बस यह दो शॆर पढे, मन को भाये तो आप के सामने पॆश कर रहा हुं.
मेरे से तो हिन्दी ही मुश्किल से लिखी जाती है, एक लाईन मै हजार गलतियां, तो फ़िर शॆर ओर कविता कहा से लिख पाऊगां, यह तो आप सब का मान है कि मेरी गलतियो के अनदेखा कर देते है आप सब.
तो लिजिये दो फ़डफ़डते शेर.... जिन के है उन्हे मेरा सलाम...
सुना है तुम्हारी एक नजर से कत्ल होते है लोग "फ़र्ज" इक नजर हम को भी देख लो के जिन्दगी अच्छी नही लगती. जब हकीकत भी ख्वाब हो जाये, क्यो ना ख्वाबो का ऐतबार करे. पहेली सोमवार सुबह २,००जर्मन/ ओर भारतीया समय+३,३० यानि ५,३० पर अगर आप अपनी राय दे तो बहुमत जिन टिपण्णियो का होगा वो मान्य होगी, तो आप समय के लिये अपनी राय देवे |
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पहेली का इंतज़ार है और शेर लग रहे है कि फ़ड़फ़ड़ाते हुये हैं।
ReplyDeleteएक नज़र से दो दो शिकार ...
ReplyDeleteक्या खूब कहते हैं आप
हिन्दी ना उर्दू और दो दो शेर
मशाल्लाह .....शेर ने कत्ल ही कर डाला...
नमस्कार,
ReplyDeleteशेरों को बाँध कर लाना था, यहाँ कत्ले आम मच जायेगा| :)
લોગ બાગ સચ હી કહ રહે હૈં હમારી ભી યહી રાય હૈ :)
ReplyDeleteभाटिया जी इतनी अच्छी हिन्दी तो आप लिख रहे हैं..और भी अच्छी लिखेंगे हौसला रखिये
ReplyDeleteराज जी,अच्छे शेर हैं। आपकी हिन्दी भी अच्छी है।जैसे हम सब की है:)
ReplyDeleteपहेली का इन्तजार है.शेर अच्छे लगाये.
ReplyDeleteबढ़िया शेर सुनाये आपने । आभार ।
ReplyDeleteसुना है तुम्हारी एक नजर से कत्ल होते है लोग "फ़र्ज"
ReplyDeleteइक नजर हम को भी देख लो के जिन्दगी अच्छी नही लगती.
वाह! शेर पढ़कर आनंद आ गया।
अरे ये तो सचमुच के शेर हैं !
ReplyDeleteशेर -सवा सेर हैं .पहेली का इन्तजार .
ReplyDeleteजिन्दगी अच्छी नही लगती..
ReplyDeleteवाह क्या शब्दों के तीर हैं..
इतने तगडे शेरों को बांध कर रखना चाहिये था.:) खुला शेर छोडना कानूनन जुर्म है.
ReplyDeleteरामराम.
देखा किये वो मस्त निगाहों से बार बार .....
ReplyDeleteभाग भाग भाग मारा जायेगा बेकार
बहुत ही खूंखार हैं ये शेर मेरे यार
कर ले ऐतबार यहीं ख्वाब जोरदार
वाकई फडकते हुये शेर हैं
ReplyDeleteजिन के हैं उन्हें भी और आपको भी सलाम
वाह जी ख़ूबसूरत अशआर
ReplyDelete---
चर्चा । Discuss INDIA
शेर सच में सवा सेर ही हैं..किन्हीं फ़र्ज़ साहब के छोडे हुए लगते हैं.
ReplyDeleteaap ki monday पहेली का समय भारत के सुबह साढ़े पांच इस का अर्थ अबू धाबी के सुबह के चार बजे....!!!!!!!!!!!
मुझे तो समय suit नहीं करता है..लेकिन अब तक किसी ने असहमति नहीं जतायी तो जैसा सब कहें वैसा ठीक.
जब हकीकत भी खाब हो जाये,
ReplyDeleteक्यो ना ख्वाबों का ऐतबार करे.
(कृपया ख्वाब और ऐतबार दुरुस्त कर लें)
यह शेर बहुत उम्दा है
लिए जा रहा हूँ अपने साथ !
चलते-चलते :
ये वो नगरी है जहाँ असहमति कोई नहीं जताता
यहाँ गालिब और प्यारेलाल एक भाव तौले जाते हैं !
आज की आवाज
सुंदर शेर हैं...
ReplyDeleteमीत
बढ़िया शेर हैं।
ReplyDeleteप्रकाश गोविन्द जी गलती बताने के लिये धन्यवाद
ReplyDeleteहम ने गलती सुधार ली है
अच्छा लगा.. और ये भी अच्छा लगा की प्रकाश जी ने गल्ती बताई और वो ठीक हो गई..भाटीया जी आपसे सभी को प्रेरणा लेनी चाहिये..
ReplyDeleteभाटिया जी, ये तो सचमुच सर्कस वाले नहीं बल्कि जंगल वाले शेर हैं.....लाजवाब।
ReplyDeleteवाह वाह क्या बात है! बहुत बढ़िया और उम्दा शेर लिखा है आपने!
ReplyDeleteजब हकीकत भी ख्वाब हो जाये,
ReplyDeleteक्यो ना ख्वाबो का ऐतबार करे.
यूँ तो सब sher achhee हैं.... पर ये jyaada अच्छा लगा........... और paheli का समय............ जैसी santon की raay
वाह वाह क्या बात है! बहुत बढ़िया और उम्दा शेर है LEKIN MUJHE TIME SUIT NAHI KAR RAHA KYUNKI SUBAHA 7 AM TO MAIN SOKAR HI JAAGTA HUN ISLIYE YE SAMAY INDIA KE DOPAHAR KE 2 BAJE HONA CHAHIYE
ReplyDeleteसुना है तुम्हारी एक नज़र से कत्ल होते हैं लोग ,एक नज़र हमको भी देख लो के जिंदगी अच्छी नहीं लगती | जब हकीकत ही ख्वाब हो जाये ,क्यों न ख़्वाबों का एतबार करें | वाह-वाह क्या शेर हैं |सीधे दिल में उतेरते हैं |
ReplyDeleteमैं एक नया ब्लोगर हूँ आप मेरे ब्लॉग पर सादर आमंत्रित हैं |http//kumar2291937.blobspot.com