्टेपनी रखनी चाहिये????????????
ReplyDelete:)
एक भी पहिये को खराब ही मत होने दो ।
ReplyDeleteस्टेपनी की ज़रुरत ही नहीं पड़ेगी ।
बात तो सोचने योग्य की है आपने
ReplyDeleteबहुत बढिया!!
ReplyDeleteअब इनका कोई जवाब क्या देगा...
अंतर सोहिल जी बहुत अच्छा
ReplyDeleteएक हमारे तरफ से भी आज इन्सान की जगह जानवर और हैवानों की कद्र होती है ,
तो क्या हम सब को इन्सान से जानवर बन जाना चाहिए ???????
ये कुदरत का नियम है की अच्छाई बुराई साथ-साथ रहती है ,लेकिन हमें हमेशा अच्छाई का साथ देना चाहिए |
:-)
ReplyDeleteसही कहा जी एकदम।
ReplyDeleteएक और,
’शराब वो धीमा जहर है जो धीरे धीरे मारता है।’
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"तो हमें कौन सा मरने की जल्दी है?"
जी नहीं, बिलकुल हटाने की ज़रूरत नहीं है .... बढ़िया लिखा है.
ReplyDeleteमजा आ गया | स्टैपनी के बारे में पहले भाभीजी से भी एक बार बात कर लेवे
ReplyDeleteसही जवाब
ReplyDelete..बहुत मजेदार रोचक ,,,सच भी लगी.......... ऐतराज़ क्यूँ होगा ...हम तो आपके द्वतीय सिद्धांत पर ही जीवित है :)
ReplyDeleteमुझे तो बिल्कुल एतराज नही है..मजेदार बात कही आपने..धन्यवाद जी
ReplyDeletebahut achha laga pad kar
ReplyDeletebahut khub
http://kavyawani.blogspot.com/
:)
ReplyDeleteस्टेपनी रखनी चाहिये????????????
@ honesty project democracy
ReplyDeleteआदरणीय
ये कुदरत का नियम है की अच्छाई बुराई साथ-साथ रहती है ,लेकिन हमें हमेशा अच्छाई का साथ देना चाहिए
आपकी यह बात बहुत प्रेरक, अच्छी और सच्ची लगी जी, धन्यवाद। मैं इसे अपने जीवन में उतारने की कोशिश करूंगा।
ऐसा मुझे तो नहीं लगता कि "जानवरों और हैवानों की कद्र होती है।" जो इन्सान है वो तो इन्सानों की ही कद्र करता है जी और जो खुद हैवान हैं वो हैवानों की कद्र करते हैं।
हां कुछ हैवान चालबाजियों से अपनी कद्र करवाने में माहिर होते हैं। इसलिये हमें उनकी चालबाजियों और शातिरता को समझना चाहिये।
प्रणाम स्वीकार करें
@ नरेश सिंह राठौड जी
ReplyDeleteबिल्कुल बात कीजिये जी, अपनी भाभी जी से भी और मेरी भाभी जी से भी :-)
हा-हा-हा
यह बात तो स्त्री और पुरुष दोनों पर सम भाव से पूछी गई है।
प्रणाम
:)
ReplyDeleteअभी अभी किसी ने फोन पर मूड ऑफ़ कर दिया था... भाई अब फ्रेश हो गया.
बहुत अच्छा अन्तर जी.
ReplyDeleteअगर आप कृपा करके एक स्टेपनी की व्यवस्था कर दें,
तो उसी दिन यह गधा दारू भी पीने लग पड़ेगा ।
वैसे मरने की जल्दी मुझे भी नहीं है ।
एक खुशदिल पोस्ट का धन्यवाद !
mast..
ReplyDeleteहा हा!! बहुत मजेदार..स्टेपनी. :)
ReplyDeleteDhood peene se kuch bane ya na bane, par daroo peene se bigad zaroor jayega....
ReplyDeleteek paheea khrab ho jaye to doosre ko usee kee dekh-rekh karnee bantee hai..na ke stipani dhoondne chal do...
Mere vechar hain...manna zaroori bhee nahee....
Hardeep
हमें तो कोई एतराज नहीं है भाई.....
ReplyDelete--------
क्या आप जवान रहना चाहते हैं?
ढ़ाक कहो टेसू कहो या फिर कहो पलाश...
आज रात पढि़ए ब्लोग जगत के महारथी महामानव फुरसतिया सर को समर्पित कविता। दोबारा याद नहीं कराऊंगी। खुद ही आ जाना अगर मौज लेनी हो, अब तक तो वे ही लेते रहेंगे, देखिएगा कि देते हुए कैसे लगते हैं फुरसतिया सर।
ReplyDeleteक्रोध पर नियंत्रण स्वभाविक व्यवहार से ही संभव है जो साधना से कम नहीं है।
ReplyDeleteआइये क्रोध को शांत करने का उपाय अपनायें !
रोचक और सटीक!
ReplyDeletewah ji wah maja aa gaya padhkar bahut rochak aur satya hai janab
ReplyDeleteबहुत बढ़िया...
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