1/7/12
डॉo रूपचंद्र शास्त्री जी का फोन बजता रहा
डॉo रूपचंद्र शास्त्री जी का फोन बजता रहा, लेकिन उन्होंने पिक नही किया। दिनेशराय द्विवेदी जी (बारहा में ये शब्द और द्वारा लिखना कोई सिखा दे मुझे, मेहरबानी होगी) अस्वस्थ थे फिर भी इंतजार था। डॉo टी एस दराल जी
का तो खासतौर पर इंतजार था, क्योंकि उनसे तो मंच पर बहुत सारी व्यंग्य
रचनायें सुननी थी। (डॉo साहब के मन में कुछ है, जाने कब बतायेंगे, ना आने
का कारण).........................पूरा पढें..
नाम
Antar Sohil,
sampla,
sapla,
अन्तर सोहिल,
सापला,
सांपला
9 comments:
नमस्कार, आप सब का स्वागत है। एक सूचना आप सब के लिये जिस पोस्ट पर आप टिपण्णी दे रहे हैं, अगर यह पोस्ट चार दिन से ज्यादा पुरानी है तो मॉडरेशन चालू हे, और इसे जल्द ही प्रकाशित किया जायेगा। नयी पोस्ट पर कोई मॉडरेशन नही है। आप का धन्यवाद, टिपण्णी देने के लिये****हुरा हुरा.... आज कल माडरेशन नही हे******
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अरे भाई सांपला में सबसे पहले मैं ही पहुंचा था ..और इस पोस्ट पर भी सबसे पहले टिप्पणी मैंने ही की है .....हा...हा...हा..हा..! जाट जी को देवता होने के कारण तरजीह देना सही है .....तो हम राम हैं .....हा..हा.हा.!
ReplyDeleteअरे हां केवलराम जी
ReplyDeleteयाद आ रहा है मुझे पहले तो आप ही पहुंचे थे। उस समय मैं स्टेशन गया हुआ था और पहले जाट देवता से मिला। राम जी तो सबसे पहले होते ही हैं।
प्रणाम
बहुत सुंदर पोस्ट ओर सुंदर यादे मेरी बीबी भी बता रही हे कि आप के प्यार भरे परिवार के बारे, मां ओर दादी के बारे, उसे भी बहुत प्यार मिला, धन्यवाद यह टिपण्णी कंचन भाटिया की ओर से हे...
ReplyDeleteThis comment has been removed by the author.
ReplyDeleteअन्तर सोहिल जी!
ReplyDeleteआपकी शिकायत वाजिब है!
ठीक 22 तारीख को बेटे ने एक राज़ का पर्दाफास किया। जिसके कारण मैं सभी ब्लॉगर्स के दर्शनों से वंचित रह गया। सारे फोन के सिम मौने बदल दिये थे। क्योंकि घर का वातावरण ठीक नहीं था। मेरे सारे फोन घरवालों ने सर्विस लॉंच पर लगा दिये थे। क्योंकि मैं एक सप्ताह के लिए अज्ञातवास पर चला गया था।
दिल्ली तक की आने जाने की टिकट भी कैंसिल नहीं करा सका। वस्तु स्थिति आपको शब्दों का दंगल पर ज्ञात होगी!
आपकी शिकायत का निवारण जल्दी ही करेंगे, अगले सम्मेलन में ।
ReplyDeleteअब यह आप पर निर्भर है कि अगला कब करते हैं । :)
main tisre no par pahucha tha ji
ReplyDeleteबहुत बढ़िया कार्यक्रम रहा... दोबारा फिर से मिलनी की तमन्ना है
ReplyDeleteअच्छा लगता है अपनों से मिलना-जुलना।
ReplyDelete------
मुई दिल्ली की सर्दी..
... बुशरा अलवेरा की जुबानी।