6/3/09
'प्रताड़ना की तस्वीरें सार्वजनिक हों'
हमारे यहां तो एक गरीब आदमी भी केदी से बत्तर जिंदगी व्यातीत करने के लिये मजबुर है, फ़िर एक आम केदी की कोन सोचता है ?? उसे केसा खाना मिलता है, लेकिन हमारे कुछ खास लोगो को विदेशो मै केदियो की बहुत फ़िक्र है, क्योकि कहते है दीपक तले अंधेरा.... आखिर भारत मे मानव आधिकारो की बात सुन कर क्या मिलेगा.......'प्रताड़ना की तस्वीरें सार्वजनिक हों' इस खबर को पढने के लिये यहां चटका लगाये.
20 comments:
नमस्कार, आप सब का स्वागत है। एक सूचना आप सब के लिये जिस पोस्ट पर आप टिपण्णी दे रहे हैं, अगर यह पोस्ट चार दिन से ज्यादा पुरानी है तो मॉडरेशन चालू हे, और इसे जल्द ही प्रकाशित किया जायेगा। नयी पोस्ट पर कोई मॉडरेशन नही है। आप का धन्यवाद, टिपण्णी देने के लिये****हुरा हुरा.... आज कल माडरेशन नही हे******
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अमरीका तो मानव अधिकार के नाम पर हर जगह घुसता रहा है. अब अपनी करतूतों को दिखाने में परेशानी तो होगी
ReplyDeleteसही कहा आपने...
ReplyDeleteआखिर ये सब छिपा क्यों है...
मीत
Sahi kaha aapne...sahmat hun....
ReplyDeleteकाश! अमृता ्सिहं अपने देश मे होने वाले दंगों के बारे में भी मानव अधिकार के तहत कुछ करती तो कितना अच्छा होता।
ReplyDeleteअपने देश के क्या हाल है! ये इन्हे दिखाई नही देता ओर चल पडे अमेरिका मे मानवाधिकार का ढोल पीटने...यहां हिन्दुस्तान में मानव नहीं रहते क्या!
ReplyDeleteबिलकुल सही कहा आप्ने शीशे के घरों मे बैथ्ह कर भी पत्थर मार्ने से नहीम चूकते् जब अपनी बारी आती है तो शोर मचाते हैं आभार्
ReplyDeleteबिलकुल सही कहा आप्ने शीशे के घरों मे बैथ्ह कर भी पत्थर मार्ने से नहीम चूकते् जब अपनी बारी आती है तो शोर मचाते हैं आभार्
ReplyDeleteसत्य वचन .
ReplyDeleteसहमत हूं आपसे।
ReplyDeleteसहमति है पूर्णतः । आभार ।
ReplyDeleteशाबाश !
ReplyDeleteबहुत बढिया.
ReplyDeleteरामराम.
सच को तो सामने आना ही चाहिए।
ReplyDelete-Zakir Ali ‘Rajnish’
{ Secretary-TSALIIM & SBAI }
सच को तो सामने आना ही चाहिए।
ReplyDelete-Zakir Ali ‘Rajnish’
{ Secretary-TSALIIM & SBAI }
हम आपसे सहमत हैं राज जी इस बात पर।
ReplyDeleteप्रताडना जहां भी हो उसे सबके सामने लाना जरूरी है, लेकिन विडंबना यह है कि ये लोग उन देशों में ही "खुलेपन" की वकालात करते हैं जहां जनतंत्र है. अत: यह एकपक्षीय आंदोलन है.
ReplyDeleteसस्नेह -- शास्त्री
हिन्दी ही हिन्दुस्तान को एक सूत्र में पिरो सकती है
http://www.Sarathi.info
hum bhi sehmat hain
ReplyDeleteburaa jo dekhan mai chalaa
ReplyDeleteburaa milaa naa koyee
jab dekhaa aapno
mujhse buraa naa koye.
ये भी ठीक..
ReplyDeleteभाटिया जी ये ब्लॉग तो ठीक है
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