6/13/09
मां से बडा कोन ??
मां ऎसी है, तो कया बेटा बडा हो कर मां के संग ऎसा करता है??? भीग रही है, बोझा ढो रही है, फ़िर घर जा कर पहले बच्चे के जुत्ते उतारेगी मोजे उतारे गी, सुखे कपडे पहनाये गी, फ़िर उससे खाना देगी तब जा कर अपनी सुध लेगी, क्या हम अपनी मां की सुध लेते है, क्या मां का कर्ज चुका सकते है, क्या मां को अपने बडे से मकान मे किसी एक कोने मै इज्जत से स्थान दे सकते है, अगर नही तो कल आप के बच्चे भी आप के संग यह सब करेगे, इस लिये अभी से आप सोच ले...... ओर यह चित्र किसी अन्य मां का नही हमारी सब की मां भी ऎसी ही है, हमे ऎसे ही पाला है, खुद भीग कर, खुद भुखी रह कर, खुद कंजुसी कर के हमारी जरुरते पुरी करने वाली यह नारी जिसे हम मां पुकारते है, कभी इस की पुजा की है, इस मां से बडा कोई भगवान नही, कोई ओर माता नही, यही है माता रानी इसे नाराज मत करो.... आओ अपने मां बाप कॊ अपने संग रखो, उन की इज्जत करो तुम्हारी पहचान वोही है, उन के सिवा तुम, हम कुछ नही।चित्र कही से मिला तो इसे देख कर बस युही कोई विचार मन मै आया तो उन्हे शव्दो का रुप दे कर मन की बात यहा लिख दी, अच्छी लगे तो ठीक वरना माफ़ करना
नाम
अच्छी बाते
17 comments:
नमस्कार, आप सब का स्वागत है। एक सूचना आप सब के लिये जिस पोस्ट पर आप टिपण्णी दे रहे हैं, अगर यह पोस्ट चार दिन से ज्यादा पुरानी है तो मॉडरेशन चालू हे, और इसे जल्द ही प्रकाशित किया जायेगा। नयी पोस्ट पर कोई मॉडरेशन नही है। आप का धन्यवाद, टिपण्णी देने के लिये****हुरा हुरा.... आज कल माडरेशन नही हे******
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भाटिया जी......
ReplyDeleteआपने सही लिखा है............. माँ के चरणों में स्वर्ग का वास है........... जिसको भी माँ की दुआ मिलती है वो कभी दुखी नहीं हो सकता ये बात १६ आने सच है. नसीब वाले होते हैं जिनको माँ की सेवा करने का मौका मिलता है......माँ के नाम के आगे सब कुछ फीका है...........
चित्र देख कर किसी के भी मन में इस माँ के लिए श्रद्धा के भाव आ जायेंगे.
ReplyDeleteऐसी ही तो होती हैं न सभी मांएं!
जिन्हें अपने माँ-पिता जी के साथ रहने को उनकी सेवा करने का मौका मिल रहा है..
वे सच में खुशनसीब हैं.
माँ ही नहीं राज जी ,पिता भी ऐसे ही अपने बच्चों को छत्र छाया में रख कर उनका पालन करते हैं.
आप भी ऐसी पोस्ट से भावुक कर देते हैं.घर की याद आ जाती है!
aapne bilkul thik kaha raj ji. maa aisi hi hoti hai. uske upkaron ka badla koi kabhi nahin chuka skata bus usko maan diya jaye yahi bahut hai. sundar bhavon ke liye badhayi.
ReplyDeletemujhe bhi bahut gussa hota hai jab main apne ird gird aise logon ko paati hoon jo maa baap ki kadra nahin karte , sach me jo jaisa boyega use vaisa hi fal milega .
ReplyDeleteapka lekh aur chitra bahut prabhavi hain , shukriya maa ke vishay me apne vichaar batane ke liye achha laga .:)
हमारी सब की मां भी ऎसी ही है, हमे ऎसे ही पाला है, खुद भीग कर, खुद भुखी रह कर, खुद कंजुसी कर के हमारी जरुरते पुरी करने वाली यह नारी जिसे हम मां पुकारते है, कभी इस की पुजा की है, इस मां से बडा कोई भगवान नही,
ReplyDeleteजी सचमुच
नमस्कार स्वीकार करें
माँ के बारे में जो कहें कम है...
ReplyDeleteबहुत भावुक कर देने वाली पोस्ट लिखी, मां के दिन भर मे याद करो तो ऐसे ही विभिन्न दिअवीय रुप सामने आयेंगे. बहुत धन्यवाद,
ReplyDeleteरामराम.
संसार की सबसे सुंदर बात लिख कर माफी मांगते हैं ,क्या राज जी ,इतनी सुंदर पोस्ट लिखा है आपने .
ReplyDeleteमै हमेशा कहता हूँ आज भी कहूँगा कि माँ जैसा कोई नहीं।
ReplyDeleteइस दुनिया में हर व्यक्ति के लिये सबसे प्यार स्थान माँ गोद ही होती है
ReplyDeleteउसको नही देखा हमने कभी,
ReplyDeleteपर उसकी ज़रुरत क्या होगी,
ऐ मां,ऐ मां,तेरी सूरत से अलग,
भगवान की सूरत कया होगी,क्या होगी।
भाटिया जी सच कहा आपने मां से बढ कर कुछ नही।मेरी मां आज भी देर रात आने पर जाग जाती है और पूछती है खाना खायेगा क्या?सच तब लगता है कि दुनिया मे इससे ज्यादा प्यर करने वाला और कोई नही होगा।
"मेरी दुनिया है माँ,
ReplyDeleteतेरे आँचल मेँ,
शीतल छाया तू,
दुख के जँगल मेँ "
माँ से बडा कोई शब्द नहीँ !
" ॐ " और " माँ "
ये दोनोँ छोटे शब्द
पूर्ण रूप से सँपूर्ण हैँ
बहुत भावुक कर दिया आपने आज तो राज भाई साहब
माँ हमेशा सलामत रहे
आमीन -
सादर - स -स्नेह,
- लावण्या
आप अगर सिर्फ़ चित्र ही दे देते और अलग से उसकी व्याख्या नहीं करते तब भी ये पोस्ट आपके सुंदरतम पोस्टों में एक होती। ये मैं इसलिये कह रहा हूं क्योंकि चित्र देखते ही मन का कोई कोना भींग जाता है और किसी और ही लोक में पहुंच जाता हूं। बहुत देर बाद याद आता है कि कुछ लिखा भी है!
ReplyDeleteइसीलिए तो भारतीय दर्शन में जननी का स्थान स्वर्ग से भी उंचा बताया गया है। मां शब्द में जो भाव हैं वह किसी अन्य शब्द में नहीं।
ReplyDeleteवो माँ है इस शब्द मैं ही इतना दम है की पूरी कायनात माँ की ममता के नीचे सर झुकाती है......
ReplyDeleteये युहीं कोई विचार नहीं है............बहुत ही गहरा और सही है आपने दर्शाया है.........बहुत ही अच्छा लगा,.....
आपने शब्दों को एक अलग ही रूप में dhaal दिया....
बह्हुत ही अच्छा लगा.......
मेरे ब्लॉग पर भी आपका स्वागत है.......
अक्षय-मन
भाटिया जी, माँ तो ईश्वर की दी हुई वो नेमत है,जिसकी महिमा का बखान करने के लिए तो शायद शब्द भी अपनी सामर्थ्य खो दें।
ReplyDeleteआज आपकी इस पोस्ट को पढकर मन में भावनाऎं हिल्लोरे लेने लगी हैं।
सच में, मॉं तो आखिर मॉं होती है।
ReplyDelete-Zakir Ali ‘Rajnish’
{ Secretary-TSALIIM & SBAI }