जेसे..
मै जब भी कभी किसी भी काम से घर से बाहर गया, काली बिल्ली जरुर रास्ता काट कर जाती है, चाहे भारत हो या जर्मनी.
मोसम बहुत अच्छा है,धुप निकली है... ओर मै मोसम देख कर एक साबुत तरबुज ले आया,फ़्रिज मै रखा दुसरे दिन खाने के लिये.... लेकिन अगले दिन से ही झडी लग जाती है, कई दिनो तक, ओर जब थक कर सर्दी मै ही तरबुज काट लिया दुसरे दिन मोसम फ़िर से साफ़.
पुरा सप्ताह किसी का भी फ़ोन नही आया, फ़ोन ऊठा कर देखा कही खराब तो नही हो गया, कभी दिल बना तो कोई अच्छी फ़िल्म का विचार बना ओर जब सब बेठ कर देखने लगे... अभी पहला सीन ही शुरु हुया कि फ़ोन बज उठा, आधा घंटा बात की, फ़िर फ़िलम शुरु फ़िर फ़ोन, फ़िर फ़िलम शुरु फ़िर फ़ोन...थक कर फ़िलम बन्द कर दो, फ़ोन अपने आप बन्द...
कोई भी पार्टी हो, जिसे मेने वोट दिया वो हमेशा हार गई...
दो सप्ताह कि छुट्टियां मजे से गुजरी , सोम बार को ओफ़िस जाना है शनि बार को तबीयत खराब ....
जब भी कोई वस्तु बहुत सम्भाल कर रखो, मोके पर कभी नही मिलती
ओर भी बहुत सी ऎसी बाते है, जो मुझे याद नही, अगर आप लोगो के संग भी कुछ ऎसा होता हो तो जरुर लिखे
नोटिस बोर्ड सुचना
चलिये अब बात करते है अगली पहेली की,सोम वार को, पिछले समय अनुसार ही यह पहेली भी प्राकाशित होगी,(रात २.०० बजे,/ भारतिया समय ५,३० अगर आप लोग समय मै परिवर्तन चाहते है तो अपनी राय जरुर देवे, बहुमत से ही फ़िर समय का निर्यण होगा) आप जरा फ़िर से किलो, मस्जिदो, मंदिरो, ओर दिवारो,शिवालो को ध्यान से सोच ले, पहेली कठिन बिलकुल नही, प्राकश गोविंद जी आप की राय अच्छी है, लेकिन हमे क्या पता कोन कब आया ओर कब नही, बस कोई जेसे जेसे आता रहा , ओर जबाब देता रहा, चलिये अगली पहेली का जबाब देखे कोन कोन देते है, धन्यवाद |
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प्रकाश जी की सलाह माने तो समय का कोई फर्क नहीं पड़ता.. आप तो ५.३० बजे छाप दो.. हम १० बजे देख लेगें..:)
ReplyDeleteआपकी मर्जी, वैसे लोकतंत्र का ख्याल रखा बहुत अच्छा लगा।
ReplyDeleteहाय हाय राज भाई..अब मैं समझा की ऐसी ऐसी पहेलियाँ कैसे पूछते हो आप..बताओ क्या क्या होता है ..आपके साथ..हाँ पहेली का इन्तजार है..अरे टाइम् वीम का कोई चक्कर नहीं है जी...जब मर्जी पूछिए..हम तो हैं ही वेल्ले..और फिर कौन सा आप टाईम बदल कर पूछोगे तो मेरे घर की फोटो लगाओगे पहेली में..हमने तो फेल ही होना है..मगर का फेलियरों भी एक बड़ा समाज होता है भाई,,,,
ReplyDeleteपहेली का इन्तजार रहेगा इतने दिनों से भाग जो नहीं ले पाए....समय जो बहुमत की राय वही हमारी भी
ReplyDeleteregards
waah waah kya baat hai !
ReplyDeleteMASTI KI PATH SHAALA HAI
anand aa gaya !
प्रिय राज जी
ReplyDeleteमैं जीवन की ऐसी घटनाओं को अत्यंत सामान्य भाव से लेता हूँ अतः मुझे कभी परेशानी नहीं होती ! मैं अपने रास्ते पर जा रहा हूँ .. बिल्ली. कुत्ता, बन्दर, भैंस... अपना काम कर रहे हैं ! इसमें परेशानी वाली क्या बात है ?
राज जी कभी-कभी मूड और मौसम के विपरीत भी चल कर देखिये ... बड़ा आनंद आता है ! जैसे भयंकर गर्मी हो और आप चाय पी रहे हों या सर्दी में आईसक्रीम खाकर देखिये या फिर लोग जब बरसात से डरकर भाग रहे हों और आप धीरे क़दमों से चलकर बारिस का लुत्फ रहे हैं .... हा..हा..हा.. सच में मजा आता है !
जिन्दगी में व्यवस्था निहायत जरूरी है ! अगर आप अपना हर काम सलीके से करते हैं तो आपको कभी भी परेशानी नहीं होगी ! कोई चीज कभी भी आपको ढूंढनी नहीं पड़ेगी ! मैं जब भी कोई महत्वपूर्ण काम करता हूँ .. थियेटर जाता हूँ ,,,, किसी दुसरे के ऑफिस में जाता हूँ ... हॉस्पिटल जाता हूँ ,,, सबसे पहले अपने मोबाईल को साईलेंट पे करता हूँ !
मैंने 'ओशो' से यह बात ग्रहण की है ... कोई भी काम करो पूरी समग्रता ... पूरे समर्पण भाव से करो ,,, जैसे यही तुम्हारी पूजा है !
आप यकीन मानिए मैं अगर किसी को प्रतिक्रिया भी व्यक्त करता हूँ तो पूरे दिल से करता हूँ ...
पहेली समय :
भोर में सवेरे तडके दस बजे से लेकर रात के दस बजे का कोई भी समय उचित रहेगा !
प्रातः दस बजे का ही रख लीजिये !
आज की आवाज
भाटिया जी,पास में होने के बाद भी आपको इतने दिनों तक उस तरबूज को खाने का मौका नहीं मिला, ये जरूर काली बिल्ली के रास्ता काटने का ही दुष्परिणाम है...:)
ReplyDeleteखैर ये तो हुई मजाक की बात.....जीवन में बहुत सी ऎसी बातें/घटनाएं होती रहती हैं, जिन पर इन्सान का कोई वश नहीं चलता, लेकिन उनका प्रभाव अवश्य देखने को मिलता है। अब उसे कोई किस रूप में लेता है, ये तो हर व्यक्ति के अपने नजरिए पर निर्भर करता है।
अरे मै अंधविशवासी बिलकुल नही, जेसा कि पिछले दिनो हुआ, मेरी कार के सी डी प्लेयर मै सभी सी डी चले ओर फ़ंस जाये, फ़िर मेने असली सीडी डाली वो भी फ़ंसे, कार लिये अभी कुछ महीने ही हुये थे, फ़िर एक दिन वर्कशाप पे ले गया, गरांटी जो थी, लेकिन वहा फ़टा फ़ट चले, वहां २० सीडी डाली कोई नही फ़ंसी, अब इसे क्या कहे, लेकिन मेने फ़िर भी उसे बदलावा लिया,
ReplyDeleteहमारे यहां तो सर्दी -२५ तक जाती है, हम फ़िर भी आईस्क्रिम खाते है, वीयर पीते है, मेने साधारण बात कही है कोई वहम सहम मेरे जेसे आदमी के पास नही फ़टकते.
aam bolchaal ki bhasha me in sab adchano ko "Murphy's Law" kahate hain :P
ReplyDeleteप्रजातंत्र में बहुमत की राय के साथ ही जाना उचित होता है. जैसे जनता चाहे.
ReplyDeleteचलिये ..
ReplyDeleteजैसा आपने टीप्पणी मेँ कहा
बिना -वहम
आनँद मनाइये
- लावण्या
गाड़ी का बोनट खोल कर जैसे ही ग्रीस हाथ में लगता है, नाअ पर खुजली होने लगती है..मस्त है जी.
ReplyDeleteअच्छा लगा आपकी बातें जानकार।
ReplyDeletem waiting
ReplyDeletemeet
बहुत अच्छा बताया आपनें और जो आपके लिए अनुकूल समय हो .
ReplyDeleteऐसी ही है जिंदगी...पहेली का इंतजार रहेगा.
ReplyDeleteभुवन वेणु
लूज़ शंटिंग
पहली पहेली में तो हमारा भी नाम आ गया............ अब दूसरी का इंतज़ार है
ReplyDeleteअब तो भाटिया जी सोमवारा इंतजार बडी बेचैनी से करेंगे.
ReplyDeleteइस आलेख में आप ने जो बात लिखी है वह सही है. कई बार ये चीजें देखने आती है. पिछले महीने घर की पुताई के दिनों बरसात चालू हो गई. एक दिन मजदूर न आते तो उस दिन पानी न बरसें. जिस दिन पूरी की पूरी टीम आये उस दिन जम कर पानी बरसे!! कुल मिला कर एक महीने में पुताई खतम हुई और मैं बुरी तरह से पुत गया!!
सस्नेह -- शास्त्री
हिन्दी ही हिन्दुस्तान को एक सूत्र में पिरो सकती है
http://www.Sarathi.info
namaskar saathiyon namaskar bhatiya ji kaise hain aap sabhi mujhe bhul mat jana jald hi lautkar aaunga
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