2/13/10

मुझे तो मजबूरी में करना पडता है

एक कहावत है -
"अपने बच्चे और पडोसी की घरवाली सबको अच्छे लगते हैं"
एक बार फत्तू चौधरी घर आये तो देखा की उनका मित्र रलदू उनकी पत्नी का आलिंगन किये हुए है। फत्तू को देखते ही दोनों घबरा गये और सकपका कर अलग-अलग खडे हो गये। 
फत्तू चौधरी - अरे रलदू, तू भी
रलदू - नहीं नहीं॥…………
फत्तू चौधरी - अरे मुझे तो यह करना पडता है, क्योंकि यह मेरी पत्नी है, मगर तू भी इसे आलिंगन कर रहा है, तेरी क्या मजबूरी है???

25 comments:

  1. सचमुच मजबूरी जो न कराए :)

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  2. सही बात है! मजबूरी में तो हम किसी को करना पड़ता है पर जो बिना मजबूरी के करे वही महान है!

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  3. यह वेलेंटाइन का प्रभाव लगता है---

    आन कs लगे सोनचिरैया आपन लगे डाइन.

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  4. बेचारा,, जाने क्या मजबूरी होगी.

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  5. मौसम का ही असर दिख रहा है।हा हा हा हा।

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  6. हा हा हा !सचमुच खतरा है यहाँ तो।
    यदि पड़ोसन अच्छी लगे तो बच्चे भी ---? :)

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  7. दुसरे की थाली में घी ज्यादा ही दिखता है|

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  8. आजकल मित्र-धर्म का पालन
    ऐसे ही किया जाता है जी!

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  9. शाश्त्री जी की बात में दम है..

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  10. अरे बाप रे इतना सच,इतना सच तो फ़त्तू ही बोल सकता है

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  11. मुझे शिकायत है...
    कि इस पोस्ट को इस शिकायत वाले ब्लोग मे क्यों डाला? क्या यह भी कोई शिकायत है?

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  12. कितनी अच्छी मजबूरी है ... मज़ा आ गया भाटिया जी ...

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  13. मुझे आपका ब्लॉग बहुत अच्छा लगा! बहुत बढ़िया लिखा है उम्दा रचना

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  14. बहुत मजेदार बात है |

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  15. सर ये फ़त्तू चौधरी जी के घर पता मिल सकता है क्या ?
    हा हा हा

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मुझे शिकायत है !!!

मुझे शिकायत है !!!
उन्होंने ईश्वर से डरना छोड़ दिया है , जो भ्रूण हत्या के दोषी हैं। जिन्हें कन्या नहीं चाहिए, उन्हें बहू भी मत दीजिये।