9/27/09

मुझे शिकायत है, उन ब्लांगर से जो...

भाई मुझे बहुत शिकायत है उन ब्लांगर से जो बिना बात एक दुसरे की टांग खींचते है, किसी का लेख, कविता, कोई विचार आप को नही पसंद तो आप उसे मत पढे, लेकिन उस के ब्लांग पर जा कर वेहुदा भाषा मै गाली गलोच करना, धमकिया देना,किसी के धर्म पर बिन बात तोहमत लगाना, उचित नही,अगर मुझे अपने धर्म मे कोई कमी दिखती है तो मै सिर्फ़ अपने धर्म के बारे ही लिखू, मुझे कोई हक नही दुसरे की फ़टी मै अपनी टांग अडाऊ, इस से सभी ब्लांगर आपस मै बंट जाते है, कोई हिंदु तो कोई मुसलिम बन जाता है.ओर हमे दुसरे के किसी भी लेख पर कोई अपति है तो उसे मेल करे, ना कि उस के लेख को निशाना बना कर अपने ब्लांग पर दुसरा लेख ठोक दे.क्या हमे आपस मै मिल बेठ कर कोई भी काम नही आता ?आओ हम सब सिर्फ़ वो बात करे जो सिर्फ़ हमारे समाज से हो, ना कि हमारे धर्म से,ओर हम एक दुसरे की टांग ना खिचें..ब्लांग को साफ़ सुधरा रखे.
आईये आप कॊ एक किस्स सुनाता हुं...

एक बार एक भारतीय मर गया, जब उसे यम राज के पास ले जा रहे थे, तो रास्ते मै नरक आता था, वहां अलग अलग कुये थे, सब से पहले जर्मन लोगो का कुआं था, कुये के बाहर बहुत सारे पहरे दार बेठे थे, जिन के हाथो मे तलवारे ओर भाले थे,पुछने पर पता चला कि जब यह लोग भागने की कोशिश करते है तो पहरे दार इन्हे दोवारा नीचे फ़ेंक देते है.
अगला कुआं था इगलेंड का वहां पर भी कुआ खुब गहरा ओर पहरे दार भी, उस से अगला कुआं अमेरिका का..... चलते चलते आगे भारत का कुआं भी आ गया, अपने नरक के कुयें को देख कर भारतीया बहुत खुश हुया, वो कुआं ज्यादा गहरा भी नही था, ओर कोई पहरे दार भी नही था,ओर अंदर से गंदी गंदी गालियो की आवाजे आ रही थी, भारतिया भाई बहुत खुश हुये, ओर यम के दुत से बोले वो सामने तो भारत का ही कुआं है ना? दुत ने हां मै सर हिला दिया.

भारतीया भाई बोला देखा हम लोग कितनी भगति करते है, हमारे देश मै हर गली मै मंदिर, मस्जिद, गुरुदुवारे ओर गिरजाघर है, ओर ऊपर वाले ने खुश हो कर, हम पर भरोसा कर के कुआं भी कम गहरा बनबाया है, ओर कोई पहरे दार भी नही रखा..... दुत थोडा मुस्कुराया, ओर बोला नही यह बात नही... यहां पहरे दार इस लिये नही कि जब एक भागने लगता है तो दुसरा उस की टांग खींच लेता है..... ओर सदियो से यह यही सड गल रहे है, बाकी कुऒ मै लोग एक दुसरे की मदद कर के, एक दुसरे को सहारा दे कर ऊपर चढ जाते है, ओर जो भी इस कुये की मुडेर पर चढ जाये वो इस नरक से बाहर आ जाता है, लेकिन भारत का एक भी आदमी आज तक बाहर नही आया...

तो भाईयो आओ ओर हम एक दुसरे का साहारा बने, ना कि एक दुसरे की टांग खींचे

34 comments:

  1. आप की बात बहुत सही है। आप ने किस्सा भी बहुत सही चुना, बात को कहने के लिए।

    ReplyDelete
  2. भाटिया जी इस कथा के माध्यम से आपने हम सभी के दर्द को एक सकारात्मक प्रस्तुति दी है |
    इसी टांग खींचने की घटिया प्रवृत्ति ने आज 'ब्लोग्वानी' का मंच हमसे छीन लिया है |

    खैर विजयादशमी की हार्दिक शुभकामनायें |

    ReplyDelete
  3. भाटिया जी, बिल्कुल सोलह आने खरी बात कही आपने....लेकिन क्या किया जाए,यहाँ कुछ लोगों की मानसिकता ही कुछ इस प्रकार की है कि ये लोग अपने आप को ब्रह्मज्ञानी समझने लगे हैं। मानो कि दुनिया के प्रत्येक विषय की जानकारी सिर्फ इन्ही लोगों को है...जो ये लोग कह दें,सिर्फ वो ही एक परम सत्य है वर्ना तो सब झूठ है,बकवास है।
    सारी उम्र बीत जाती है,लेकिन फिर भी हम लोग अपने धर्म,अपनी परम्पराओं और अपनी संस्कृ्ति के बारे में अंशमात्र नहीं जान पाते...लेकिन चले हैं दूसरे के धर्म,उनकी मान्यताओं की व्याख्या करने।।
    सच कहूँ, कभी कभी तो हँसी आने लगती है,ये सब देखकर.......

    ReplyDelete
  4. भाटिया जी, बात बहुत सही कही आपने.

    ReplyDelete
  5. 100 प्रतिशत सही कहा है भाटिया जी। आपकी बात से सहमत हूं। अभी किसी हमारे ब्लॉगर भाई ने किसी के लेख पर पोस्ट ठेल दी थी तो तब मैने भी उनसे ये ही आपत्ति उठाई थी।

    ReplyDelete
  6. बिलकुल सही कहा आपने । एक तरह से अभिस्वीकृति दी है आपने ।

    ReplyDelete
  7. आपने बढ़िया किस्से के साथ बढ़िया और काम की बात समझा दी है फिर भी कोई ना माने तो उसका भगवान् ही मालिक |
    इसी टांग खिंचाई का नतीजा देख लीजिए कि टांग खिंचाई से दुखी हो ब्लॉग वाणी दल ने आज ब्लॉग वाणी ही बंद कर दे |
    पता नहीं टांग खेचू ये टुच्चे लोग अब भी कितने एग्रीगेटर और ब्लॉग बंद करवा कर दम लेंगे |

    ReplyDelete
  8. आपसे पूर्णतः सहमत!!

    ReplyDelete
  9. हम भारतियों की मनोवृति को दर्शाने के लिए यह किस्सा सर्वोत्तम है ...दशहरे की बहुत शुभकामनायें ..!!

    ReplyDelete
  10. आपने बहुत सही कहा. निस्संदेह हमें ऐसे ब्लोग्स से बचना चाहिए जो किसी विशेष धर्म से सम्बंधित हो
    हमें कट्टरता नहीं इंसानियत चाहिए

    ReplyDelete
  11. आपसे पुर्ण सहमति.इष्ट मित्रो व कुटुंब जनों सहित आपको दशहरे की घणी रामराम.

    ReplyDelete
  12. सत्य वचन |भाटिया जी अगर किसी
    को जूताभी मारना है तो भाई उसे
    कम से कम मखमल में तो
    लपेट लो|

    ReplyDelete
  13. आपसे पूर्णतः सहमत!!


    विजयदशमी की ढेरो शुभकामनाएं!

    ReplyDelete
  14. सर जी बहुत ही अच्‍छा मार्गदर्शन और जीवन का मूल सार आपने दे दिया इस उपनिषद के जरिए। सच भाटिया जी आजकल हम यूं ही पीछे हैं यह सब छोडकर हमको आगे बढना चाहिए और अपनी सोच का दायरा बढाना चाहिए

    आप सभी ब्‍लाग जगत को मोहन का मन वाले मोहन की लख लख बधाई हार्दिक शुभकामनाएं

    जय श्री राम

    ReplyDelete
  15. भाटिया जी, आपको सपरिवार विजयदशमी की हार्दिक शुभकामनाऎँ!!!!!

    ReplyDelete
  16. राज भाई काश कि ये कहानी ...उन लोगों की आत्मा को जगा पाये....काश काश..काश

    ReplyDelete
  17. बिल्कुल वाजिब फ़रमया सर आपने।

    ReplyDelete
  18. सॉरी सर कृपया फ़रमाया पढ़ें

    ReplyDelete
  19. आपका लेख सत्य को उजागर करता है। पर कंई ब्लोगर ये कहां मानते हैं?
    ....जब चिडीयां चूग गइ खेत । ऐसा ही हाल हमारा है। जब हमें अपने विचारों को सब के सामने रखने का मंच मिला है तो एकदूज़े कि बूराईयों में ईतने उलझ जाते हैं कि अपनी तो कोई लिखने लायक पोस्ट रहती ही नहिं है।
    खैर। विजयादशमी की शुभकामनाओं के साथ...

    ReplyDelete
  20. सही बात है
    इसी चरित्र पर है मेरा कल का कार्टून...

    ReplyDelete
  21. ांअपने बिलकुल सही कहा है। और कथा भी बहुत अच्छी है। पता नहीं लोगों के खून मे इतनी गमी क्यों आ गयी है कहीं ग्लोबल वार्मिंग का असर तो नहीं खतरे की घन्टी है विजयदशमी की शुभकामनायें

    ReplyDelete
  22. सरजी मै आपके साथ ही हूँ ....बहुत achchi बात कही है ....

    ReplyDelete
  23. सरजी ग्लोबल वार्मिंग हो या ब्लागर बर्मिंग हो मै आपके साथ रहूँगा .

    ReplyDelete
  24. ब्लोग्वानी बंद होने पर बेहद अफ़सोस है ,...

    ReplyDelete
  25. सहमत जी!!

    कवि प्रदीप की ये पंक्तिया.."जो हम आपस में न झगड़ते.. बने हुए खेल बिगड़ते...." किसे दोष दे..

    ReplyDelete
  26. aapse mujhe shikayat hai....
    ye bhartiyon ke liye chota kuuan?
    abhi aapke baare main ek post apne blog main thelta hoon....

    :)


    JOKES APART:
    aapki post pasand to aaiye hi aur prasangik bhi lagi.
    Bahut badhiya !!
    aksharsh: satya

    ReplyDelete
  27. अभी हिन्दी ब्लॉग शुरूआती चरण पर है और परिपक्वता आने में थोड़ा वक्त लगेगा। गंभीर मुद्दों (आर्थिक, राजनीतिक, सामजिक इत्यादि) पर कटाक्ष रहित सार्थक लेख बहुत कम मिलते हें।
    ब्लॉग्गिंग अलग अलग लोग भिन्न भिन्न मकसदों से करते हें, कुछ साहित्य, कुछ पत्रकारिता, कुछ धर्म प्रचार व कुछ वक्त काटने के लिए। एक पक्ष को दूसरे की बात समझ में नहीं आती। फ़िर भी अभिव्यक्ति की स्वतन्त्रता के साथ कुछ नैतिक जिम्मेदारियों भी निभानी पड़ेंगी अन्यथा यह बेलगाम हो चलेगी।

    ReplyDelete
  28. Raj ji u r absolutely right. I support your views .

    ReplyDelete
  29. भाटिया जी, मुझ भी शिकायत है उन लोगों से हर बात में धर्म को ले आते हैं।
    -Zakir Ali ‘Rajnish’
    { Secretary-TSALIIM & SBAI }

    ReplyDelete
  30. aapka alekh bilkul steek hai svsth prtikriya de .agr aap kisi ko vani ke dvara chot phuchate hai to chot shne ko bhi taiyar rhna chhiye .kam se kam blog privar ko to kisi ki tang khichkar apni akta ko nhi todna chhiye .
    ak bat jrur khungi jab tk aap jaise blogr hai sbko bandh ke rkhne vale nisvarth tab tak koi khtra nhi hai .inho alekho ko apeksha rhegi .
    abhar

    ReplyDelete
  31. ज़ाकिर अली ‘रजनीश’जी आप की बात से सहमत हुं,शायद आप मेरी उस टिपण्णी से थोडे खपा होगे, लेकिन मेने आप को सावधान करने के लिये कहा था, क्योकि ब्लांग जगत मै पिछले समय से बहुत तनाव बढ गया है , इसे कम हम ही कर सकते है, मै भी अंधविश्वासी नही, लेकिन कभी कभी धर्म से बंधी बातो को सावधानी से कहना चाहिये,
    ओर जो जिस धर्म को मानता है अगर वोही अपने धर्म की बुराई को समाने लाये तो बात नही बिगडती, लेकिन जब दुसरे धर्म वाला उसी बुराई को समाने लाये तो झगडा होने का अंदेशा रहता है, हम सब को मिल कर रहना है , इस लिये हमे एक दुसरे के धर्म के बारे बहुत सोच समझ कर बात करनी चाहिये.
    धन्यवाद

    ReplyDelete
  32. your words that don't give a daughter in law who don't want a daughter is really touching my heart.

    And it is a reality that without womens this world of humans can not continue.

    They are present like mother, sister, wife and many other roles.

    ReplyDelete
  33. Sir,
    I am trying to post the comment below at you post for last 20 minutes but it is not delivering, so I am mailing the same for your post " Mujhe Shikayat hai"

    "यहां पहरे दार इस लिये नही कि जब एक भागने लगता है तो दुसरा उस की टांग खींच लेता है..... ओर सदियो से यह यही सड गल रहे है, बाकी कुऒ मै लोग एक दुसरे की मदद कर के, एक दुसरे को सहारा दे कर ऊपर चढ जाते है, ओर जो भी इस कुये की मुडेर पर चढ जाये वो इस नरक से बाहर आ जाता है, लेकिन भारत का एक भी आदमी आज तक बाहर नही आया... "

    "लेग पुलिंग" पर बेहतरीन कहानी सुनाई, इसे तो लोग ऊपर चढ़ने की सीढ़ी मान बैठें हैं और आपने तो उन्हें सड़ने -गलने लायक सा दिख दिया......
    अब भी जो न समझा तो उसके लिए.............
    भज प्यारे सीता राम.......

    चन्द्र मोहन गुप्त
    जयपुर
    www.cmgupta.blogspot.com

    ReplyDelete

नमस्कार, आप सब का स्वागत है। एक सूचना आप सब के लिये जिस पोस्ट पर आप टिपण्णी दे रहे हैं, अगर यह पोस्ट चार दिन से ज्यादा पुरानी है तो मॉडरेशन चालू हे, और इसे जल्द ही प्रकाशित किया जायेगा। नयी पोस्ट पर कोई मॉडरेशन नही है। आप का धन्यवाद, टिपण्णी देने के लिये****हुरा हुरा.... आज कल माडरेशन नही हे******

Note: Only a member of this blog may post a comment.

मुझे शिकायत है !!!

मुझे शिकायत है !!!
उन्होंने ईश्वर से डरना छोड़ दिया है , जो भ्रूण हत्या के दोषी हैं। जिन्हें कन्या नहीं चाहिए, उन्हें बहू भी मत दीजिये।