8/14/10
एक घिनोन्ना सच, जिसे सुन कर शेतान भी कांप जाये....
आज़ादी की इस 63 वीं सालगिरह पर अगले कुछ दिनों बीबीसी आप तक पहुंचाएगा कुछ ऐसे लोगों की कहानियां जो लगातार एक सवाल का जवाब ढूंढने की कोशिश में हैं कि आख़िर कितने आज़ाद हैं हम?पुरी खबर पढने के लिये यहां जाये
17 comments:
नमस्कार, आप सब का स्वागत है। एक सूचना आप सब के लिये जिस पोस्ट पर आप टिपण्णी दे रहे हैं, अगर यह पोस्ट चार दिन से ज्यादा पुरानी है तो मॉडरेशन चालू हे, और इसे जल्द ही प्रकाशित किया जायेगा। नयी पोस्ट पर कोई मॉडरेशन नही है। आप का धन्यवाद, टिपण्णी देने के लिये****हुरा हुरा.... आज कल माडरेशन नही हे******
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ज़रूर जायेंगे जी !!
ReplyDeleteअंग्रेजों से प्राप्त मुक्ति-पर्व ..मुबारक हो!
समय हो तो एक नज़र यहाँ भी:
आज शहीदों ने तुमको अहले वतन ललकारा : अज़ीमउल्लाह ख़ान जिन्होंने पहला झंडा गीत लिखा http://hamzabaan.blogspot.com/2010/08/blog-post_14.html
देखते हैं लिंक!
ReplyDeleteस्वतंत्रता दिवस के मौके पर आप एवं आपके परिवार का हार्दिक अभिनन्दन एवं शुभकामनाएँ.
सादर
समीर लाल
यह सच्चाई तो गाँव में रह रहे बहुसंख्यक अशिक्षित जनता के बीच की है ..
ReplyDeleteशहरी वातावरण में शिक्षित लोगों द्वारा किसी एक व्यक्ति को लक्ष्य बना कर जो कुप्रचार किया जाता है वह तो इसके आगे कुछ भी नहीं ...!
वाकई यह एक घिनौना सच है
ReplyDeleteआज भी हम कितने बौने हैं
sahi
ReplyDeletelikha
hai
nice
स्वतंत्रता दिवस पर हार्दिक बधाई।
ReplyDeleteअभी देखते हैं....
ReplyDeleteस्वतन्त्रता दिवस की शुभकामनाऎँ!!!
एक भयंकर और दर्दनाक सच।
ReplyDeleteबीबीसी जैसों काम तो यही है कि भारत को सपेरों का देश कैसे प्रमाणित करें :(
ReplyDeleteस्वतंत्रता दिवस के शुभ अवसर पर हार्दिक अभिनन्दन एवं शुभकामनाएँ.
ReplyDeleteरामराम.
आपको स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ ....
ReplyDeleteसमाचार पढ़कर तो यही न कहा जाएगा कि
ReplyDelete..आगे और लड़ाई है.
बन्दी है आजादी अपनी, छल के कारागारों में।
ReplyDeleteमैला-पंक समाया है, निर्मल नदियों की धारों में।।
--
मेरी ओर से स्वतन्त्रता-दिवस की
हार्दिक शुभकामनाएँ स्वीकार करें!
--
वन्दे मातरम्!
बन्दी है आजादी अपनी, छल के कारागारों में।
ReplyDeleteमैला-पंक समाया है, निर्मल नदियों की धारों में।।
--
मेरी ओर से स्वतन्त्रता-दिवस की
हार्दिक शुभकामनाएँ स्वीकार करें!
--
वन्दे मातरम्!
सुंदर प्रस्तुति।
ReplyDeleteलिंक पढ़ कर ही आ रही हूँ ...सच अंधविश्वास और अशिक्षा होते हुए सोचना पड़ता है कि यह कैसी आज़ादी है ..
ReplyDeleteHum kahan swatantra hain ? Aapki BBC wali kahani isee satya ko ujagar kar rahee hai.
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