11/29/11

FDI और कांग्रेस सरकार या जहांगीर दरबार

खुदरा व्यापार का मेरे आसपास के (हरियाणा) गांव-देहात में एक ट्रेंड है। आम आदमी खुदरा दुकानदार से पूरा महिना घरेलू सामान खरीदता है। महिने पर तनख्वाह मिलने पर पेमेंट करता है। किसान भी खाद-बीज और घरेलू सामान छोटे दुकानदार से खरीदता रहता है और फसल आने पर अपना उधार चुकता करता है। अब खुदरा व्यापार में 100% विदेशी पूंजी निवेश को मंजूरी देने से विदेशी कम्पनियां भारत में अपनी दुकानें खोलेंगी। उधार देने के लिये भी विदेशी बैंक अपने क्रेडिट कार्ड जबरदस्ती जनता को थमाये दे रहे हैं। यानि पूरी तरह अपने जाल में फांसने की तैयारी है।

पहले तो भारत की आज की शिक्षा प्रणाली ही ऐसी है कि स्वव्यवसाय की बजाय नौकर बनना सिखा रही है। विदेशी कम्पनियां आयेंगी यहां के लोगों को नौकर बनायेंगी और राज करेंगी। भारत से पैसा कमा कर विदेशों में ले जाया जायेगा। 

वॉलमार्ट जैसी कम्पनियां तो 99%  चीनी उत्पादन बेचती हैं। यानि भारत की उत्पादकता को भी खतरा है। चीन ने ऐसी कम्पनियों को अपने देश में चीन का उत्पादन बेचने की शर्त पर मंजूरी दी थी। 

ज्यादा समय नहीं लगेगा जब रिटेलर यानि छोटे दुकानदार समाप्त हो जायेंगे और यही कम्पनियां अपने मुँहमांगे दामों पर वस्तुओं की बिक्री करने लगेगी। आज खुदरा दुकानदार किसी वस्तु का अधिकतम खुदरा मूल्य  ही वसूल करता है और ये कम्पनियां भी अधिकतम खुदरा मूल्य पर ही अपना माल बेचेंगी तो उपभोक्ता को कैसे फायदा होगा ये मेरी समझ नहीं आ रहा है। 

आज मेगा मार्ट, बी बाजार, शॉपर स्टॉप और अन्य ऐसे बडे स्टोर सस्ता बेचने के लिये ज्यादातर रिजेक्टेड, डिफेक्टेड या एक्सपाईरी माल ही बेचते हैं। जिसके बारे में उपभोक्ता को मालूम ही नहीं होता है। उदाहरण के तौर पर कोल्ड ड्रिंक्स बनाने वाली फैक्ट्री को वर्ष में 3-4 महिने के लिये अपना उत्पादन बंद या कम करना पडता है, क्योंकि उत्पादन के अनुसार सर्दियों में मांग नही होती है। तो ये बडी दुकानें इस ऑफ सीजन में अपने ऑर्डर बुक करा लेती हैं और कम्पनियां इन्हें केवल लागत मूल्य पर माल स्टॉक कर देती हैं। मार्च-अप्रैल में मांग आने पर पैकिंग समय और तारिख डाल दी जाती है। वास्तव में यह माल नवम्बर-दिसम्बर में तैयार हो चुका होता है। 

सन 1600 के आसपास अंग्रेजों ने ईस्ट इण्डिया कम्पनी की स्थापना करके भारत में व्यापार करना शुरू किया। अंग्रेज अपने साथ नौकर नहीं लाये थे, बल्कि भारतीयों को ही नौकर बनाया था। उस समय के बादशाह जहांगीर ने अंग्रेजों की प्रार्थना पर ये फरमान भी जारी कर दिया कि अपनी कोठी के किसी मुलाजिम के कसूर करने पर अंग्रेज स्वयं उसे दण्ड दे सकते हैं।

अब इतिहास को दोहराने या ये कहें कि भारत को फिर से अंग्रेजों का गुलाम बनाने देने की तैयारियां शुरु हो गई हैं। सोनिया गांधी पिछले दिनों इलाज करवाने के लिये विदेश गई थी, क्या तभी खुदरा व्यापार में 100% विदेशी निवेश को मंजूरी देने की तैयारी की गई थी। 

4 comments:

  1. सहमत हे जी, वक्त हे अभी जनता जाग जाये...

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  2. आपका कहना सही है. आज इसका राष्ट्रव्यापी विरोध हुआ. लेकिन राजनेताओ को इससे शायद ही कोई फर्क पड़े.

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  3. सत्ता में बैठने के बाद ये लोग स्वार्थी हो जाते हैं. देश का हित-अहित सोच सकने की शक्ति विलुप्त हो जाती है इनकी.अपनों को मारकर गैरों के तलवे चाटते हैं ये.

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मुझे शिकायत है !!!

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उन्होंने ईश्वर से डरना छोड़ दिया है , जो भ्रूण हत्या के दोषी हैं। जिन्हें कन्या नहीं चाहिए, उन्हें बहू भी मत दीजिये।